LOVE IN CORONA (भाग 7 )
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मैं अब चलने की कोशिश कर रही थी कि पीछे से किसी ने मुझे पकड़ा ! मैंने देखा यह वरुण था ! मैं लॉबी में चलकर देख रही थी ! वरुण ने मुझे सोफे पे बिठाया और बोला कि ज्यादा चलने की जरुरत नहीं है अभी आराम करो ! मैंने कहा मैं अब ठीक हूँ ! उसने कहा कि नहीं जब तक मैं नहीं कहता तब तक चलने की कोशिश नहीं करना ! मैंने हाथ जोड़ते कहा कि कहा ठीक है महाराज जैसी आपकी आज्ञा ! वो हंस दिया ! उसने मुझे एक तरफ से पकड़ा और अपनी तरफ खिंच लिया ! यह क्या किया था इसने ! मुझे थोड़ा अजीब लगा ! उसने भी महसूस किया ! फिर वहां से उठ कर रसोई में गया और हम दोनों के लिए चाय लाया ! हमने चाय पी उसने मुझे दर्द के बारे में पूछा तो मैंने उसे बोला के बहुत कम है ! चाय पीने के बाद उसने मुझे आराम करने को बोला ! मैं चलने लगी तो उसने मुझे एक तरफ से पकड़ लिया और सहारा देकर अंदर ले गया ! जब लड़की मेरे पास आयी तो उसने कहा कि वो अभी चली जाये जब जरुरत होगी तो उसे बुला लेगा ! मैंने एक बात महसूस की थी कि उसे मेरा साथ बहुत अच्छा लगता था पर वो मुझे कुछ बोलता क्यों नहीं था ! शाम तक मैं काफी हद तक ठीक महसूस कर रही थी ! रात खाने के बाद मैंने वरुण को बोला कि अब मुझे अपने घर चले जाना चाहिए ! वरुण बोला कि अभी तो तुम ठीक भी नहीं हो और यहाँ तुम्हे परेशानी क्या है ! मैंने कहा कि परेशानी वाली कोई बात नहीं है ! पर केवल दोस्ती कि नाते मैं कब तक तुम्हारे घर पर रह सकती हूँ ! वरुण सोच में पड़ गया!
वो सामने कुर्सी पर बैठा था चुपचाप ! हमारी 2 घंटे से कोई बात नहीं हुई थी ! आखिर चुपचाप कितनी देर बैठते ! मैंने ही चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि क्या सोच रहे हो इतनी देर से ! अगर कोई बात नहीं करनी तो सो जाओ ना ! वो मेरे पास आकर बोला कि तुम कुछ दिन और नहीं रुक सकती ! मैंने कहा कि ऐसे कैसे मैं उसके घर रह सकती हूँ और कितनी देर ! आखिर तो मुझे जाना ही है ना ! वरुण बोला कि तुम्हारी बात सही है पर मैं अभी नहीं चाहता तुम जाओ ! मैंने कहा क्यों, तुम क्यों नहीं चाहते ! उसने कहा मुझे नहीं पता ! मैंने कहा सबको एक दिन अपने घर जाना पड़ता है आखिर कितने दिन किसी के घर रह सकता है कोई ! तो वरुण बोला कि यह किसी का घर नहीं है यह तुम्हारे दोस्त का घर है तो मैं बोली कि एक लड़की अपने लड़के दोस्त के घर बहुत ज्यादा दिन नहीं रह सकती यह मर्यादा के विरुद्ध है ! वरुण बोला बात तो तुम्हारी सही है पर इसका हल क्या है ? मैंने सोचा मैं क्यों बोलो कि इसका क्या हल है ! वरुण मेरा हाथ पकड़ते हुए बोला कि इसका एक हल है ! मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी थी ! ऑंखें जैसे बंद हो गयीं थी ! मुझे लग रहा था कि वरुण कुछ बोलने वाला है ! मैंने पूछा नहीं कि क्या हल है ! वो खुद ही बोल रहा था बोला कि इसका एक ही हल है तुम सदा सदा के लिए मेरे घर में रह जाओ ! आखिर उसने बोल ही दिया ! पर मैंने बनते हुए ऑंखें खोल के बोला कि यह कैसे हो सकता है मैं तो अपने पति के घर रहूंगी तुम्हारे घर क्यों रहूंगी ! तो वरुण बोला कि वो तो मैं भी हो सकता हूँ ना ! अब मेरी आँखों में आंसू आ गए ! तो वरुण बोला कि अगर मुझे वो पसंद नहीं तो वो अपनी राय बता सकती है ! मैंने रोते हुए बोला कि मैं तो कब से यह सुनना चाह रही थी ! वरुण बोला कि पहले बोल क्यों नहीं दिया ! मैंने कहा कि मुझे तुम्हारी और अपनी हैसियत कि फर्क ने रोक दिया ! मैं रोये जा रही थी ! वो मेरे बिलकुल पास बैठा मेरा सर अपने कंधे के पास लेकर आया और अपनी छाती पे टिका दिया ! मैं रो रही थी पर वो मुझे रोक नहीं रहा था ! आंसू भी कितने अजीब हैं ना ख़ुशी और गम दोनों में इनका आना लाज़मी है ! आज मैं बहुत खुश थी ! मुझे मेरी मनचाही मुराद मिल गयी थी ! वो कितनी ही देर उसी अवस्था में बैठा रहा ! मैंने भी उसे उठने को नहीं बोला ! फिर वो उठा, उसने मुझे पूछा कि मुझे वाशरूम तो नहीं जाना ! मुझे जाना था, मैं उसका सहारा लेकर चली ! अब उसके सहारे चलते हुए मुझे कुछ भी अजीब नहीं लग रहा था ! अब वो मुझे मेरा अपना सा लग रहा था !
सुबह उठी, पूरी दुनिया के लिए यह एक आम सुबह थी ! पर मेरे लिए एक नए जीवन की शुरुआत थी ! सुबह माँ का फ़ोन आया मेरा हाल चल पूछने को ! मैंने उन्हें बताया कि उसने मुझे बोल दिया है ! अपना हाल चल बताने की जगह मैंने उसका प्यार का इज़हार करने वाली बात बताना ज्यादा जरुरी समझा ! माँ बहुत ज्यादा खुश हुई ! एक माँ के लिए इससे बड़ी ख़ुशी और क्या हो सकती है कि उसकी बेटी को एक ऐसा परिवार मिल जाये जो उसे सर आँखों पर बिठा के रखे !
ऑन्टी ने मुझे बाहर बुलाया खाने के लिए ! मैं आयी सब लोग बैठे थे पहले से ही ! वरुण मुस्कुरा रहा था ! ऑन्टी ने पूछा कि कुछ खास खाने की इच्छा हो तो बोल दे वही बन जायेगा ! मैंने कहा नहीं ऑन्टी जो बना है वही खाउंगी ! तो ऑन्टी बोली अब तो मम्मी बोल दे ! क्यों ड्रामा कर रहे हो तुम लोग ! अंकल भी हंसने लगे ! मुझे शरम आ गयी ! ऑन्टी बोली कि इतना ना शर्माओ इतने दिन से इस घर में हो हमारा स्वाभाव अभी भी पता नहीं चला ! अब तुम भी इस घर की सदस्य बनने जा रही हो ! अपने घर का पता वरुण को बताओ वो तुम्हारे माँ बाप को ले आएगा ! फिर हमें आगे की बात भी तो करनी है ! मैंने कहा कि वो लोग आ जायेंगे ! मैंने माँ से फ़ोन पे इस बारे में बात की और उनकी बात ऑन्टी से करवाई ! ऑन्टी बोले कि हमें आपकी बेटी चाहिए सदा सदा के लिए तो माँ बोली कि यह तो पहले से ही आपकी है ! उन्होंने अगले रविवार आने को बोल कि फ़ोन रख दिया ! मैंने उठ कर ऑन्टी और अंकल के पैर छुए उन्होंने मुझे बहुत सारा आशीर्वाद दिया ! एक ही दिन में इस घर में मेरी स्थिति कितनी बदल गयी थी ! एक मेहमान अब मालकिन बनने जा रही थी !
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