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Posted: 3 years ago

वरुण के माँ बाप की बात ने निश्चित करना था कि क्या वो मीशा की जिंदगी से जायेगा या फिर उसकी जिंदगी में आएगा ! या फिर ये कोई और बात थी ! मीशा चिंता से मरे जा रही थी ! पर वरुण था कि इधर उधर की सारी बातें कर रहा था पर उस बात पर बिलकुल भी नहीं आ रहा था ! क्या होगा इसके आगे आप लोग जल्द ही जानेंगे... इसके लिए कल तक आपको इंतज़ार करना होगा, धन्यवाद.

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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 5 )


वो वरुण की तरफ ध्यान से देख रही थी उसका ध्यान हर तरफ से हट कर बस वरुण पर ही था कि वो क्या कहने जा रहा है ! जब हम किसी से किसी बात की उम्मीद करते हैं तो हमें लगता है कि वो शख्स उसी बारे में हमारी उम्मीद कि विपरीत बोलने वाला है ! हम बिना कोई बात जाने ही अंजानी मुसीबत से बिना वजह परेशान हो जाते हैं ! वरुण ने बोलना शुरू किया कि उसके पापा उसके काम को लेकर बहुत परेशान हैं ! उनकी परेशानी की वजह ठीक वैसी है जैसी कि तुम्हारी ! वो बोल रहे थे कि मुझे खर्च तो हर महीने आ रहा है परन्तु मिले मिलाये काम भी हाथ से निकल गए ! सो उनको लगता है कि मेरा व्यापर घाटे में चल रहा है ! और यह इसी तरह से चलता रहा तो एक दिन बंद ही हो जायेगा ! तो मैंने उसे पूछा के उसने क्या जवाब दिया ! वो बोला कि उसने अपने पापा को समझाया कि यह सब 3  4 महीने से ज्यादा नहीं चलने वाला और इतनी देर तो मैं आराम से खर्चा चला सकता हूँ ! सोचूंगा कि इस साल कोई बचत ही नहीं हुई ! एक शुरुआत तो हुई और फिर पापा को समझाया कि अभी तक इतनी नौबत नहीं आयी कि आपसे कुछ माँगा हो इसके लिए ! तो पापा ने कहा कि उनको पैसा देने में कोई परेशानी नहीं है बस वो संभल कर चले ! वो बोला कि मैंने पापा को समझाया कि ऐसे काम आम हालात में ही चलते हैं! अभी तो पूरी दुनिया परेशान है और किया भी क्या जा सकता है ! जब सब ठीक हो जायेगा तो मेरा काम भी चल निकलेगा! इतने में मैंने सोचना शुरू किया कि शुक्र है यह और काम से संभंधित बात है मैंने तो सोचा था कहीं उसकी शादी न तय हो रही हो ! अचानक वरुण ने महसूस किया कि मैं कहीं और ही हूँ तो उसने मुझे बोल ही दिया कि मैं क्या सोच रही हूँ और क्या मेरा ध्यान उसकी बातों में है कि नहीं ! 


मैंने कहा कुछ नहीं बस मैं तो तुम्हारी बातें ही सुन रही थी बस बीच बीच में फिर मेरा ध्यान मासिक किश्तों पर पहुँच जाता है ! अब तो वरुण ने उसे पूछ ही लिया कि बताओ तुम्हारी कितने की किश्तें बकाया हैं मैं सारी अभी चूका देता हूँ तो मैंने हंस कर कहा कि अब उतनी ज्यादा चिंता नहीं होती बस थोड़ा ध्यान तो कभी न कभी भटक ही जाता है और फिर मैंने उसकी बात पर आते हुए कहा कि पापा ठीक ही तो कह रहे हैं तुम्हे ध्यान देना चाहिए और जब तक सब सामान्य नहीं हो जाता कुछ करना चाहिए ! तो वरुण बोला कि जब हर काम इस वजह से प्रभावित है तो वो कौन सा काम करे और मुझे कहा कि काम की चिंता तो छोड़ ही दो मैंने पापा को समझा लिया है और हँसते हुए बोला हाँ एक बात तो बताओ मेरे पापा तुम्हारे पापा कब से हो गए ! मैं भी मुस्कुराने लगी क्योंकी में ध्यान में आ गया था कि मैंने उसके पापा को पापा बोल दिया था ! मैंने कहा क्यों दोस्त के पापा को पापा नहीं बोल सकते ! तो उसने भी चुटकी लेते हुए कहा कि नहीं या तो अपने पापा को बोल सकती हो या फिर अपने ससुर को ! बोलो वो दोनों में से क्या हैं? वो बहुत खुशमिज़ाज़ लड़का था ! मैंने यह कहते हुए टाल दिया कि उससे कहाँ जीता जा सकता था !


मैंने उसे कहा कि तुम कम से कम शाम को जल्दी बता देते तो कोई अच्छी सी चीज बना देती फिर मैंने उसे कहा कि सबके जन्मदिन पर हमारे यहाँ शुद्ध घी का हलवा जरूर बनता है तो वो तो मैंने बनाउंगी ही ! वरुण ने मन किया कि मीठा खा तो लिया ! मैंने कहा वो अंग्रेजों वाला मीठा था हमारे यहाँ तो किसी भी शुभ अवसर पर हलवा ही बनता है ! तो उसने बोला कि ठीक है बना लो ! मैंने जल्दी से हलवा बनाया उसे अपनी रसोई में ही बने मंदिर के पास बुलाया और हल्का सा तिलक लगा कर थोड़ा सा हलवा उसके मुँह को लगाया और बाकि का उसे पकड़ा दिया ! उसने भी श्रद्धा पूर्वक खा कर मेरा मान रखा ! मैंने भी हलवा खाया ! वो मेरे एकदम पास आकर बैठ गया था ! मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी थीं ! उसे लगा मैं घबरा गयी हूँ ! तो हंस कर बोला कि तुम 


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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 5 )

                                                                   ::2::


घबरा ख्युं रही हो मैं कुछ गलत थोड़े न करने जा रहा हूँ ! मैं कुछ नहीं बोल पायी पर वो गंभीर होकर बोला कि तुम मुझे कितना मानती हो ! इसीलिए मैं हमेशा तुम्हारे साथ बात करने में लगा रहता हूँ ! तुम शायद परेशान ही ना हो जाती हो ! मैंने झट से बोला कि परेशान क्यों होना मैं भी तुमसे बात करना चाहती हूँ ! मैंने उसे बोला कि मैं तुम्हारे लिए कोई गिफ्ट तक नहीं ला पायी तो वो बोला कि तुम्हारा खाना और यह स्वादिष्ट हलवा ही मेरे लिए गिफ्ट है ! मैं सोच रही थी कि अगर हमारा कोई रिश्ता होता तो मैं इसे एक KISS  जरूर देती ! फिर सोचा कि गाल पर तो दे ही सकती हूँ ! पर हिम्मत नहीं हो रही थी ! मैंने सोचा के जाते वक्त इसे गाल पर kiss  करके एक तरह से उपहार दूंगी ! वो बोला तुम बार बार किस सोच में पड़ जाती हो ! मैं बोली कि कुछ नहीं सोच रही थी तुम्हे कुछ उपहार भी न दे पायी तो वो बोला कि बार बार एक ही बात बोले जा रही हो तबियत तो ठीक है तुम्हारी? मैंने पहले कुछ सोचा फिर जल्दी से उसकी गाल पर kiss कर दिया ! उसने वहां पर हाथ रखा जहाँ मैंने kiss किया था और शुक्रिया बोला और थोड़ा गंभीर हो गया ! मेरी नज़रें झुकी हुईं थी ! वरुण बोला कि तुम बहुत सीधी लड़की हो आज के कपट से बहुत दूर इतना बोल के उसने बैठे बैठे एक हाथ से मेरी दूसरी बाजु पकड़ के मुझे अपनी तरफ करके हलकी सी जफ्फी डाली और बोला कि भगवान करे हमारी दोस्ती सदा सदा के लिए बनी रहे ! मैं सोच रही थी कि दोस्ती क्यों हमारी तो जोड़ी बन जाये तो कितना अच्छा हो ! वो बोला कि आजकल सोचने बहुत लग गयी हो ! फिर कहा कि मेरा तो मन ही नहीं कर रहा आज जाने का ! मैंने कहा कि ठीक है रुक जाओ ! उसने हँसते हुए कहा कि हल्का सा kiss करने में तुम्हारी जान निकल गयी और बोल रही हो रुकने को ! जिस बात का मन ना हो तो वो बोलनी नहीं चाहिए ! मैंने कहा चाहे हम दोस्त हैं पर ज़माने वाले गलत समझते हैं नहीं तो मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और यह बात मैं अपनी मम्मी को भी बोल सकती हूँ कि तुम मेरे साथ रुके थे ! वरुण बोला कि इसी लिए तुम मुझे बहुत पसंद हो ! मैं अब उलझन में पड़ गयी कि मैं उसे किस तरह से पसंद हूँ ! वो समझ जाता था कि मैं क्या सोच रही हूँ ! तो बोला कि एक इंसान के रूप में तुम मुझे बहुत पसंद हो ! उसने मुझसे इजाज़त मांगी और जाते जाते वो भी वही कर गया जो मैंने किया था ! मेरे गाल पर हल्का सा चुम्बन ! बोला यह RETURN गिफ्ट है ! मैंने भी ठीक उसकी तरह ही अपने गाल पर हाथ रखके उसके चुम्बन को महसूस करना शुरू किया ! तुरंत माँ को फ़ोन करके सारी बात बताई तो माँ बोली कि कहीं तुम भावनाओं में बहक ना जाना क्यूंकि सब कुछ होने के बाद लड़के अक्सर बदल जाते हैं ! मैंने कहा कि चिंता ना करो माँ मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी जिससे आपको शर्मिंदा होना पड़े ! 


अगले दिन मुझे बैंक से फ़ोन आया कि आपकी किश्तें जो नहीं भरी गयी अब उन्हें भरवाने की समय अवधि और बढ़ गयी है ! पर यदि आप जमा करवाना चाहती हैं तो करवा सकती हैं ! मैंने कहा कि मैं अभी नहीं करवा पाऊँगी ! तो उसने बोला कुछ नहीं और फ़ोन रख दिया ! मेरे दिमाग में फिर किश्तों का भूत चढ़ गया और चिंता ने मुझे फिर से घेर लिया ! कितनी संभावनाएं मेरे अंदर घर कर गयी थी कि कहीं ऐसा ना हो यह सब एक साल तक चले या और भी ज्यादा फिर क्या होगा ! कहीं इन सबका ब्याज ही मूल से ज्यादा ना हो जाये ! उसने सुन रखा था कि किश्त जमा न करवाने पर वो लोग सामान तक उठा के ले जाते हैं ! उसने सोचा कि यहाँ तो कोई बात नहीं पर अगर वहां ऐसा हुआ तो पापा की तो इज़्ज़त ही मिटटी में मिल जाएगी ! तो क्या होगा ! कहीं सब कुछ बिक ना जाये ! और अगर उसकी नौकरी छूट गयी ! क्या होगा उसका ! एकदम बुरे बुरे ख्याल उसके मन में आ रहा था वो बस यही सोचे जा रही थी कि उसका बहुत बुरा समय आने वाला है ! तभी तो बड़ों ने कहा है कि ना तो ख़ुशी के समय ज्यादा उछलना चाहिए और ना ही मुसीबत के समय ज्यादा चिंताग्रस्त, हमेशा एक सामान्य जीवन जीना चाहिए ! परन्तु कितने लोग इस बात पर चल पाते हैं ! तभी तो आजकल हर कोई तनावग्रस्त है ! मीशा को सोचते सोचते चक्कर आ गए और ना जाने कब वो अचेत होकर गिर गयी ! 


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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 5 )

                                                                   ::3::


वरुण उसे लगातार फ़ोन मिला रहा था ! घंटी जा रही थी पर वो फ़ोन नहीं उठा रही थी ! जबसे वो लोग फ़ोन पे बात करने लगे थे तब से आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि उसने एक बार भी उसका फ़ोन ना उठाया हो ! यहाँ तक कि शायद वो हाथ में ही फ़ोन पकडे रहती होगी क्यूंकि एक या दो रिंग में ही वो उसका फ़ोन उठा लेती थी ! पर आज तो हद हो गयी थी उसने दस बारह बार फ़ोन मिलाया पर मीशा ने नहीं उठाया ! किसी अनहोनी के डर से वो उसके घर के लिए निकला ! उसने दरवाजे की घंटी बजे किसी ने नहीं खोला ! फ़ोन किया तो अंदर से रिंग की आवाज़ आ रही थी ! उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की ! भगवान का शुक्र है दरवाजा खुला था ! उसने जैसे ही अंदर कदम रखा सामने ही मीशा गिरी पड़ी थी ! वो फटाफट रसोई में गया और उसने उसके ऊपर दो चार पानी के छींटे मारे तो कुछ हलचल हुई ! उसकी ऑंखें खुली और उसने सामने वरुण को देखा ! पहले तो उसे कुछ समझ नहीं आया फिर उसे याद आया कि वो किश्तों वाली बात पर परेशान होकर बेहोश हो गयी थी ! उसका सर वरुण की गोद में था ! वो मुस्कुरा रहा था और पूछा कि काफी गहरी नींद में चली गयी थी , और मज़ाक में बोला कि शुक्र है सदा सदा वाली नींद में नहीं गयी ! मैं अभी भी गंभीर थी और बोली कि काश चली ही जाऊँ ! तो वरुण ने पूछा कि ऐसी भी क्या मुसीबत है उसे जो वो ऐसा सोच रही है ! मैं उससे कभी कोई बात नहीं छुपाती थी तो उसे सब कुछ साफ़ साफ़ बता दिया ! वो और ज्यादा गंभीर होकर बोला कि तुम्हे समझ नहीं आता कितना भी समझा लो ! और दूसरी बात तुम ना तो यह बात अपने दिमाग से निकल पा रही हो और ना ही मुझसे मदद ले रही हो ! फालतू में अपनी जान देने पर तुली हो ! पता नहीं क्यों हम लोग अभी भी उसी स्थिति में थे ! मैं उसकी गोद में थी और वो मेरा सर दबा रहा था ! मैं कुछ नहीं बोल पायी ! मुझे उसका साथ अच्छा लग रहा था ! मैंने उसका दूसरा हाथ पकड़ा और बोला कि तुम आज सारा दिन मेरे साथ ही रहना मैंने तुम्हे जाने नहीं देना ! वो बोला कि तुम जाने की बात कर रही हो? इसका मतलब तुम मुझे समझी नहीं हो ! तुम तो अपना थोड़ा बहुत जो सामान लेना है लो और मेरे साथ अभी के अभी मेरे घर चलो ! इतने में माँ का फ़ोन आ गया ! उसने मेरे हाथ से फ़ोन छीन के खुद बात करनी शुरू की कि आंटी मैं वरुण बोल रहा हूँ ! उधर से माँ भी उसकी आवाज़ सुनकर खुश हो गयी पर फिर चिंता भरे लहजे में कहा कि मीशा ठीक तो है ना क्यूंकि उन्होंने दो तीन बार पहले भी फ़ोन किया पर उसने उठाया नहीं ! वरुण ने कहा ठीक कहाँ है और उनको सारी बात बता दी और उनको कहा कि इसे कहो कुछ दिन मेरे घर पर ही रहे क्यूंकि यहाँ इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है ! तो माँ बोली कि तुम्हारे माँ बाप क्या कहेंगे तो वो बोला कि माँ बाप ने ही इसे वहां लाने को बोला है ! माँ कुछ ना बोली बस इतना कहा कि जैसे तुम्हे ठीक लगे और कहा कि एक बार मीशा से बात करवा दो ! वरुण ने फ़ोन मुझे पकड़ाया माँ ने कहा कि वो ठीक कह रहा है ! तुम कुछ दिन उसके घर पर ही रहो और देनदारी की उतनी चिंता ना करो ! सब ठीक हो जायेगा ! 


मैंने कपडे एक अटैची में डाल लिए और भी जरुरत का सारा सामान ले लिया और जैसे ही मैं चलने लगी तो वरुण बोला कि उसे किश्तों की पूरी डिटेल चाहिए ! मैंने कहा कि वो सब मेरे फ़ोन में है तो हम लोग वहां से निकल गए और एक बहुत ही समृद्ध इलाके में पहुँच गए ! उसकी गाड़ी एक बहुत ही बढ़िया बंगले के सामने जाकर रुकी उसने हॉर्न मारा तो दरवाजा खुल गया ! वो गाड़ी अंदर ले गया और एक गैराज में ले जाकर खड़ी कर दी ! मैं जैसे ही अपना अटैची लेने के लिए डिक्की की तरफ गयी तो वरुण बोला कि चिंता ना करो तुम्हारा सामान पहुँच जायेगा ! मैं उसके पीछे पीछे चल पड़ी ! अंदर घुसते ही एक अधेड़ उम्र के जोड़े ने मेरा स्वागत किया मैं समझ गयी थी कि ये उसके माँ बाप होंगे ! मैंने अपने संस्कारों के अनुसार उनके पैरों को छुआ तो उन्होंने मुझे बहुत आशीर्वाद दिया और मेरी तबियत के बारे में पूछा ! मैंने कहा अब ठीक है ! उन्होंने निचे ही एक कमरे की तरफ इशारा करके कहा कि तुम्हारा सामान इस कमरे में पहुँच जायेगा तुम अभी आराम कर लो ! मैंने कहा कि मुझे आराम नहीं करना,! मैं आराम करने लगी तो वही बातें मेरे दिमाग में घूमती रहेंगी ! वैसे मुझे पता चल गया था कि जैसे मैं अपनी माँ से वरुण के बारे में बात करती रहती हूँ वरुण भी अपने माँ बाप से मेरे बारे में बात करता है ! इसका मतलब यह था कि कुछ तो था उसके दिल में भी ! वरुण ने कहा कि मेरे कहने से थोड़ी देर आराम कर लो मैं साथ ही रहूँगा ! मैं कुछ ना बोल सकी और उसके पीछे पीछे चल दी ! 


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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 6 )

वो मुझे उस कमरे में ले गया मैं bed  पे बैठ गयी और वो सामने एक कुर्सी पे ! इतने में मेरा सामान भी आ गया जो एक लड़की ने, जो कि नौकरानी लग रही थी, अपने आप एक अलमारी में रख दिया ! मैं थोड़ा मुस्कुरा के सोच रही थी कि इस घर में आना तो चाहती थी मैं शादी करवा के पर ऐसे ही बीमारी के कारण आना पड़ गया ! फिर सोचा चलो जो भगवान को मंजूर ! वो इतना चतुर है कि मुझे कुछ सोचने का मौका ही नहीं देता और मेरे मन की बात खुद ही बोल देता है ! बोला बड़ी मुस्कुरा रही हो ! यही सोच रही हो ना कि पहली बार मेरे घर आयी हो और पहली बार ही बीमारी की हालत में ! मैं मुस्कुरा पड़ी और बोला कि कैसे जान लेते हो मेरे दिल की बातें ! वरुण बोला कि दोस्तों के दिल पे मेरा नियंत्रण हो जाता है ! मैं सोच रही थी यह बात तो सच है ! पर जल्दी ही अपने हाव भाव बदल दिए ताकि उसे मेरे मन की बात पता ना चल जाये ! वो बोला के तुम्हारे bed के ठीक साथ में घंटी का बटन है किसी चीज की जरुरत हो तो कभी भी किसी को बुला सकती हो ! वैसे मैं तो ज्यादा टाइम तुम्हारे पास ही रहूँगा ! मम्मी पापा भी पास ही होंगे ! और बोला कि डॉक्टर भी आने वाला ही होगा ! मैंने कहा डॉक्टर की क्या जरुरत थी अब तो मैं ठीक थी ! वो बोला कि कुछ खास नहीं घर का ही आदमी है ! मेरा दोस्त है, मैं तो उसे फीस भी नहीं देने वाला, फ्री वाला है ! बोलकर हंस पड़ा ! मैं देख रही थी कि वो हर चीज को कितनी आसानी से लेता है और मैं छोटी छोटी चीजों पर कितनी चिंता करने लग जाती हूँ ! पर फिर सोचा कि मेरे और उसके हालात में फर्क भी तो बहुत है !


डॉक्टर आ गया था ! मुझसे थोड़ा बहुत पूछा मैंने चिंता वाली बात बताई ! वो भी मेरे साथ हंस हंस कर बात कर रहा था ताकि मैं थोड़ा भारमुक्त हो सकूँ ! बोला कि चिंता करने से कुछ नहीं होता हालात का सामना करना चाहिए ! मैंने मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला दिया ! फिर हम तीनो ने मिलकर चाय पी ! चाय पीते हुए वरुण मेरे साथ ही बेड पर बैठा था तक़रीबन जुड़ के, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ! मैं जरा भी नहीं हिली ! एक बार तो मेरे मुँह में बिस्कुट भी खुद ही डाला ! मैं अपने को धन्य समझ रही थी कि ऐसा इंसान मेरा दोस्त है ! डॉक्टर दोस्त ने मज़ाक भी किया कि चोचले तो ऐसे कर रहे हो जैसे तुम्हारी GF हो तो वरुण बोला कि दोस्त कुछ नहीं होते क्या GF  ही सब होती है ! मैं बस मुस्कुरा ही सकी ! आज मैं सच में बहुत खुश थी ! काश यहाँ से मुझे जाना ही ना पड़े ! 


ऑन्टी कितनी देर से मेरे पास बैठे थे ! मेरे घर परिवार की सारी बातें की ! उनका स्वाभाव भी वरुण जैसा ही था एकदम हंसमुख ! मेरे घर के हालात जान के मुझे बोलीं कि तुम जैसी लायक बेटी के कारण यह हालात जल्द ही बदलने वाले हैं ! मैंने आंटी को धन्यवाद बोला ! बोली कि वरुण तेरी बहुत बातें करता है ! तू जिस घर में जाएगी स्वर्ग बना देगी ! मैंने कहा तो अपने घर को ही स्वर्ग बनाने दो ना मुझे ! पर कह थोड़े सकती थी इतनी बात ! उनसे बात करना अच्छा लग रहा था ! पर वरुण लगभग 3 घंटे से मेरे पास नहीं आया था तो मुझे बेचैनी सी लगी थी ! मैं ऑन्टी से पूछना चाह रही थी पर शर्म कि मारे पूछ नहीं पायी ! उन्होंने मेरे और अपने दोनों के लिए खाना मंगवाया और मेरे साथ ही बेड पर बैठ कर खाना खाया ! वो भी बहुत खुश नज़र आ रही थीं ! बोली कि वरुण और इसके पापा का तो पता नहीं कब कहाँ खा लें ! मुझे अक्सर अकेले ही खाना पड़ता है ! आज तेरे साथ खा के अच्छा लग रहा है और खाया भी ज्यादा गया ! मैंने कहा ऑन्टी आप अच्छे से खाया करो चाहे कोई हो या ना ! वो बोली कि मुझे पता है तू सबका ख्याल रखने वाली है ! उन्होंने हँसते हुए जन्मदिन वाले दिन की मूंग दाल कि साथ खाने का भी जिक्र किया और बोला कि मैंने कितने पकवान बनाये थे उस दिन पर उसने तुम्हारे साथ मूंग की दाल खाई ! मैं मन ही मन खुश हो रही थी कि उसे मेरी कितनी कद्र है ! पर उसके मन में क्या है मुझे पता नहीं था ! मैं बोली कि उसे आपके साथ खाना चाहिए था तो वो बोलीं कि नहीं बेटा हमारे साथ तो उसने जाने कितने जन्मदिन मनाये हैं यह जन्मदिन वो अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ मानना चाहता था !


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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 6 )

                                                                   ::2::


उनके घर में हालांकि 3 नौकर थे पर खाना ऑन्टी खुद ही बनती थी ! उनका मानना था कि खाने में भाग गृहलक्ष्मी कि हाथ से ही लगते हैं ! मैंने सोचा कि बात तो वे ठीक कह रही हैं ! सो शाम का मैं उनके पास चली गयी और उनके साथ हाथ बांटने लगी ! वो बोलीं कि नहीं तुम मेहमान हो और अभी बीमार भी हो तुम्हे यह सब करने की जरुरत नहीं ! मैंने कहा कि कुछ ना किया तो अच्छी भली भी बीमार पड़ जाउंगी आज का खाना मुझे बनाने दो ! ऑन्टी खुश हो गए कुछ सोचा फिर बोले कि ठीक है तुम ही बनाओ ! मैंने कहा आप आराम से बैठो मैं बनाती हूँ ! ऑन्टी खुश हो गए और मेरे पास ही एक कुर्सी पर बैठ गए और इधर उधर की बातें बताने लगे उन्होंने बताया कि वरुण बचपन में छिपकली से बहुत डरता था तो इसका नाम हमने छिपकली ही रख दिया था ! मैं सुन कर खूब हंसी और ऑन्टी का बोला कि मैं उसे बोल कर चिढ़ाऊंगी ! ऑन्टी बोले कि हाँ वो बस इसी बात पर चिढ़ता है ! हम दोनों ही जोर जोर से हंसने लगे ! 


वो अभी भी नहीं आया था 8 बज गए थे ! खाना तैयार था ! ऑन्टी बोले कि तुम जाके आराम कर लो ! मैं बेड पर लेट गयी और लेटते ही मुझे नींद आ गयी ! मेरी आंख वरुण के मेरे सर पर हाथ फेरने से खुली ! वो बिलकुल मेरे सर के पास बैठा था कि मुझे गर्दन उठा के उसे देखना पड़ा ! मैं मुस्कुरा दी और बोला कि मेरी आंख लग गयी थी ! वरुण बोला कोई बात नहीं मैंने तुम्हे उठाना भी नहीं था अगर खाना ना खाना होता तो ! मैं एकदम से उठ गयी और बाथरूम गयी ! फ्रेश होकर वापिस आयी वरुण वहीँ बैठा था और उसने मुझे कहा कि चलो सब लोग इकठ्ठे खाने वाले हैं ! मैं बोली मुझे अंकल कि सामने थोड़ी शर्म आएगी ! वो बोला शर्म वर्म का गोली मारो और मेरे साथ चलो ! मैं वही आज्ञाकारी बालक की तरह उसके साथ चल पड़ी ! 


अंकल ने बाकायदा पीछे से पकड़ कि मुझे बिठाया ! मैंने धन्यवाद देते हुए कहा अंकल अब तो मैं ठीक हूँ ! अंकल बोले कि अच्छी बात है बेटा ! हम चारों बैठ गए ! मैं और वरुण आमने सामने बैठे थे ! वो मुझे परेशान कर रहा था ! कभी आंख मार देता कभी निचे से मेरे पैर पे पैर मार देता ! मैं अंकल की वजह से शरमाते हुए कुछ बोल नहीं पा रही थी ! इतने में सबने खाना शुरू किया ! वरुण तो पहली बुर्की में ही समझ गया कि खाना मैंने बनाया है ! अंकल भी बोले बिना ना रह सके कि खाना आज कुछ अलग लग रहा है! मम्मी बोले क्यों पहले ख़राब होता है क्या और हंसने लगे ! अंकल बोले नहीं पर स्वाद का कुछ फर्क तो है पहले से ! ऑन्टी बोले कि आज खाना मेरी बेटी ने बनाया है ! अंकल मेरी तरफ देख कि वाह वाह करने लगे ! मैंने शरमा के ऑंखें झुका ली और बस मुस्कुरा दी ! ऑन्टी भी कहे बिना ना रह सकी कि बेटी खाना तुमने वाकई बहुत अच्छा बनाया है ! मुझसे भी ज्यादा बढ़िया ! मैंने हाथ जोड़ कर शुक्रिया बोला ! ऑन्टी बोले कि इस तरह घुट घुट कि ना रहो अभी तुम्हे कुछ दिन रहना है बिंदास रहो खुल कि ! इनसे भी शरमाने की जरुरत नहीं यह भी बच्चों कि साथ बच्चे हैं ! मैंने कहा ठीक है ऑन्टी ! मैंने सोचा मैं अब थोड़ा खुल कर रहूंगी तो अचानक मेरे दिमाग में एकदम एक बात आयी और मैंने वरुण से बोला जो खाना खाने में मस्त था, कि वरुण तुम्हारे हाथ के पास छिपकली है ! वरुण एकदम से अपनी कुर्सी से उछला और सब लोग हंसने लगे वो अभी भी समझ नहीं पा रहा था ! उसकी मम्मी बोली कि मीशा ने तुम्हारे साथ मज़ाक किया है ! पापा का भी अब बात समझ में आयी ! सब लोग खूब हँसे ! ऑन्टी बोली कि सब लोग इस तरह कितने समय बाद हँसे ! तो अंकल बोले कि हमारी बेटी के कारण हमें मौका मिल गया ! वरुण वैसे हंस रहा था पर कहा कि तुम भी अब तैयार रहना ! ऑन्टी बोले कि लड़की का परेशान नहीं करना कभी ! वो बोला बदला तो लेना बनता है ! मैंने कहा कि हाँ हाँ जरूर और जब मर्जी ! सब लोग फिर से हंस पड़े ! मुझे पता नहीं था कि मेरे खाना बनाने के बाद ऑन्टी ने खीर भी बनाई थी ! मैं सोच ही रही थी कि ऑन्टी समझ गए ! बोले कि बेटी तेरी वजह से बनायीं है तू आयी है ना यहाँ ! मैंने सोचा कितने अच्छे लोग हैं ये ! 


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Edited by chandermittal - 3 years ago
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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 6 )

                                                                   ::3::


वो मेरे साथ ही बेड पे आकर बैठ गया और मेरे कंधे पे हाथ रख दिया और बोला कि अपना फ़ोन खोल कि दो ! मैंने सोचा पता नहीं इसे क्या देखना है पर मैंने दे दिया ! बोला कि बताओ किश्तों की डिटेल कहाँ है ! मैंने कहा रहने दो वरुण अब मुझे चिंता नहीं है ! पर वो बोला कि निकालो ! एक तरह से उसने हुक्म दिया था मुझे ! मैंने निकला ! वो डिपाजिट वाली ऑप्शन पर आया और इतनी रकम भरी कि उसकी 6  महीने की किश्तें जमा हो जाएँ ! मैंने बहुत मन किया पर वो नहीं माना और अपना बैंक सेलेक्ट करके उसने मेरी 6 महीने की किश्तें जमा करवा दीं ! मैंने कहा कि यह तुमने सही नहीं किया ! तो वरुण बोला कि मैं तुमसे एक एक पाई वसूल करके रहूँगा और हंसने लगा ! फिर मुझसे पूछा कि और कोई चिंता तो नहीं है ! मैं बोली नहीं तुम्हारे होते मुझे किसी बात की चिंता नहीं है ! मैंने उसे कहा कि मुझे सुबह छोड़ आना क्यूंकि अब मैं बिलकुल ठीक हूँ ! उसने एकदम ऊँची आवाज़ में माँ को बुलाते हुए कहा कि देखो माँ यह क्या बोल रही है ! मैंने उसे चुप रहने को बोला इतने में ऑन्टी आ गयीं और बोली क्या बात है तो वो बोला कि यह खुद ही बताएगी ! मैंने कहा ऑन्टी अब मैं आप लोगों की वजह से बिलकुल ठीक हूँ और कल वापिस जाना चाहती हूँ ! तो ऑन्टी बोले अच्छा अपना काम हो गया ठीक हो गयी तो जाने लगी ! हमें खाना कौन बना कर खिलायेगा ! फिर प्यार से बोली  कि अभी कुछ दीं यहीं रहो हमारा भी मन लगा हुआ है ! मैं तो कहती हूँ कि जब तक  LOCKDOWN  है तब तक यहीं रहो ! मैं कुछ ना बोल पायी पर इतना कहा कि ऑन्टी ठीक है एक दो दीं रुक जाती हूँ तो वो फिर से बोलीं कि एक दो दीं नहीं जब तक मैं नहीं कहती तब तक तुमने कहीं नहीं जाना ! मैं कुछ ना बोल पायी ! उनके जाने के बाद वरुण मुझे पूछने लगा कि मुझे यहाँ कोई परेशानी है क्या? मैंने कहा नहीं पर ऐसे अच्छा नहीं लगता तो वो बोला कि क्या अच्छा नहीं लगता सब सही है ! जब तक रह सकती हो रहो ! मैंने कहा ठीक है फिर मुझे अपने और भी कपडे लाने होंगे ! वरुण बोला ठीक है मैं तुम्हे ले जाऊंगा ! जो कुछ भी लाना होगा ले आना ! मैंने सोचा यह लोग मुझे जल्दी से नहीं भेजने वाले ! पर मैं भी कहाँ जाना चाहती थी ! 


अगले दीं से तीनो टाइम का खाना मैंने बनाना शुरू कर दिया जिसे देख के ऑन्टी बहुत खुश थीं और बोलीं के आजकल लड़कियों को यह सब करने का कहाँ शौक होता है ! तुम्हे चाव है इसीलिए तुम इतना अच्छा खाना बना लेती हो ! दोपहर के खाने के बाद ऑन्टी के पेट में हल्का सा दर्द हुआ ! वो ऊपर अपने बैडरूम में जाकर लेट गयीं ! मैं पहले शाम को उनके लिए चाय लेकर गयी ! उनके साथ थोड़ा समय बिताया ! उनको भी मेरा साथ अच्छा लग रहा था और आज तो उन्होंने मुझे बोल ही दिया कि मुझे तुम जैसी ही बहु चाहिए ! मैंने कहा आपको तो मुझसे भी अच्छी बहु मिलेगी क्यूंकि आप सबका स्वाभाव इतना अच्छा जो है ! तो वो बोली तुमसे अच्छी नहीं तुम्हारे जैसी चाहिए मुझे तो ! मैं बस मुस्कुरा ही सकी ! थोड़ी देर बाद नीचे आयी तो वरुण मुझसे बोला कि आओ तुम्हारा सामान ले आते हैं ! मेरे मुँह से निकल गया नहीं आज मम्मी की तबियत ठीक नहीं हैं उनके ठीक होने पर ले आएंगे ! वो तो बात पकड़ने में माहिर था ! बोला कि तुम्हारी थोड़ी मेरी मम्मी है तुम्हारी तो ऑन्टी है ! मैं हंसने लगी कि उनसे ही पूछ लो पहले किसकी मम्मी हैं क्यूंकि हर वक्त तो मुझे बेटी कह कर बुलाती हैं ! तो वरुण बोला कि मैं बस मज़ाक कर रहा था ! मैंने भी बोल दिया ठीक है छिपकली ! उसने मेरा हाथ पकड़ा और थोड़ा सा मरोड़ दिया ! मेरी चीख सी निकल पड़ी ! अंकल बोले क्या हुआ मैंने कहा कुछ नहीं अंकल वो मेरा पैर किसी चुभने वाली चीज पे आ गया था ! वो बोले ध्यान से बेटा ! वरुण बोला सच क्यों नहीं बताया ! मैंने हँसते हुए कहा कि तुम्हारी पिटाई हो जाती ! वो भी हंसने लगा ! 


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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 6 )

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ऑन्टी अभी पूरी तरह से ठीक नहीं थे तो मैंने उनके लिए खिचड़ी बनाई ! वैसे मैंने खुद कि लिए भी वही बनाई ताकि ऑन्टी को खाने में साथ मिल जाये ! मैंने पहले उन दोनों को खाना दिया ! वरुण बोला तुमने नहीं खाना तो मैंने बोला कि मैं ऑन्टी के साथ खाउंगी तो उन दोनों ने खाना खा लिया ! उनके बाद मैं दोनों के लिए खिचड़ी लेकर ऊपर गयी ! ऑन्टी ने देखा मैं भी खिचड़ी ले रही हूँ ! उन्होंने कहा कि पहले तो तुम्हे उनके साथ खाना चाहिए था फिर तुम यह बीमारों वाला खाना क्यों खा रही हो ! मैं बोली ऑन्टी बीमारों वाला नहीं यह तो बल्कि स्वस्थ रखने वाला खाना है और मुझे खिचड़ी पसंद भी है ! ऑन्टी ने मुझे अपने पास बिठाया ! हम दोनों ने खाना शुरू किया तो ऑन्टी बोले लाजवाब तुम तो खिचड़ी जैसी चीज में भी मटर पनीर वाला स्वाद ला सकती हो कहाँ से सीखा यह सब ! मैं बोली मेरी माँ खाना बनाने में काफी निपुण हैं उन्ही से सीखा तो ऑन्टी बोली कि उनसे मिलना पड़ेगा फिर तो किसी दीं ! मैंने कहा कि हाँ हाँ उनको सब कुछ खुलने के बाद आपको कभी भी मिलवा दूंगी ! ऑन्टी बोले ठीक है बेटा अब तुम खा लो आराम से !


मैं ऊपर से नीचे आ रही थी ! अभी दूसरी सीढी पर कदम भी नहीं रखा था कि नीचे से वरुण एकदम चिल्लाया कि देखो तुम्हारे ऊपर क्या है? मैंने अचानक ऊपर देखा और मेरा पैर सीढी की बजाये हवा में रखा गया और मैं धड़ाम नीचे ! मेरे हाथ में बर्तन मुझसे भी पहले नीचे आये ! वरुण ने बिजली सी फुर्ती से मुझे पकड़ने की कोशिश की पर पकड़ नहीं पाया और गिरते गिरते मेरे बाएं पैर और टांग पर मोच आ गयी और सीढ़ियों से कोई तीखी चीज भी टकरा गयी ! मेरी तंग लहू लुहान थी ! मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि हुआ क्या था ! और वहां था भी कुछ नहीं ! वरुण को अपने ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था ! उसने मुझे फटाफट उठाया और पास ही पड़े सोफे पर लेता दिया ऊपर से ऑन्टी और नीचे अंकल भी आ गए थे ! किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ ! तब पता चला कि वरुण ने बदला लेने के लिए मज़ाक किया था जिसका भुगतान मुझे करना पड़ा ! वरुण ने अपने डॉक्टरों दोस्त को फ़ोन करके कोई एम्बुलेंस के लिए बोला तो डॉक्टर दोस्त ने कहा कि इस माहौल में हॉस्पिटल ले जाना ठीक नहीं मैं एक हड्डियों वाले स्पेशलिस्ट को लेकर खुद ही आ रहा हूँ और जरुरी जरुरी सारा सामान भी ले आऊंगा ! सफ़ेद रंग का सोफे मेरे खून से एकदम लाल हो गया था ! वरुण को अपने आप पर खूब गुस्सा आ रहा था ! अंकल ने तो उसे खूब डांटा ऑन्टी मेरा सर अपनी गोद में लेकर बैठी थीं ! उन्होंने कहा कि अब जो होना था हो गया ! अब जल्द से जल्द पहले इसका इलाज करवाओ फिर तुम्हारी अच्छे से खिंचाई होगी ! मैं दर्द से कराह रही थी पर फिर भी बोली कि उसने जान बूझकर तो किया नहीं इसलिए इस बात को यहीं छोड़ दीजिये !


डॉक्टर आये पैर का जख्म ज्यादा था पर मोच को उन्होंने ऐसे ही ठीक कर दिया ! लेकिन साथ ही 10 - 15 के लिए आराम करने को बोला ! वरुण बोला कि आप चिंता ना करो मैं इन्हे बिलकुल भी हिलने नहीं दूंगा ! उनके जाने के बाद मैंने कहा मैं अब और काफी दिनों के लिए आप पर बोझ बन गयी हूँ ! ऑन्टी बोली कि तुम बोझ कहाँ हो ! तुम्हारे आने से तो हम लोगों का इस LOCKDOWN में कितना मन लग गया था ! पर अब यह वरुण का बच्चा ही तुम्हारा ध्यान रखेगा ! अब वरुण को अपनी गलती का एहसास था इसलिए मीशा के सामने हाथ जोड़कर माफ़ी मांगने लगा ! मैंने कहा इतना पराया ना करो मुझे इस तरह हाथ जोड़ के ! ऑन्टी बोली कि कोई बात नहीं आगे से ध्यान रखना कि इसे कोई परेशानी ना हो ! पर हाँ इसका तुम्हे अब हर पल ध्यान रखना होगा ! वरुण बोला मैं इसकी एक एक चीज का ध्यान रखूँगा ! पर मैं सोच रही थी कि कुछ चीजें तो ऐसी हैं जो मैं इसे नहीं बोल सकती ! कैसे होगा सब ! मैंने सोचा मुझे  इस बारे ऑन्टी से बोलना ही पड़ेगा ! वरुण के जाने के बाद ऑन्टी बोलीं कि चिंता ना करो मैं हूँ तुम्हारे लिए और दीं में एक लड़की की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर ही लगाती हूँ ! मैं अब जैसे अपना दर्द ही भूल गयी थी यह सोचकर कि इन सबका स्वाभाव कितना अच्छा है ! 


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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 7 )


ऑन्टी ने मेरी सारी जरूरतें पूरी की और मेरे कहने पर बड़ी मुश्किल से अपने रूम में गए और वरुण ने आकर उनकी जगह संभाल ली और बोला कि वो आज वहीँ रहने वाला है उसके साथ ! मैं सुन कर हैरान हुई कि वो रात को मेरे कमरे में रहेगा? मैंने उसे कहा भी तो उसने कहा कि चिंता ना करो मैं सामने सोफे पर पडूंगा पर मुझे रुकना होगा तुम्हारा ध्यान जो रखना है ! मैं कुछ नहीं बोल सकी ! वैसे अभी नींद भी नहीं आयी थी तो मैंने उसे अभी बैठने को ही बोला ! वो मेरे पास ही बैठता था ! वो बहुत दुखी था कि उसकी वजह से मुझे चोट लग गयी ! मैंने कहा कि अब छोड़ भी दो वो बात ! फिर बोला कि अब तो उसका बदला चुकता हो गया ना ! वो फिर से शर्मिंदा हो गया और फिर से माफ़ी मांगने लगा ! मैंने कहा कि मैं तो मज़ाक कर रही थी अब फिर से माफ़ी ना मांगना ! माँ का फ़ोन आया तो मैंने उन्हें चोट के बारे बताया ! पर यह नहीं बताया के वरुण ने मज़ाक किया था ! वो अब चिंता कर रही थीं मैंने कहा कोई बात नहीं यहाँ सब लोग हैं मेरी देखभाल के लिए ! वरुण भी मेरी बातें सुन रहा था उसने कहा कि अगर वो चाहे तो वो बाहर जा सकता था ! पर मैंने उसको वहीँ बैठने को कहा! 


हम काफी देर से बातें कर रहे थे ! आज पहली बार वरुण ने मुझे पूछा कि मेरी ज़िन्दगी में कोई है मैंने कहा अभी तक तो कोई नहीं है ! यही सवाल मैंने वरुण से किया तो उसने कहा कि उसका भी किसी से कोई गंभीर रिश्ता नहीं है ! पर वो उसने कहा कि उसे अब कोई चाहिए उसकी ज़िन्दगी में ! तो मैंने पूछा कि उसने किसी को देख रखा है क्या ! बोला ऐसी कोई बात नहीं है जब कुछ होगा तो बता देगा ! उसने टाल सा दिया ! थोड़ी देर बातें हुई फिर उन्होंने सोने का सोचा ! वरुण ने मुझसे पूछा कि किसी चीज की जरुरत हो तो बोल दो ! मैंने मन कर दिया ! थोड़ी देर बाद मुझे वाशरूम जाने की इच्छा हुई ! वरुण सोफे पर लेता सो रहा था ! मैं सोच रही थी कि कैसे जाऊं ! उसको बोल नहीं सकती थी और अपने आप जाने की अब ही हिम्मत नहीं थी ! वैसे अब तक दर्द तो थोड़ा काम हो गया था पर फिर भी मुझे लगा कि चलने से दर्द बढ़ सकता है ! पर जरुरत थी तो हिम्मत करके थोड़ा खड़ी हुई और दो चार कदम चले ! पर रौशनी काम थी तो पता नहीं जूता था या क्या मैं अटक के गिर गयी और मुँह से चीख सी निकली ! वरुण एकदम से उठ खड़ा हुआ ! वो गुस्से होने लगा के मैंने उसे जगाया क्यों नहीं ! मैंने बहाना बनाया कि मैं उसकी नींद नहीं ख़राब करना चाहती थी ! उसने कहा कि मेरी जरुरत के आगे उसकी नींद कुछ नहीं थी ! और मेरा एक हाथ अपने कंधे पे रखा और दूसरा हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे वाशरूम तक पहुंचाया ! मैं निवृत्त होकर वापिस आयी तो वो फिर से मेरे पास बैठ गया और बोला कि अगर मुझे सही नहीं लग रहा तो कल से मम्मी  मेरे साथ सो जाएँगी ! मैंने उसे कहा कि नहीं मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है ! 


सुबह उठे तो मैंने देखा कि वरुण मेरे  पास ही लेटा हुआ था शायद बैठे बैठे सो गया होगा ! मैंने उसे जगाया तो उसे भी हैरानी हुई और बहुत शर्मिंदा हुआ ! मैंने कहा कि शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं हम दोनों को ही पता नहीं चला कि हम लोग कब सो गए थे ! वो मुझे फिर से वाशरूम लेकर गया और फिर मुझे वापिस बेड पर पहुँचाया ! फिर बाहर गया और लड़की को भेजा मेरे पास कि सारा दिन मेरे पास रहेगी मेरी जरुरत पूरी करने के लिए !  मेरा इतना ध्यान आज तक किसी ने नहीं रखा था ! ऑन्टी भी मेरे पास आ गयी थीं ! मैंने उन्हें उनकी तबियत के बारे में पूछा उन्होंने कहा के उनकी तो तबियत ठीक है पर मैं कैसी हूँ ! मैंने कहा अब तो दर्द काफी काम है ! शायद एक दो दिन में ठीक हो जायेगा ! ऑन्टी ने मुस्करा कर मेरे सर पे हाथ फेरा ! आज पहली बार वो मुझे मेरे माँ जैसी लग रही थीं ! मैंने उनके कहने से अपनी माँ और उनकी बात करवाई ! ऑन्टी ने माँ को बोला कि वो अपनी बेटी की चिंता ना करें ! वो मेरा पूरा ख्याल रखेंगे ! माँ ने उधर से बोला कि उनके रहते उन्हें अपनी बेटी की चिंता नहीं है ! 


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Posted: 3 years ago

LOVE IN CORONA (भाग 7 )

                                                                   ::2::


मैं अब चलने की कोशिश कर रही थी कि पीछे से किसी ने मुझे पकड़ा ! मैंने देखा यह वरुण था ! मैं लॉबी में चलकर देख रही थी ! वरुण ने मुझे सोफे पे बिठाया और बोला कि ज्यादा चलने की जरुरत नहीं है अभी आराम करो ! मैंने कहा मैं अब ठीक हूँ ! उसने कहा कि नहीं जब तक मैं नहीं कहता तब तक चलने की कोशिश नहीं करना ! मैंने हाथ जोड़ते कहा कि कहा ठीक है महाराज जैसी आपकी आज्ञा ! वो हंस दिया ! उसने मुझे एक तरफ से पकड़ा और अपनी तरफ खिंच लिया ! यह क्या किया था इसने ! मुझे थोड़ा अजीब लगा ! उसने भी महसूस किया ! फिर वहां से उठ कर रसोई में गया और हम दोनों के लिए चाय लाया ! हमने चाय पी उसने मुझे दर्द के बारे में पूछा तो मैंने उसे बोला के बहुत कम है ! चाय पीने के बाद उसने मुझे आराम करने को बोला ! मैं चलने लगी तो उसने मुझे एक तरफ से पकड़ लिया और सहारा देकर अंदर ले गया ! जब लड़की मेरे पास आयी तो उसने कहा कि वो अभी चली जाये जब जरुरत होगी तो उसे बुला लेगा ! मैंने एक बात महसूस की थी कि उसे मेरा साथ बहुत अच्छा लगता था पर वो मुझे कुछ बोलता क्यों नहीं था ! शाम तक मैं काफी हद तक ठीक महसूस कर रही थी ! रात खाने के बाद मैंने वरुण को बोला कि अब मुझे अपने घर चले जाना चाहिए ! वरुण बोला कि अभी तो तुम ठीक भी नहीं हो और यहाँ तुम्हे परेशानी क्या है ! मैंने कहा कि परेशानी वाली कोई बात नहीं है ! पर केवल दोस्ती कि नाते मैं कब तक तुम्हारे घर पर रह सकती हूँ ! वरुण सोच में पड़ गया! 

वो सामने कुर्सी पर बैठा था चुपचाप ! हमारी 2 घंटे से कोई बात नहीं हुई थी ! आखिर चुपचाप कितनी देर बैठते ! मैंने ही चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि क्या सोच रहे हो इतनी देर से ! अगर कोई बात नहीं करनी तो सो जाओ ना ! वो मेरे पास आकर बोला कि तुम कुछ दिन और नहीं रुक सकती ! मैंने कहा कि ऐसे कैसे मैं उसके घर रह सकती हूँ और कितनी देर ! आखिर तो मुझे जाना ही है ना ! वरुण बोला कि तुम्हारी बात सही है पर मैं अभी नहीं चाहता तुम जाओ ! मैंने कहा क्यों, तुम क्यों नहीं चाहते ! उसने कहा मुझे नहीं पता ! मैंने कहा सबको एक दिन अपने घर जाना पड़ता है आखिर कितने दिन किसी के घर रह सकता है कोई ! तो वरुण बोला कि यह किसी का घर नहीं है यह तुम्हारे दोस्त का घर है तो मैं बोली कि एक लड़की अपने लड़के दोस्त के घर बहुत ज्यादा दिन नहीं रह सकती यह मर्यादा के विरुद्ध है ! वरुण बोला बात तो तुम्हारी सही है पर इसका हल क्या है ? मैंने सोचा मैं क्यों बोलो कि इसका क्या हल है ! वरुण मेरा हाथ पकड़ते हुए बोला कि इसका एक हल है ! मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी थी ! ऑंखें जैसे बंद हो गयीं थी ! मुझे लग रहा था कि वरुण कुछ बोलने वाला है ! मैंने पूछा नहीं कि क्या हल है ! वो खुद ही बोल रहा था बोला कि इसका एक ही हल है तुम सदा सदा के लिए मेरे घर में रह जाओ ! आखिर उसने बोल ही दिया ! पर मैंने बनते हुए ऑंखें खोल के बोला कि यह कैसे हो सकता है मैं तो अपने पति के घर रहूंगी तुम्हारे घर क्यों रहूंगी ! तो वरुण बोला कि वो तो मैं भी हो सकता हूँ ना ! अब मेरी आँखों में आंसू आ गए ! तो वरुण बोला कि अगर मुझे वो पसंद नहीं तो वो अपनी राय बता सकती है ! मैंने रोते हुए बोला कि मैं तो कब से यह सुनना चाह रही थी ! वरुण बोला कि पहले बोल क्यों नहीं दिया ! मैंने कहा कि मुझे तुम्हारी और अपनी हैसियत कि फर्क ने रोक दिया ! मैं रोये जा रही थी ! वो मेरे बिलकुल पास बैठा मेरा सर अपने कंधे के पास लेकर आया और अपनी छाती पे टिका दिया ! मैं रो रही थी पर वो मुझे रोक नहीं रहा था ! आंसू भी कितने अजीब हैं ना ख़ुशी और गम दोनों में इनका आना लाज़मी है ! आज मैं बहुत खुश थी ! मुझे मेरी मनचाही मुराद मिल गयी थी ! वो कितनी ही देर उसी अवस्था में बैठा रहा ! मैंने भी उसे उठने को नहीं बोला ! फिर वो उठा, उसने मुझे पूछा कि मुझे वाशरूम तो नहीं जाना ! मुझे जाना था, मैं उसका सहारा लेकर चली ! अब उसके सहारे चलते हुए मुझे कुछ भी अजीब नहीं लग रहा था ! अब वो मुझे मेरा अपना सा लग रहा था ! 


सुबह उठी, पूरी दुनिया के लिए यह एक आम सुबह थी ! पर मेरे लिए एक नए जीवन की शुरुआत थी ! सुबह माँ का फ़ोन आया मेरा हाल चल पूछने को ! मैंने उन्हें बताया कि उसने मुझे बोल दिया है ! अपना हाल चल बताने की जगह मैंने उसका प्यार का इज़हार करने वाली बात बताना ज्यादा जरुरी समझा ! माँ बहुत ज्यादा खुश हुई ! एक माँ के लिए इससे बड़ी ख़ुशी और क्या हो सकती है कि उसकी बेटी को एक ऐसा परिवार मिल जाये जो उसे सर आँखों पर बिठा के रखे ! 


ऑन्टी ने मुझे बाहर बुलाया खाने के लिए ! मैं आयी सब लोग बैठे थे पहले से ही ! वरुण मुस्कुरा रहा था ! ऑन्टी ने पूछा कि कुछ खास खाने की इच्छा हो तो बोल दे वही बन जायेगा ! मैंने कहा नहीं ऑन्टी जो बना है वही खाउंगी ! तो ऑन्टी बोली अब तो मम्मी बोल दे ! क्यों ड्रामा कर रहे हो तुम लोग ! अंकल भी हंसने लगे ! मुझे शरम आ गयी ! ऑन्टी बोली कि इतना ना शर्माओ इतने दिन से इस घर में हो हमारा स्वाभाव अभी भी पता नहीं चला ! अब तुम भी इस घर की सदस्य बनने जा रही हो ! अपने घर का पता वरुण को बताओ वो तुम्हारे माँ बाप को ले आएगा ! फिर हमें आगे की बात भी तो करनी है ! मैंने कहा कि वो लोग आ जायेंगे ! मैंने माँ से फ़ोन पे इस बारे में बात की और उनकी बात ऑन्टी से करवाई ! ऑन्टी बोले कि हमें आपकी बेटी चाहिए सदा सदा के लिए तो माँ बोली कि यह तो पहले से ही आपकी है ! उन्होंने अगले रविवार आने को बोल कि फ़ोन रख दिया ! मैंने उठ कर ऑन्टी और अंकल के पैर छुए उन्होंने मुझे बहुत सारा आशीर्वाद दिया ! एक ही दिन में इस घर में मेरी स्थिति कितनी बदल गयी थी ! एक मेहमान अब मालकिन बनने जा रही थी ! 


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