My Short Hindi Stories - Page 2

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Posted: 3 years ago

PLEASE PLEASE FRIENDS APNA REVIEW JAROOR DENA KE AAPKO KAHANI KAISI LAGI AUR AGAR AAP LOGON KO LAGTA HAI KE KAHIN KAMI RAHI TO JARUR BATANA PLEASE

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Posted: 3 years ago

Hello dosto,

kaise ho aap log?


meri pichhli kahaniyan kaisi lagi mujhe jarur batana. meri agli kahani ek aisi ladki ki kahani hai jisne apne maa baap ke sapne ko poora karne ke liye aisa tyag kiya ke uska vyaktitva hi badal gya, yeh kahani ek bilkul sachchi ghatna par adharit hai, prantu maine isme kafi fer badal kar diya hai kyunki main nahi chahta ke meri wajah se us mahan ladki ke jeevan mein kuchh bhi bura ho. please intzaar kijiye. shayad aap logon ko pehla bhaag aaj padhne ko mil jaye. mujhe asha hai ke aapko yeh kahani bahut pasand ayegi,

dhanyavad sahit

aapka

chander kant mittal

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग 

जहाँ आज के ज़माने में भी लड़कियों को उतनी इज़्ज़त और बराबरी का दर्जा उस तरह से प्राप्त नहीं  जैसे कि लड़कों को है, लड़कियां आज भी बेधड़क अकेले बहार निकलने से डरती हैं और वह अपनी ज़िन्दगी को उस तरह से खुल कि नहीं जी पाती जैसे कि लड़के, वहां इसी धरती पर एक परिवार, जिसने एक ऐसा कदम उठाया जो पश्चिमी देशों में चाहे कोई उठा ले पर इस देश में तो शायद ही कोई ऐसा करने कि बारे में सोच सकता हो ! जी हाँ ऐसा हुआ और इसी धरती पर हुआ ! यह सिर्फ एक सोच का ही तो फर्क है, कभी तो कोई शुरुआत होती है और एक बार जब कोई शुरुआत होती है तो पहले तो लोग उस बदलाव को जल्दी से स्वीकार नहीं करते लेकिन फिर धीरे धीरे वो उस समाज की सोच का हिस्सा बन जाता है ! हाँ तो मैं कह रही थी कि इस धरती पे ऐसा कुछ हुआ जो शायद ही कोई सोच सकता हो ! यह कोई सुनी सुनाई कहानी नहीं है, यह मेरी आप बीती कथा है, जी हाँ यह मेरी ही कहानी है ! चलो मैं अपने बारे में कुछ बताऊँ, मैं मनजोत कौर, पंजाब कि प्रसिद्ध शहर जालंधर से हूँ ! यह कहानी मेरे माँ बाप कि एक ऐसे सपने को पूरा करने कि बारे में है ! जिसे केवल मैं ही पूरा कर सकती थी ! उनके इस सपने ने मेरी पहचान ही बदल दी ! मैं वो नहीं रही जो कि मैं थी, पर उन महान माँ बाप कि लिए यह सब करना मेरे लिए गर्व की बात है ! अब मैं पहले आपको उस ज़माने में ले कि चलती हूँ जिस ज़माने में इस सपने की नींव राखी गयी थी !

आज सरदार बलवंत सिंह कि लिए कितना खुशिओं वाला दिन था बड़े बेटे दविंदर का विवाह मोहाली कि सरदार सुरजीत सिंह की बेटी मंजीत के साथ हुआ था और अभी अभी बरात घर वापिस लौटी थी ! चारों तरफ खूब चहल पहल थी ! औरतें मिलकर विवाह के गीत गा रही थीं! सरदार बलवंत सिंह की ख़ुशी का ठिकाना न था ! आखिर उनके घर पहला खुशियों का इतना बड़ा कार्यक्रम हुआ था ! दविंदर सिंह बिजली बोर्ड में एक क्लर्क थे और मंजीत कौर एक सरकारी अध्यापिका थीं! दोनों की जोड़ी खूब जांच रही थी ! औरतें आपस में खुसर पुसर भी कर रही थीं के बलवंत सिंह की बहु तो बहुत सुन्दर है! दूसरी कहती के लड़का भी कहाँ किसी से काम है, लड़का भी तो लाखों में एक है ! ऐसे ही शगुन शास्त्र में कब रात हो गयी पता ही नहीं चला ! दविंदर बार बार उस कमरे के पास से गुजर रहा था जिसमे मंजीत दुल्हन के लिबास में सजी संवरी बैठी थी! और वो उसकी एक झलक पाने को तरस रहा था ! मंजीत की भी एक बार उन पर नज़र पड़ी तो उसने शरमा के नज़रें झुका ली ! रात को दोस्तों के साथ बैठना हुआ ! वैसे तो उनके साथ बातें और हंसी ठिठोली हो रही थी पर ध्यान अपनी नयी नवेली दुल्हन की तरफ ही था, के उनकी पहली मुलाकात में क्या क्या होगा, क्या पहली रात में ही मुझे उसके साथ अपनी हर बात साँझा करनी चाहिए? वह यह सब सोच रहे थे और उनका एक दोस्त उन्हें बार बार बुला रहा था, पर उन्हें सुनाई कहाँ दे रहा था! तो उस दोस्त ने उन्हें झिंझोड़ा और पूछा के कहाँ गम है ! तो उन्हें पहले तो बड़ी शरम सी आयी पर फिर बात बदलते हुए बोले कि कल काफी काम होगा कितना कुछ करना होगा, टैंट का सामान वापिस करना है, गुरूद्वारे में बर्तन वापिस करके आने हैं! सब लोगों का हिसाब करना है! मेहमानो की भी देखभाल करनी है! तो दोस्त बोले कि यह सब कामों की तो चिंता न कर तुम तो बस भाभी की चिंता करो और यह सुनते ही सब दोस्त एकदम से हंस पड़े ! यह वो वक्त था जब दोस्त लोग ही शादी व्याह की पूरी तैयारी करते थे और घर के लोगों को शादी से सम्बंधित किसी भी काम को देखने की जरुरत नहीं होती थी! और सस्ते में ही पूरा काम निपट जाता था ! दोस्त लोग सिर्फ टैंट वाले, बर्तन वाले या राशन वाले ही काम नहीं करते थे बल्कि दूल्हे की सेज सजाना भी उनका ही काम था और दविंदर के दोस्तों ने यह काम भी बखूबी किया था! उस ज़माने के साधनो के हिसाब से खूब सजाया था उनका कमरा (पहले उसका कमरा था अब उनका कमरा बन गया था !)

रात हुई, भाभियों ने खूब बातें समझायीं, खूब हंसी मज़ाक किया, उधर दुल्हन को भी खूब पट्टियां पढाई थी!  और वह समय आ गया जिसका के दविंदर को बेसब्री से इंतज़ार था ! उसका अपनी मंजीत से पहला मिलन ! उसने दरवाजा खोला और देखा के दुल्हन बिस्तर पर एक तरफ बैठी थी, गुलाबी सूट में गोरा रंग और निखार रहा था, सर पर दुपट्टा ओढ़ा हुआ था और गहने से पूरी तरह सजी हुई थी! उसको देखकर वो थोड़ा और संभल कर बैठ गयी! उसके आते ही उसने हाथ जोड़ दिए पर बोली कुछ नहीं ! दविंदर ने कोशिश करके सत श्री अकाल बोल कर उसके अभिवादन का जवाब दिया ! और पास जाकर बैठ गया ! मंजीत ने पास पड़े दूध के गिलास की तरफ इशारा किया तो दविंदर ने गिलास उठाया और पूछा के आप नहीं लोगी तो मंजीत ने ना में सर हिला दिया! दविंदर ने फिर कहा के हम इसी में से शेयर कर लेंगे तो अब मंजीत पहली बार बोली कि उनकी भाभिओं ने उसे पहले ही काफी कुछ खिला पीला दिया था और थोड़ा दूध भी दिया था! तो दविंदर ने कहा कुछ तो मेरे साथ भी लेना पड़ेगा तो मंजीत बोली कि ठीक है ! मंजीत भी मन ही मन सोच रही थी कि दिल का तो साफ़ लग रहा है ! जब लड़की अपना घर छोड़ के ससुराल जाती है तो उसे बस इसी बात की चिंता होती है के ससुराल वालों का स्वाभाव कैसा होगा और सबसे ज्यादा उसे अपने पाती के स्वाभाव की चिंता होती है और यदि पाती साथ देने वाला हो तो ज़िन्दगी एकदम ख़ुशी ख़ुशी बीतती है ! दविंदर सोच रहा था कि बातचीत कहाँ से शुरू की जाये तो उसने उससे पूछा कि उसे कोई दिक्कत तो महसूस नहीं हो रही तो मंजीत ने कहा कि अभी तो सब ठीक चल रहा है क्यूंकि शादी वाला माहौल है सब लोग हैं और बार बार उसे पूछ रहे हैं तो दिक्कत तो कोई नहीं है! फिर बात हुई कि मंजीत को क्या क्या पसंद और न पसंद है? मंजीत थोड़ा शरमा रही थी तो दविंदर ने उसे कहा कि वो खुल कर बात करे क्यूंकि अब वे दोनों पति पत्नी थे और दुनिया में दोस्ती कि साथ साथ पति पत्नी का रिश्ता ऐसा है कि हर बात खुल कर की जा सकती है ! सुनकर मन ही मन मंजीत को तसल्ली हुई कि उसका पति दिल का साफ़ होने कि साथ साथ समझदार भी है! मंजीत ने बताया कि उसे बताया कि उसे ड्राइंग करना, घूमना फिरना और संगीत पसंद है! उसे सबसे ज्यादा चिढ झूठ से होती है और हाँ (उसने मुस्कुराते हुए अपनी पति की तरफ देखते हुए कहा) उसे खर्राटे थोड़ा परेशान करते हैं तो दविंदर ने हँसते हुए कहा कि खर्राटे तो वो भरता है! तो मंजीत ने कहा कि चलो इस मामले में तो चला लेंगे पर झूठ न बोलियेगा ! दविंदर ने कहा कि झूठ बोलना उसकी फितरत नहीं है, इस बात की उसे कभी शिकायत नहीं रहेगी! मंजीत यह सुनकर बहुत खुश हो गयी! अब वे दोनों थोड़ा खुल गए थे! मंजीत ने भी दविंदर से पूछा कि उनकी पसंद न पसंद क्या है तो दविंदर ने बताया कि शुरू से क्रिकेट और कबड्डी उसके पसंदीदा खेल रहे हैं, पंजाबी गाने उसको बहुत पसंद हैं और उसकी बात को काटना उसको पसंद नहीं है! मंजीत ने विश्वास दिलाया कि वो उसकी बात कभी नहीं कटेगी! हाँ काटी तो उसे याद दिला दीजिये ताकि वो अपनी गलती सुधार सके ! अब इधर उधर की बातें होती रही तो बात बच्चों तक पहुंच गयी तो दविंदर ने मंजीत से पूछा कि उसे पहला बच्चा क्या चाहिए तो मंजीत ने तपाक से जवाब दिया कि उसे तो पहले लड़की चाहिए! सुन कर दविंदर खुश हुआ कि उसे भी पहला बच्चा लड़की ही चाहिए! दविंदर ने उसे कहा कि उसे अब इसे ही अपना घर मानना है और उसे किसी भी किस्म की कोई दिक्कत हो तो वो उसे बेजिझक बोल सकती है! मंजीत ने भी कहा कि अब यही उसका घर है और वो पूरी तरह से कोशिश करेगी कि घर कि सभी सदस्यों कि दिल में बस जाये और जॉब कि साथ साथ पूरा घर संभल ले ! दविंदर भी मन ही मन सोच रहा था कि मंजीत काफी समझदार है ! वो अब थोड़ा आगे बढ़ा और धीरे से उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया ! मंजीत को अब थोड़ी शरम आ रही थी ! फिर वे दोनों प्यार कि गहरे सागर में डूब गए! 

इस तरह कई महीने बीत गए! मंजीत ने अपनी ट्रांसफर जालंधर करवा ली ! घर कि सभी सदस्यों कि साथ वो ऐसे घुल मिल गयी जैसे कि वो उसे काफी टाइम से एक दुसरे को जानते हों!  सब कुछ अच्छे से गुजर रहा था और फिर उन लोगों कि पता चला कि मंजीत गर्भवती है ! दविंदर ने अब उसका और भी ध्यान रखना शुरू कर दिया ! उसकी माँ उसको कोई काम ही नहीं करने देती थी और कहती कि वो अपने खाने पीने का अच्छे से ध्यान रखे ! वो खुद उसे हर वो चीज देतीं जो उस दौरान उसके लिए जरुरी था! दविंदर उसे समय अनुसार डाक्टरी चेकअप कि लिए लेकर जाता और डॉक्टर द्वारा बताई दवाएं खुद ही समय अनुसार उसको देता ! इस तरह समय पूरा हुआ और वो दिन आया जिस दिन का सबको इंतज़ार था! सरदार बलवंत सिंह और उनकी पत्नी आज सुबह ही गुरूद्वारे गए और अपनी बहुत और आने वाले बच्चे कि लिए अरदास करवाई ! दविंदर वहीँ उसके पास था और वहीँ से वाहेगुरु से प्रार्थना कर रहा था कि उसकी पत्नी और बच्चा दोनों स्वस्थ हों! वो समय आया जब मंजीत को ले जाया गया और यह अच्छी बात थी कि ऑपरेशन की जरुरत नहीं पड़ी और थोड़ी ही देर बाद नर्स ने बधाई देते हुए कहा कि उसको बेटा हुआ है ! दविंदर बहुत खुश हुआ! हालाँकि यह उन लोगों की इच्छा अनुसार नहीं था परन्तु फिर भी पहला बच्चा होने की उसे बहुत ख़ुशी थी और उसने नर्स से बच्चे से पहले उसकी माँ कि बारे में पूछा कि उसकी पत्नी तो ठीक है ना तो नर्स ने कहा कि हाँ माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और अगले ही दिन छुट्टी होने की बात भी कही! दविंदर ने यह खुशखबरी अपने घर पे और फिर अपने दोस्तों को दी! मंजीत को वार्ड में शिफ्ट किया गया ! दविंदर जाकर उसके बगल में बैठ गया  और उसे बधाई देते हुए कहा कि उसके बेटे की बधाई तो मंजीत ने बधाई स्वीकार की और साथ ही यह भी कहा कि पर उन्होंने बेटी सोची थी तो उस पर दविंदर ने चुटकी लेते हुए कहा कि कोई बात नहीं बेटी अगली बार सही! मंजीत को लेकिन मन ही मन एक बात महसूस हो रही थी कि उसे बेटी ही होनी चाहिए थी ! क्यूंकि शुरू से ही उसका सपना था कि उसे पहली बेटी हो! लेकिन फिर उसने सोचा कि भगवान की मर्जी कि बिना तो पत्ता भी नहीं हिल सकता तो उसने जो सोचा होगा सही ही सोचा होगा! मंजीत को अगले दिन छुट्टी मिल गयी! और घर पे उसकी सास ने तेल चो कर उसका और नव जन्मे बच्चे का स्वागत किया ! मोहल्ले की औरतें इकठ्ठी  हो गयी थी ! हर कोई उन लोगों को बधाई दे रहा था ! इस तरह से उनके घर एक नया सदस्य आ गया था पर यह वो नहीं था जिसका उन्हें इंतज़ार था यह एक लड़का था.......बाकि अगले भाग में.....क्रमशः !

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग  (भाग 2)

जल्द ही वह लड़का परिवार का हिस्सा बन गया! दादा दादी तो बहुत खुश थे कि उन्हें पोते कि साथ खेलने को मिल रहा था ! वह लोग भी खुश थे अपने पहले बच्चे कि जन्म पर ! परन्तु फिर से वह इच्छा जागृत हो गयी कि उन्हें एक लड़की चाहिए थी! दविंदर और मंजीत में आपस में बहुत प्यार था! दोनों की एक सोच ! एक दुसरे की बात को कभी टालते नहीं थे! बच्चे कि प्यार में दोनों इतने खो गए थे कि कुछ समय के लिए दोनों लड़की वाली बात को भूल गए थे ! फिर एक दिन मंजीत ने दविंदर को फिर छेड़ा कि उसे तो लड़की चाहिए ही ! तो दविंदर ने उसे विश्वास दिलाया कि चिंता न करो अगला बच्चा लड़की ही होगी! कुछ दिनों कि लिए वो लोग भूल जाते लेकिन फिर मंजीत उस बात को दोहराने लग जाती ! अब दविंदर को लगा कि मंजीत इस मामले में काफी गंभीर है ! लड़की तो दविंदर को भी चाहिए थी परन्तु दविंदर उस जितना नहीं सोचता था ! लड़का बड़ा होने लगा और उसने सबको इतना मोह लिया कि कोई भी उसके बिना सोच नहीं सकता था ! चाहे मंजीत को लड़की की जितनी भी इच्छा थी पर वो लोग दुसरे बच्चा थोड़ी देर बाद चाहते थे ! इसके पीछे दो कारण थे ! एक तो उनको दो बच्चों की परवरिश में परेशानी होती दुसरे मंजीत की नौकरी भी अभी नयी ही थी और वो अपने काम का नुक्सान नहीं करना चाहती थी ! तो इस तरह से कुछ समय और निकल गया और एक दिन उनको पता चलता है कि मंजीत फिर से गर्भवती है ! पहले तो मंजीत ने सोचा कि वो इस बच्चे को ना आने दे पर उन दोनों ने यही तय किया कि अब हो ही गया है तो हम लोग भगवान के विरुद्ध जाकर उस बच्चे की जान नहीं लेंगे जिसने अभी इस दुनिआ के देखा भी नहीं है ! तो यही तय हुआ कि वो लोग उस बच्चे को रखेंगे ! निश्चय करने कि बाद उन्होंने अपने माँ बाप को भी बताया कि मंजीत फिर से गर्भवती है , उसके माँ बाप की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा ! वो दोनों रात को फिर वही सब दोहराते कि अब तो उन्हें लड़की ही चाहिए और भगवान से इस बारे में बार बार प्रार्थना करते ! उन्हें इस बार विश्वास था कि उनकी प्रार्थना इस बार जरूर सुनी जाएगी ! इस बात को सोच सोच कर मंजीत काफी तनाव में रहती थी ! और थोड़ी चिड़चिड़ी भी हो गयी थी ! दविंदर ने उसके  इस बदलाव को महसूस किया और उसे कहा कि जो होना है वो निश्चित है तो क्यों वो तनाव में रहती है और उसे खुश रहने को कहा ! फिर वही चेकअप शुरू हो गए और सास द्वारा वही खाने पीने का ध्यान रखना ! अब तो सास भी उससे यही कहती कि इस बार लड़की हो जाये तो भाई बहन की जोड़ी बन जाये ! अपनी सास की यह बात सुनकर वह खुश हो जाती कि चलो अब सब लोग यही चाहते हैं तो शायद वाहेगुरु उनकी यह बात सुन लें ! अब दविंदर कि समझने पर और सब लोगों कि कहने पर कि इस बार लड़की ही हो, मंजीत कि मन को सुकून मिला और अब उसने खुश रहना शुरू कर दिया ! यह उनका दूसरा बच्चा था तो उसे अपनी सेहत का और ध्यान रखना था ! वैसे तो उसकी सास ही उसका काफी ध्यान रखती थी !  समय का पता ही नहीं चलता कि कब बीत जाता है , फिर से उसे हॉस्पिटल ले जाने का दिन आ गया और इस बार भी उसको ऑपरेशन की जरुरत नहीं थी ! इसी बात को सोचकर दविंदर खुश हो गया था ! बस अब उसे इंतज़ार था कि कब नर्स आये और उसे खुशखबरी दे कि उसके यहाँ लड़की हुई है ! क्यूंकि उसे पता था कि उससे ज्यादा मंजीत को इस खबर का इंतज़ार था और मंजीत की ख़ुशी उसके लिए बहुत मायने रखती थी ! वह भी समय आया जब नर्स आयी और उसने उसे खुशखबरी देनी थी ! कुछ पलों के लिए जैसे उसके सांस रुक गए ! नर्स ने उसे बधाई देते हुए कहा कि उसको दूसरा बेटा हुआ है ! था तो यह बहुत ख़ुशी वाला पल पर वो ख़ुशी व्यक्त भी तो नहीं कर सकता था ! क्यूंकि उसकी और मंजीत की तो बस यही चाहत थी कि लड़की हो ! पर भगवान ने उसे फिर से लड़का दे दिया ! हम इंसानों की यही तो कमी है कि हम कभी भगवान कि दिए से खुश नहीं होते ! हम उसको पाकर कभी खुश नहीं होते जो भगवान हमें देते हैं, हम कुछ और की चाह में आसानी से मिली हुई बड़ी से बड़ी ख़ुशी का आनंद नहीं उठा पाते  और यदि हम भगवान की बात करें तो वे वहां उस चीज की वर्षा कर देते हैं जहाँ उसकी कद्र नहीं होती और जहाँ चाहिए होता है वहां उनको उसके लिए तरसना पड़ता है ! चलिए भगवान की माया भगवान ही जानें ! हम बात कर रहे थे दविंदर की जो अपने यहाँ बेटा होने पर खुशी भी व्यक्त नहीं कर पा रहा था और नर्स उसकी यह हालत देख कर हैरान थी ! ऐसा कौन होगा इस भारत देश में जिसके यहाँ दूसरा बेटा हो और उसे ख़ुशी ना हुई हो ! उस नर्स के लिए यह बहुत ही अद्भुत दृश्य था ! पर उसे कौन समझाए कि यह लोग उन बाकी लोगों के जैसे नहीं थे जिनके लिए बेटे का ही महत्त्व होता है यह तो बेटी को उससे कहीं ज्यादा बढ़कर समझते थे ! मंजीत को बाहर लाया गया और दविंदर से पहले नर्स ने ही उसे खुशखबरी दे दी थी कि उसे बेटा हुआ है, उसका भी वही प्रतिक्रिया देखि तो नर्स से रहा नहीं गया और पूछ ही बैठी कि उन लोगों को बेटे से कोई दिक्कत है और कहा कि यहाँ तो सब लोग बेटे की कामना से आते हैं और आप लोग दूसरा बेटा होने पर भी मुँह लटकाये हो ! तो मंजीत ने उसे जवाब दिया कि उसे शुरू से ही बेटी चाहिए थी !उसने कहा कि बेटा भी जरुरी है पर बेटी हमेशा माँ की सहेली होती है ! उसका सुख दुःख साँझा करती है उसके साथ काम में हाथ बंटाती है और माँ की देख भाल उसकी लड़की से ज्यादा कौन कर सकता है ! अब नर्स भी तो एक बेटी थी , उसने सोच कर देखा तो उसे मंजीत की एक एक बात सही लगी और उसने उसकी सोच कि साथ सहमति प्रगट की पर साथ ही उसे कहा कि यह सब उनके हाथ में थोड़े ही है ! अगर वाहेगुरु ने उनको दो लड़के देने थे तो देने थे ! इसमें कोई क्या कर सकता है और उसे समझाया कि वो लोग इसे वाहेगुरु का प्रशाद समझ कर स्वीकार करें और ख़ुशी ख़ुशी अपने घर जाएँ क्यूंकि इस वक्त उसे अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए ! नर्स की बातें कुछ समय तक तो मंजीत को अच्छी लगीं परन्तु फिर वही बात बार बार उसे कचोट रही थी कि जो उसने सोचा था वह नहीं हुआ ! उसको इस बार भी लड़की नहीं हुई ! उसकी सास अब और भी खुश थी कि उसे वाहेगुरु ने दो दो पोतों से नवाज़ दिया है ! मंजीत उसको खुश होते देखती तो वो सोचती कि वो तो अपनी सास को यह समझा भी नहीं पायेगी कि उसको लड़का नहीं लड़की चाहिए थी ! दविंदर मंजीत को परेशान देख कि खुद भी परेशान रहने लगा ! उसने मंजीत को काफी समझाने की कोशिश की कि अब हो भी क्या सकता है ! पर अब तो वो यह भी नहीं कह सकता था कि फिर से एक चांस ले लेंगे क्यूंकि अब और बच्चों के बारे में सोचना उनके लिए मुश्किल था क्यूंकि दोनों कामकाजी थे और दो बच्चों का पालन पोषण ही उनके लिए मुश्किल था तीसरे के बारे में तो वो सोच भी नहीं सकते थे और फिर अगर फिर से लड़का हो जाये तो ! यह सब बातें सोच के दविंदर ने एक बात का तो निर्णय ले लिया कि वो तीसरे बच्चे कि बारे में नहीं सोचेंगे और वो धीरे धीरे मंजीत को समझा देगा और वो धीरे धीरे यह सब भूल जाएगी ! पर कुछ बातें इस कद्र हमारे दिल में बैठ जाती हैं कि उन्हें हम चाह कर भी  कभी नज़रअंदाज़ नहीं कर पाते ! कुछ इस तरह ही बेटी वाली बात मंजीत कि मन में घर कर गयी थी ! वो किसी कि समझाने से समझने वाली नहीं थी या तो उसे खुद ही समझ आना था या फिर उसे किसी तरह बेटी मिल जाती तो वो समझती ! ......दोस्तों इससे आगे उन लोगों ने क्या निर्णय लिया जानने कि लिए अगला भाग जरूर पढ़ें !......क्रमशः !

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग  (भाग 3)

उसने आज छोटे बेटे एकम को गुड़िया की तरह सजाया हुआ था ! उसको कोई पुराणी फ्रॉक पहनाई, उसके लिए छोटी छोटी चूड़ियां कहीं से लेकर आयी थी और उसको लिपस्टिक तक लगा दी ! जब उसकी सास ने उसे ऐसा करते हुए देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया और उसे डांटते हुए कहा कि वो उसका बेटा है और उसे बेटा ही रहने दे, बेटी न बनाये  और उसे कहा कि वो अपने लड़कों को अपनी महत्वाकांक्षा की बलि नहीं चढ़ाये ! उसे अपनी सास की बातें सुनकर दुःख हुआ ! उसने सोचा कि वह उन्हें अपनी बात नहीं समझा पायेगी ! पर साथ ही उसने सोचा कि यह तो मेरी सोच है वो इसे कैसे समझ पाएंगी ! तो उसे उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए ! यह सोचकर मंजीत ने अपनी सास से माफ़ी मांगी ! तो सास भी अब शांत भाव से बोली कि देख बेटा तेरी इच्छा बेटी की थी पर वाहेगुरु की इच्छा 2 बेटे देने की तो होता तो वो है जो वाहेगुरु चाहता है और हमें हमेशा जो वो देता है उसे उसका प्रशाद समझ कर रख लेना चाहिए और हमेशा उसका शुकराना करना चाहिए ! मंजीत को उसकी बातें अच्छी तो लग रही थीं पर उसके दिल को कौन समझाता ! इस मामले में तो वो कुछ इस तरह हो गयी थी कि उसे सबकी बातें बुरी लगती जो उसे इस मामले में समझाता ! दिन बीतते गए ! बच्चे बड़े हो गए ! पर मंजीत इस बात को भूली नहीं ! यहाँ तक कि उसके माँ बाप ने भी उसे समझाया कि यह उसकी ज़िद है और कुछ नहीं ! वो सबकी हर बात सुनती और मानती पर इस बात में वो किसी की न चलने देती ! मनजोत अब 15  साल का और एकम लगभग 13 साल का हो गए थे ! दोनों ही एक अच्छे स्कूल में पढ़ते थे ! मनजोत तो पढाई में बहुत ही तेज था पर एकम थोड़ा सामान्य था ! 

अब यहाँ से मेरे जीवन में महान बदलाव की नींव रखनी शुरू हुई ! एक दिन मंजीत और दविंदर हॉलीवुड की एक फिल्म देख रहे थे ! जिसमे एक लड़का है ! उसे अपनी क्लास कि एक मित्र के लिए आकर्षण है और वो आकर्षण इस कद्र है कि वो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है ! हालाँकि वो काफी अच्छे मित्र थे, फिर भी वो उसे कभी कह नहीं पता क्यूंकि उसे पता था कि उसका मित्र समलैंगिकता को कभी स्वीकार नहीं करता ! पर एक दिन उसने उसे बोल ही दिया कि वो उसे काफी पसंद करता है ! तो उसका मित्र पहले तो बहुत हंसा और फिर उसे कहा कि वो उस पागलपन को भूल जाये ! पर जब उस लड़के ने उसे समझाया कि वो काफी सीरियस है तो उसके मित्र ने कहा कि जीवन साथी के रूप में  उसे सिर्फ लड़की चाहिए न के लड़का ! तो उस लड़के ने उसे कहा कि अगर वो लड़की बन जाये तो? तो वह मित्र बोला ठीक है फिर वो उससे शादी कर लेगा ! मित्र ने सोचा वो कौन सा ऐसा करने वाला है, उसने तो उसे मज़ाक में ऐसा बोला था ! पर वो लड़का एकदम सीरियस था और उसने अपना लिंग परिवर्तन करवाया और अब वो पूर्ण रूप से एक लड़की बन जाता है और वो इस कद्र बदल जाता है कि पता ही नहीं चलता कि पहले वो एक लड़का था ! जब वो लोग यह मूवी देख रहे थे तो मंजीत के दिमाग में एक बात आयी जो के उसने अपनी पति दविंदर के साथ साँझा की के क्यों ना हम दोनों में से एक लड़के का लिंग परिवर्तन करवा के उसे लड़की बना दें ! दविंदर ने पहले तो मंजीत की तरफ इस तरह देखा के जैसे वो किसी बहुत ही अजीब चीज को देख रहा हो फिर उसने गुस्से में बोला के लड़की के चक्कर में उसका दिमाग एकदम ख़राब हो गया है और वो अपने सपने के चक्कर में लड़कों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ करने पर तुली हुई है ! उसने गुस्से में आकर टीवी भी बंद कर दिया और उसे कहा के लड़की का भूत वो अपने दिमाग से निकाल दे, चुपचाप सो जाये और उसे भी सोने दे ! उसने यहाँ तक कह डाला कि वो लोग अब लड़की वाले विषय पर कभी बात नहीं करेंगे ! तो मंजीत जो काफी समय से अपने पति की बातें सुन रही थी आज पहली बार गुस्से में बोली कि उसे तो कम से कम उसके सपने की परवाह होनी चाहिए, और लोग तो समझते नहीं वो तो कम से कम समझ सकता है कि लड़की होना उसका  कितना बड़ा सपना था और यह सपना वही तो पूरा कर सकता था तो दविंदर ने अब थोड़ा धीमे स्वर में कहा कि उन लोगों ने दो चांस लिए दोनों बार लड़का हुआ तो इसमें किसी का कोई दोष नहीं यह ऊपर वाले की मर्जी थी ! मंजीत गुस्से में बोली कि सब लोग हर बात में ऊपर वाले को लेकर उसे चुप करवा देते हैं! अब वह किसी को कभी भी अपने सपने बारे में नहीं बोलेगी ! क्यूंकि किसी को उसके सपने की कद्र ही नहीं है ! सब लोग अपनी ज़िन्दगी जीने में लगे किसी को उसकी परवाह नहीं कोई उसके बारे में नहीं सोचता ! और उसने कहा कि उसने दविंदर से कितनी मांगें पूरी करवाई है एक यही तो उसका सपना था और सब लोग बोल रहे हैं कि यह सपना भी भूल जाये तो ठीक है वो कभी इस बारे में बात नहीं करेगी और इस सपने को पूरी तरह से भूल जाएगी ! इतना कहकर वो रोने लगी ! अब दविंदर का भी दिल पसीज गया और उसने उसे कहा कि हाँ ये सच है कि उसने उससे कभी कोई नाजायज़ मांग नहीं की और वह हमेशा उसकी हर बात मानती है और यह उसका काफी पुराना और काफी बड़ा सपना था पर वो इस बारे में क्या कर सकता था ! उसके वश में होता तो वो कब से उसे लड़की दे देता ! मंजीत कुछ नहीं बोली और दूसरी तरफ मुँह करके लेट गयी ! ......कहानी का अगला भाग बहुत मज़ेदार होगा ...कृपया पढ़ते रहें ! ....क्रमशः ! 

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Posted: 3 years ago

Dosto aaj aapko kahani ka ek bahut hi important section padhne ko miloga...I know that you will definitely enjoy it. Please bane rahiye

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग  (भाग ४)

हम में से अधिकतर लोगों नें मानसिक तनाव का सामना किया है ! कई बार वजह बड़ी होती है पर कई बार तो कोई छोटी मोटी बात भी हमारे मन में इस कद्र घर कर जाती है कि इक पल भी चैन से जीने नहीं देती ! कुछ इसी तरह से यह अजीब बात मंजीत के जीवन में इस कद्र बस चुकी थी कि हमेशा मुस्कुराते रहने वाली मंजीत अब सदा तनाव में रहती ! थोड़ी चिड़चिड़ी भी हो गयी थी ! दविंदर को यह बात खूब अखरती कि जब इस समस्या का कोई सही हल ही नहीं है तो क्यों यह हरदम इसी के बारे में सोचती रहती है ! पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पता क्यूंकि समझाने पर या तो मंजीत रोने लगती या फिर खीझ कर बोलने लगती ! अब तो आलम यह था कि उन दोनों का एक एक दिन वर्षों के सामान बीत रहा था ! फिर एक दिन उसने सोचा कि कहीं मंजीत इस तनाव में कोई बीमारी न लगवा बैठे या फिर कुछ कर ही ना ले तो इसका कोई हल ढूंढना चाहिए ! फिर उसे उसकी वो बात याद आ गयी जो उसने मूवी में देखकर बोली थी कि क्यों ना दोनों में से एक बच्चे का लिंग परिवर्तन करवा दिया जाए ! तो उसने तय किया कि उस रात को ही वो मंजीत के साथ इस बारे में विस्तार में बात करेगा कि वो आखिर चाहती क्या है और इस बारे में उसकी योजना क्या है? 

रात हुई, खाना पीना हुआ मंजीत रोज़ की तरह उसके साथ आकर बिस्तर पर बैठ गयी ! उसका मन उदास था ! कुछ बोल नहीं रही थी ! तो दविंदर ने शुरुआत करते हुए कहा कि वो कब तक ऐसे मन दुखी करके रहेगी ! आखिर इतनी लम्बी जिंदगी इस तरह कैसे गुजरेगी ! मंजीत ने कोई जवाब नहीं दिया तो दविंदर बोला कि वो बताये विस्तार से कि वो चाहती  क्या है? वह उसका हर तरह से साथ देने को तैयार है परन्तु उसकी वजह से उसके बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए ! मंजीत ने बोलना शुरू किया कि शुक्र है दविंदर ने उसकी बात को समझा तो ! उसने बोला कि भारत में यह एक नया तजुर्बा है परन्तु विदेशों में यह आम बात हो गयी है ! उसने बताया कि यह एक सर्जरी है जिसमे पुरुषों के अंगों को हटा कर महिला अंगों को लगाया जाता है और कुछ estrogen हॉर्मोन जो महिलाओं के लिए जरुरी हैं उनको विकसित किया जाता है ! इस तरह से यह एक प्रोसेस है और इसमें कोई भी खतरा नहीं है ! नहीं तो उसे भी तो अपने बच्चों से उतना ही प्यार है जितना कि उसे ! दविंदर ने बोला कि वो इस बारे में बात करने के लिए खुद डॉक्टर से मिलेगा और पूरे विस्तार से जानकारी लेगा ! फिर दविंदर ने कहा "लेकिन " तो मंजीत बोली कि अब यह लेकिन फिर से कैसे बीच में आ गया ! तो दविंदर ने कहा कि उन्हें इस बारे में अपने दोनों से बात करनी होगी क्यूंकि इस बारे में किसी एक को तो मानना होगा ! वे अपने आप में एक स्वतंत्र व्यक्तित्व हैं ! यदि उन्हें मंज़ूर होगा तभी तो हम उनमे से किसी एक की सर्जरी करवा पाएंगे ना ! तो यह बात मंजीत को अच्छी लगी और उसने निश्चय किया कि वो धीरे धीरे अपने बच्चों से इस बारे में बातचीत करना शुरू करेगी और उनमे से एक को तो वो मन लेगी ! 

मंजीत और दविंदर दोनों का ही स्वाभाव बहुत अच्छा था तो स्वाभाविक था कि दोनों के बच्चों का स्वाभाव भी अच्छा होगा ! दोनों हमेशा अपने माँ बाप की बात मानते ! समय से पढाई करते और समय पर खेलने भी जाते ! दोनों के ही मित्र बहुत ही सीमित थे ! उनका ज्यादा समय घर पर ही बीतता ! उनका संयुक्त परिवार था जिसमे उसके दादा दादी उनका परिवार उसका छोटा भाई और उसके दो बेटे थे ! यह एक बड़ा और संयुक्त परिवार था तो सब बच्चों को खेलने के लिए साथी घर में ही मिल जाते तो उनको बाहर जाने की क्या जरुरत थी ! सभी बच्चों में घना  प्यार था और एक दुसरे के कमरे में बेधड़क चले जाते थे ! सब लोग मिलजुलकर और ख़ुशी ख़ुशी इकठे रहते थे ! मनजोत बड़ा था तो स्वाभाविक है जैसे के देखा गया है बड़े बच्चे ज्यादा समझदार और गंभीर होते हैं ! समझदार और गंभीर होने के साथ साथ वो पढाई में भी काफी तेज था ! माँ कोई बात कहती वो उसके कहते ही पूरा कर देता ! हालाँकि समझदार छोटा भी था परन्तु वो थोड़ा लापरवाह और अपने में मस्त रहने वाला था ! परन्तु ऐसा नहीं कि वो मंजीत का कहना नहीं मानता था !  मंजीत को पूरा विश्वास था के उसके बेटे उसकी बात कभी नहीं टालेंगे ! उसका अपने बच्चों पर यही विश्वास था जिसकी वजह से मंजीत ने यह कदम उठाने का सोचा था ! अब वह मन ही मन सोच रही थी कि  उसने दविंदर को इस बात के लिए मना तो लिया है और उसे अपने बच्चों पर भी पूरा भरोसा है परन्तु आम बातें मानना और बात है और अपना  व्यक्तित्व बदलना दूसरी बात है ! उसे भी पता था कि इस बात को मानाने के लिए उसे बहुत परेशानियां आने वाली हैं ! पता नहीं बच्चे यह बात मानेंगे या नहीं ! पता नहीं घर के और सदस्य क्या बोलेंगे ? पता नहीं डॉक्टर्स उनके बच्चों को उस सर्जरी के काबिल मानेंगे या नहीं ? यही प्रश्न बार बार उसके दिमाग में आ जा रहे थे ! इसी तरह सोचते सोचते कोई 2 3 महीने बीत गए !  

अब मंजीत अक्सर अपने बच्चों से बोलती कि यदि उसकी एक लड़की होती तो वो उसके कितने चाव करती ! उसको तरह तरह के कपडे कि और वो और उसकी लड़की आपस में मन की बातें करते ! वो उसके साथ घर के काम काज में हाथ बँटाती ! जब वो यह बातें करती तो मनजोत पूछता कि  क्या वो लोग उनका कहना नहीं मानते या वो कभी उनका हाथ नहीं बंटाते तो मंजीत बोलती के वो लोग उसका हर कहा मानते हैं पर एक माँ की सच्ची सहेली उसकी बेटी होती है ! उन दोनों को माँ की यह बातें समझ में नहीं आती थी ! वो इसी तरह बात बात में दोनों को अपनी इच्छा के बारे में बताती रहती ! मनजोत का 16 वां जन्मदिन था ! उसको अपनी मन चाहा gift मिला एक latest मोबाइल फ़ोन ! वो बहुत खुश था ! उसको जैसे दुनिया की सबसे बड़ी ख़ुशी मिल गयी ! पर उसे कहाँ पता था कि इसके बदले उसे वो त्याग करना पड़ेगा जिससे उसकी पूरी जिंदगी ही बदल जाएगी ! उसका वजूद उसका व्यक्तित्व उसकी पहचान सब कुछ वो नहीं रहेगा जो था ! उस दिन मंजीत ने उससे पूछा कि उसे gift कैसा लगा तो मनजोत ने उसे कहा के उसे बहुत ही अच्छा gift मिला है तो मंजीत ने उसे कहा कि उसे इसके बदले return gift मिलेगा क्या ? तो भोले मनजोत ने कहा कि कुछ भी मांग लो माँ , चाहे यह मोबाइल ही ! तो मंजीत ने कहा कि समय आने पे मांग लेगी ! मनजोत ने केवल हाँ में सर हिलाया ! 

उससे लगभग एक हफ्ते बाद रविवार का दिन था सब लोग घर पर थे दविंदर और मंजीत अपने कमरे में बैठे बातें कर रहे थे के तभी मंजीत ने कहा कि उन लोगों को अब उस बारे में बच्चों से बात कर लेनी चाहिए !  तो दविंदर ने उसे फिर कहा कि वैसे  तो वो उसके हर फैसले में उसके साथ है पर वो जो भी कदम उठाएगी सोच समझ कर उठाये और बच्चों पर इतना ज्यादा दबाव ना डाले कि वो यह फैसला उनके डर से लें और दविंदर ने मंजीत को यह बात भी बोली कि वो ही बच्चों से यह बात करेगी क्यूंकि उससे तो यह बात होगी नहीं ! दविंदर यह चाहता था कि बच्चे अपने पूरे मन से यह फैसला लें क्यूंकि इससे उनकी पूरी ज़िन्दगी बदलने वाली थी ! मंजीत ने इस बात के लिए पूरी सहमति जताई और कहा कि अगर बच्चों के मन में जरा भी डर हुआ तो वो यह फैसला नहीं लेगी ! इस तरह निर्णय लेने के बाद उन्होंने दोनों बच्चों को बुलाया ! दोनों आये उन्होंने दोनों को बैठने के लिए बोला ! दोनों उनके सामने बैठ गए ! उन दोनों को महसूस हो रहा था कि उनके माँ बाप कुछ गंभीर विषय पर चर्चा करने वाले हैं ! थोड़ा डर भी था कि कहीं उनसे कोई गलती तो नहीं हो गयी ! इतने में मंजीत ने  बात शुरू की कि उनको तो पता ही है कि उनकी माँ को यानि से लड़की की कितनी जरुरत महसूस होती है ! तो दोनों ने सहमति में सर हिला दिया ! तो उसने कहा कि उसे उन लोगों से कुछ चाहिए ! तो दोनों हैरानी से एक दुसरे की तरफ देखने लगे कि माँ को उनसे क्या चाहिए ! वो यह तो कभी भी नहीं सोच सकते थे कि उनकी माँ उनमे से एक को लड़की बनाना चाहती है ! तो मंजीत ने कहा कि वो चाहती है कि उन दोनों में से एक अपने आप को परिवर्तित करवा के लड़की बन जाये ! ओह उन्होंने तो सोचा भी नहीं था कि उनकी माँ उनसे यह अब चाहेगी ! उन्होंने कहा कि ऐसा सोचो भी ना ! दोनों ने ही एकदम से मन कर दिया क्यूंकि उन लोगों को सोच कर ही अजीब लग रहा था कि वो लड़के से लड़की बन जायेंगे तो उन्हें कैसा लगेगा उन्होंने फिर से बोला कि उनसे फिर कभी ऐसा करने को ना कहें ! मंजीत ने उनसे प्रार्थना की कि वो उनकी बात मान लें क्यूंकि वही लोग उसकी यह बहुत बड़ी इच्छा पूरी कर सकते थे ! दोनों लोग उठे और अपने कमरे में भाग गए और रोने लगे ! आपस में बात करने लगे कि आज उनके मम्मी डैडी को क्या हो गया है ! वो कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हैं ! वो हम में से एक को लड़का बनाना चाहते हैं ! यह सोच कर ही दोनों रोने लगे ! उनकी बातें उनके चाचा का लड़का सुन रहा था ! उसने यह बातें जाकर अपनी मम्मी को बताई और उससे फिर उसके पापा और फिर दादा दादी तक पहुंची ! दादा दादी ने उन दोनों को बुलाया और उस बात के लिए पूछा तो उन्होंने कहा कि हाँ वो लोग चाहते हैं ! तो दादी को तो एक बार बहुत गुस्सा आया और खास तौर पर मंजीत को डांटते हुए कहा कि मुझे सब पता है ये उसके दिमाग की उपज है ! मंजीत सर झुकाये खड़ी थी ! दादी बोली कि क्या तेरे ऊपर लड़की का भूत चढ़ा है ! तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है ! भगवान् ने तुम्हे दो दो लड़कों की बख्शीश की है क्यों उसकी दी हुई चीज को ठोकर मार रही हो ! यह सब बातें कहकर उसने समझने वाले अंदाज़ में कहा कि हम प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं तो हमेशा उसका बुरा नतीजा निकलता है ! दादी की बातें सुनकर मंजीत ने बोलना शुरू किया कि उसने क्या गलत सोचा है अगर उसको लड़की चाहिए ! इस देश में लड़की को पूजा तो जा सकता है पर लड़की की इच्छा नहीं की जा सकती ! लड़की की इच्छा रखना तो पाप समझा जाता है ! यही अगर मेरे दो लड़कियां होती और मैं एक को लड़का बनाना चाहती तो हर कोई मेरे पक्ष में होता ! मंजीत ने अपनी देवरानी की तरफ देख के बोला कि होता कि नहीं होता ? देवरानी बोली बिलकुल हर कोई आपके पक्ष में होता ! पर मैं तो अब भी आपके पक्ष में हूँ क्यूंकि मुझे आपकी बात अच्छी लगी और इस बात के लिए मैं आपके साथ हूँ ! अब दादी को भी बात कुछ समझ आ रही थी तो वो बोलीं कि ठीक है मुझे मंज़ूर है पर एक बात सुन लो किसी भी बच्चे के साथ कोई जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए ! तो मंजीत ने इस बात का विश्वास दिलाया कि वो उसी लड़के को लड़की में परिवर्तित करवाएगी जो उसकी बात को दिल से मानेगा ! इस तरह से लगभग सभी घरवालों की मंज़ूरी तो मंजीत को मिल गयी थी पर लड़कों को मनाना अभी बाकि था और यही काम सबसे बड़ा था ! ........ अगले भाग में देखते हैं कि कोई मानता है या नहीं .........  क्रमशः !

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग  (भाग 5)

मंजीत फिरसे सोच में पद गयी थी ! उसे किसी एक को मानना था ! जिस तरह से दोनों उससे छूट कर भागे थे तो लगता नहीं था कि कोई मानेगा ! पर मंजीत हार मानने वालों में से नहीं थी ! उसने सोच रखा था कि वो किसी को तो मनाएगी ! उसने बार बार उन दोनों से इसके बारे में पूछा हर बार दोनों ने मन कर दिया ! उसको यह काम मुश्किल लग रहा था ! तभी उसे मनजोत कि जन्मदिन वाले RETURN GIFT की याद आयी ! उसने इस बार मनजोत को अकेले बुलाया ! मनजोत आया तो उसने उसे पूछा कि उसे कुछ याद है ! तो मनजोत बोला कि क्या ? मंजीत ने कहा कि उसने माँ को जन्मदिन वाले दिन RETURN GIFT देने का वादा किया था ! तो मनजोत बोला कि हाँ मुझे याद है ! मन ही मन वो सोच रहा था कि उसकी मम्मी उसे अब उलझा रही है ! वैसे उसे अपनी मम्मी पे तरस भी आ रहा था कि कैसे उसकी माँ बेटी के लिए तड़प रही है ! उसने सोचा कि माँ को बोलने दो पहले फिर सोचते हैं ! उसकी माँ बोली कि उसे RETURN GIFT में वही चाहिए ! कि वो लड़की में परिवर्तित हो जाये !  मनजोत बोला कि माँ यह कैसा GIFT मांग रहे हो आप ! क्या उस गिफ्ट कि बदले आप मुझसे इतनी बड़ी क़ुरबानी, इतना बड़ा त्याग चाहते हो? तो मंजीत बोली कि उस पर कोई दबाव नहीं है ! पर उसने वादा किया था यह भी याद दिलाया उसे ! मनजोत अब सोच में पड़ गया ! एक तरफ उसके व्यक्तित्व का प्रश्न था तो दूसरी तरफ माँ बाप का सपना ! उसे क्या करना चाहिए ? सोच सोच कि पागल हो रहा था मनजोत ! इसी तरह 2 महीने बीत गए ! उसके मित्र उसे गुमसुम देख कि पूछने लगे कि उसे क्या हुआ है ? कोई लड़की का चक्कर है क्या ? मनजोत सोचता लड़की तो शायद वो खुद बन जाये उसका लड़की कि साथ क्या चक्कर होना ! वो दोस्तों कि आगे बात टाल देता ! आखिर वो किसी को यह कैसे कह सकता था कि उसके माँ बाप उसे लड़के से लड़की बनाना चाहते हैं ! जैसे यह सब अचानक हो रहा था कि टीचर कुछ समझते तो यही बोलते कि माँ बाप के लिए जितना हो सके उतना करना चाहिए क्यूंकि हम उनका क़र्ज़ कभी नहीं चूका सकते और टीवी देखता तो इस तरह के कार्यक्रम कि जिसमे कोई माँ बाप के लिए कोई क़ुरबानी दे रहा है ! उसे लगता कि कोई दूसरी ताकत भी उसे समझाने में लगी है ! उस दिन उसने अपने छोटे भाई से यह बात साँझा की कि उसके मन में आ रहा है कि वो मम्मी की बात मान ले ! तो छोटा भाई हैरानी से उसे देखते हुए बोला कि क्या वह सचमुच लड़की बनना चाहता है ? तो वो बोला कि मैं चाहता तो नहीं हूँ पर मम्मी पापा के लिए यह करना चाहता हूँ ! तो छोटा बोला कि तू पागल हो गया है ! कोई ऐसा करता है क्या ? तो मनजोत बोला कि कोई करे न करे अब तो मैंने मन बना लिया है कि मैं यह त्याग जरूर करूँगा ! उसके लिए जिसने मुझे जन्म दिया, उसके लिए जिसने मुझे यह सब दिया, उसके लिए जिसने मुझे इस काबिल बनाया, उस माँ के लिए तो हज़ार जन्म कुर्बान ! छोटा उसे देखता रह गया कि यह इतना बड़ा निर्णय इतनी आसानी से कैसे ले सकता है ? उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था ! पर मनजोत अब उसकी कोई और बात सुने बिना वहां से निकल गया और सीधा अपने मम्मी पापा के कमरे में गया ! रात 11 बजे का समय था और इतनी रात को अपने बेटे को अपने कमरे में देख कर दोनों को बड़ी हैरानी हुई और मंजीत ने मनजोत से पूछा कि इस वक्त वो वहां क्या कर रहा है ! क्या उसको कोई परेशानी है? तो उसने जवाब दिया कि उसको तो कोई परेशानी नहीं पर वो अपनी माँ की परेशानी जरूर दूर कर सकता है !  मंजीत को बड़ी हैरानी हुई कि उसने इतना बड़ा निर्णय कैसे ले लिया ? क्या वो उसका पक्का निर्णय था या फिर किसी बात पर उत्तेजित होकर आया है? मंजीत ने कहा कि वह उसकी परेशानी कैसे दूर कर सकता है तो मनजोत ने कहा कि वह वो सब करने को तैयार है जो मंजीत चाहती है ! मंजीत ने उसे ध्यान से देखा और फिर अपने पति की तरफ देखा जैसे कि पक्का करना चाहती हो कि जो वो सुन रही थी क्या वो सच था? तो मनजोत ने जोर देकर बोला कि वो मंजीत की इच्छा कि अनुसार लड़की बनने को तैयार है ! उसके पापा दविंदर ने उसे  पूछा कि क्या यह उसका सोच समझकर लिया हुआ निर्णय है? तो मनजोत बोला कि उसने बहुत सोच समझकर और बहुत दिन विचार करके यह फैसला लिया है ! परन्तु मंजीत ने उसे कहा कि वो अब जा के सो जाये और सुबह उठकर उससे बात करे और उसे फिर कहा कि उसे जो भी फैसला लेना है वो बिना किसी दबाव कि लेना है ! वो अपने दोनों बेटों से बहुत प्यार करती है और किसी को भी अपनी इच्छा की बलि नहीं चढ़ने देगी ! मनजोत वहां से चला आया और जाकर अपने बिस्तर पर लेट गया ! वो आधी रात तक सोचता रहा कि जो वो करने जा रहा है वो ठीक है क्या ? और सब कुछ होने कि बाद उसके क्या निष्कर्ष निकलेंगे ! उसको समाज एक लड़की कि रूप में स्वीकार करेगा? कोई उसका मजाक तो नहीं उड़ाएगा ? और क्या वो लड़की बनने के बाद सबका का सामना कर पायेगा ? ऐसे पता नहीं कितने प्रश्न उसके मन में आ रहे थे कि पता नहीं कब उसकी आँख लग गयी ! 

सुबह उठा तो उसे लग रहा था कि अब तो उसकी ज़िन्दगी बदलने जा रही है और उसे हर हाल में यह स्वीकार करना है ! उसको अपनी माँ को जाकर बताना है कि वो उसका सपना पूरा करके ही रहेगा ! उसे अपनी माँ के लिएलड़की बनना मंजूर है ! ऐसा सोचते हुए वो अपनी मम्मी के कमरे में गया ! मम्मी अभी अभी नहा कर निकली थी और पूजा के लिए जा रही थी जब मनजोत ने अपनी माँ को आवाज़ लगायी ! माँ रुक गयी और उसके पास आ गयी और उसे देखने लगी के वो क्या कहना चाहता है ! मनजोत ने बोलना शुरू किया कि उसने अच्छी तरह से सोच लिया है, वो लड़की बनने को तैयार है ! मंजीत अब हैरान थी और अब जान चुकी थी कि ये अब सच में मन बना चूका है परन्तु फिर भी उसे पूछा कि उसने दबाव में आकर तो नहीं लिया यह फैसला ! तो मनजोत बोला कि उसपे कोई दबाव नहीं है वो अपनी मरजी से यह सब करना चाहता है ! उसे अपनी माँ के लिए कुछ भी कर के ख़ुशी मिलेगी ! तो मंजीत ने उसे गले लगा लिया और बोली कि तू मेरा श्रवण कुमार है जिसने अपने माँ बाप कि लिए अपने प्राणो तक की बलि दे दी थी ! मनजोत बोला कि उसे श्रवण कुमार का तो पता नहीं पर उसे अपने माँ बाप को जितनी हो सके उतनी ख़ुशी देनी है ! मंजीत उस पर बलिहारी जा रही थी ! उस दिन नाश्ते कि वक्त मंजीत ने यह बात सबको बताई कि मनजोत हमारे लिए लड़की बनने को तैयार है और वो भी बिना किसी दबाव के ! उसकी बात सुन कर दादी ने एक बार अपने मन की तसल्ली के लिए उसे अपने पास बुलाया और बोली कि क्या वो अपनी मरजी से लड़की बनने को तैयार हुआ है ! तो मनजोत बोला कि हाँ अब वो इतना बड़ा हो गया है कि वो अपने भले बुरे के बारे में सोच सकता है ! तो दादी बोली कि अगर उसे ठीक लगे तो आगे डॉक्टर से बात की जाये? तो मनजोत बोला कि मैं तो पूरी तरह तैयार हूँ जब चाहो मुझे डॉक्टर कि पास ले चलो ! अब सब लोग खुश थे कि मनजोत ने अपनी पूरी मरजी से इस बारे में सहमति दी है ! और वो लोग आगे की कार्रवाई के बारे में सोच रहे थे ! 

उधर सब लोग खुश थे और इधर अकेले में मनजोत सोच रहा था कि लड़की बनने के बाद उसके जीवन में क्या क्या बदलाव आएंगे  ! उसे अपने पुराने मित्रों से दूरी बनानी होगी, नए मित्र बनाने होंगे और अब यह मित्र लड़कियां होंगी , उसे अब एक लड़की के रूप में पढाई करनी पड़ेगी ! कितनी ही बातें उसके मन में चल रही थीं ! पर उसने तो अब पक्का सोच लिया था और निर्णय ले लिया था और अब वह इस निर्णय से पीछे नहीं मुड़ सकता था ! मनजोत सिंह अब मनजोत कौर बनने जा रहा था ! जी हाँ वही मनजोत कौर जिसने इस कहानी की शुरुआत की थी ! मैंने आज के ज़माने में जब बच्चे अपने माँ बाप के लिए बाजार से कुछ लाना भी अपनी शान के खिलाफ समझते हैं, मतलब उनकी छोटी से छोटी बात भी नहीं मानते , मैंने उस ज़माने में अपने जीवन में सबसे बड़ा बदलाव किया ! वो भी अपने माँ बाप की ख़ुशी के लिए और मुझे इस बात के लिए अपने आप पर गर्व है ! 

अब मैं मनजोत कौर के रूप में फिर से अपनी तरफ से कहानी सुनाऊँगी ताकि आप लोगों को सारी बातें आसानी से समझ आएं ! मैं थोड़ा घबरा भी गयी थी ! कहीं मुझे कोई बीमारी न लग जाये और मेरा पूरा जीवन ही बरबाद न हो जाये ! कहीं यह ऑपरेशन सफल न हुआ और मैं न ही लड़का और ना ही लड़की रही ! कहीं कोई हार्मोन सम्बन्धी दोष ना आ जाये ! कुछ उल्टा सीधा हो गया तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी ! मुझे तो अपने भाईओं से भी थोड़ी दूरी बना कर रखनी पड़ेगी ! उनको बोलना पड़ेगा कि मेरे  कमरे में आने से पहले खटखटाना है ! यही उधेड़ बुन में सारा दिन लगी रहती ! तो एक दिन मम्मी ने बोला कि डॉक्टर कि पास चलना है ! उस दिन मुझे बहुत चिंता हो रही थी ! मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है ! पसीने छूट रहे थे ! क्यूंकि कोई भी बड़ा निर्णय लेना आसान होता है परन्तु जब हम उस काम को करने कि लिए चलते हैं तो निभा पाना बहुत मुश्किल होता है ! हम अपना नंबर लगवा कर डॉक्टर से मिले तो डॉक्टर ने मेरे कागज़ात देखे तो उसने कहा कि अभी GENDER REASSIGNMENT SURGERY नहीं हो सकती क्यूंकि INDIA  में यह  18 साल से पहले संभव नहीं है तो मंजीत ने पूछा कि 18 साल का होने कि बाद तो कोई परेशानी नहीं तो डॉक्टर ने कहा कि आपके कागज़ात पूरे हों तो कोई परेशानी नहीं क्यूंकि एक बालिग अपनी मरजी से ही यह सर्जरी करवा सकता है ! मंजीत थोड़ा सोच में पड़ गयी पर मुझे थोड़ी ख़ुशी हुई कि चलो लड़के कि रूप में जीने कि लिए मुझे दो साल और मिल गए !

दोनों घर आये तो सबको बताया कि यह सब दो साल बाद संभव है तो सब लोग बोले कि जैसा ऊपर वाले को मंजूर है वैसा ही होगा ! मेरी अब पूरी इच्छा होती कि अब वो सारे काम कर लूँ जो एक लड़के कि रूप में कर सकती थी ! वैसे हमारे घर वालों  में यह खासियत थी कि वो समय से पहले किसी को कुछ नहीं बताते थे ! इसलिए मुझे उस दौरान कोई परेशानी नहीं हुई ! नहीं तो शायद इन दो सालों में मुझे रिश्तेदारों या लोगों ने उल्टा सीधा बोल कर शायद मेरा मन ही बदल देना था ! पर ऐसा कुछ नहीं हुआ क्यूंकि किसी को पता ही नहीं चला कि क्या होने वाला है ! मेरी ज़िन्दगी उसी तरह सामान्य चल रही थी ! मैंने सबसे पहले तो क्रिकेट खेलना शुरू किया क्यूंकि मुझे शुरू से ही क्रिकेट काफी पसंद थी ! मैंने एक लोकल टीम ज्वाइन कर ली, जिसमे कि मैं हर शनिवार और रविवार खेलने कि लिए जाती ! मुझे अब इसमें काफी आनंद आ रहा था ! मैंने सोचा चलो दो साल हैं मैं यह दो साल तो अपने हिसाब से जी लूँ ! फिर लड़की बनने कि बाद तो ज़माने भर की बंदिशें और तरह तरह कि नियम कानून जिनके अनुसार एक भारतीय लड़की को जीना होता है ! कुछ ज़माने कि बनाये हुए और कुछ नियम खुद अपने लिए भी तय करने होते हैं ! और फिर एक लड़की से खासकर खानदान की इज़्ज़त रखने की अपेक्षा भी तो की जाती है ! 

मुझे इस दौरान अपने दोस्तों से थोड़ी दूरी बनाने का मौका भी मिल गया ! क्यूंकि अपने उन पुरुष दोस्तों से एकदम दूर होना मेरे लिए बहुत मुश्किल होता ! मैंने साइकिल चलनी भी शुरू कर दी और एक लम्बा चक्कर बाजार में भी लगा कर आती ! लड़के कि रूप में मेरे यह कुछ ही दिन तो रह गए थे और इन आज़ादी भरे पलों का मुझे खूब आनंद लेना था ! मुझे पता है इसके बाद तो इस तरह घूमने पर मुझे लड़कों की नज़रों का सामना करना पड़ेगा ! मैंने एक दिन अपने दोस्तों के साथ खूब देर तक पार्टी की क्यूंकि यह मेरे लिए लड़का होते हुए भी आम बात नहीं थी तो मेरी मम्मी का रात 9 बजे मुझे फ़ोन आया के मैं कहाँ हूँ तो मैंने बताया के आज दोस्तों के साथ पार्टी पर था तो मम्मी ने कहा कि तुम तो इस तरह इतनी देर तक बाहर नहीं रहते थे ! तो मैंने अपनी इच्छा पूरी करने वाली बात बताई तो मम्मी ने उसे समझाया कि लड़की होते हुए भी वो सब कुछ कर सकता है बाकि सब तो ठीक है पर यह देर तक बाहर रहने वाला काम उसके लिए नहीं है क्यूंकि वो एक पढ़ने वाला बच्चा है और उसे समझाया कि हम जो भी करते हैं उसकी हमें आदत पड़ जाती है और उसे बोला कि वो चिंता ना करे उस पर बहुत ज्यादा बंदिशें नहीं लगेंगी हाँ जीवन में थोड़ा बदलाव जरूर आएगा पर ऐसा नहीं कि उसका जीवन  जेल में बदल जायेगा सो उसे चिंता करने की जरुरत नहीं है ! वो लड़की बनने कि बाद भी अपना जीवन खुल कर जी सकता है ! मम्मी की यह बातें सुनकर मेरे मन को कुछ तसल्ली मिली और सोचा कि आज कि ज़माने में लड़कियों का जीवन उतना भी बंदिशों वाला नहीं है ! मैंने फिर से अपना जीवन थोड़ा सामान्य किया ! और सब कुछ भूल कर अपनी पढाई में मन लगाना शुरू किया क्यूंकि पढाई मेरे लिए शुरू से ही हर चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण रही है ! 

इस तरह से 1.5 साल और बीत गया ! अब समय नज़दीक आ रहा था ! मेरे चेकअप शुरू हो गए थे ! सर्जरी कि लिए मेरा जन्मदिन तय किया गया ! क्यूंकि उसी दिन मुझे 18 साल का होना था ! ज्यूँ ज्यूँ समय नज़दीक आ रहा था मेरा दिल जोर से धक् धक् करना शुरू हो गया ! मुझे मेरे भाई भी बोलते कि भाई अब तू दीदी हो जायेगा ? भाई तू फिर से सोच ले ! पर जो भी हो मेरा फैसला अब बदलने वाला नहीं था ! मुझे तो अब यह सोचना था कि लड़की बनके मुझे कैसा महसूस होगा ! मुझे दुनिया कुछ अजीब सी लगने लगी थी ! कि अब कुछ दिनों बाद इन्ही लोगों का मेरे बारे में नजरिया बदल जायेगा ! अब लोग मुझे और ही नज़रों से देखेंगे ! क्या लोग मेरे इस बदलाव को मंजूरी देंगे ! कोई मेरा मजाक तो नहीं उड़ाएगा ! इस तरह सारा दिन कुछ ना कुछ चलता रहता !  

वह दिन भी नजदीक आ गया जब सर्जरी होनी थी ! दो दिन बाद ही सर्जरी थी और मुझे नींद नहीं आ रही थी ! मैंने पाठ किया और सोने की कोशिश की ! आज मुझे थोड़ा रोना आ रहा था ! मैंने सोचा रो ही लेना चाहिए क्यूंकि रोने से मन हल्का होता है ! थोड़ी देर रोने कि बाद मन एकदम हल्का हो गया और पता नहीं कब मुझे नींद आ गयी !

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग  (भाग 6)

सुबह आंख खुली तो माँ ने मुझे कहा कि आज फिर चेकअप के लिए जाना था मैं तैयार हुई ! डॉक्टर ने चेकअप किया और बोला कि सब कुछ ठीक है और अगले दिन सुबह जल्दी आने कि लिए कहा जिस दिन कि सर्जरी होनी थी ! शाम को सब लोग मेरे पास इकठे हो गए और पूछने लगे कि मुझे किसी तरह की कोई चिंता या परेशानी तो नहीं है ! मैंने कहा कि मैं बिलकुल ठीक हूँ ! उस दिन सब कुछ मेरी पसंद का बना ! मुझे ख़ुशी हुई कि सब लोगों को मेरी कितनी परवाह है ! मैंने अपने कमरे में जा कर सबसे पहले अपने आप को देखा और अपने आप से बोला कि मनजोत सिंह तू कल से मनजोत कौर बन जायेगा ! यह मैंने बोल तो दिया पर फिर उसके बाद सोचना शुरू कर दिया ! लेकिन अब तो बस एक ही रात बाकि थी ! बल्कि मेरे भाई ने भी मुझे पूछा कि कैसा लग रहा है तो मैंने उसे कहा कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है और उसे सोने के लिए बोला ! थोड़ी देर सोचने के बाद पता नहीं कब मुझे नींद आ गयी ! 

सुबह हम लोग समय से हॉस्पिटल पहुंच गए ! मुझे नर्स अपने साथ ले गयी और मेरे सभी चेकअप हुए ! उसके बाद में उस रूम में ले जाया गया जहाँ मेरी सर्जरी होनी थी ! उस रूम में ले जाते वक्त भी एक बड़ा आईना लगा था जहाँ मैंने अपने लड़के वाले रूप को अंतिम विदाई दी ! मुझे वहां पड़े बिस्तर पर लेटाया गया और फिर एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगने के बाद मुझे कोई होश नहीं रही ! मुझे बाद में पता चला के सर्जरी 6 घंटे तक चली ! surgery  पूरी होने के लगभग 3 घंटे बाद मुझे होश आया ! मुझे अपने कुछ अंगों पे हल्का सा दर्द महसूस हुआ ! पर कुछ ज्यादा फर्क नहीं लग रहा था ! पर इतना तो मुझे पता चल चूका था कि अब मैं एक लड़की हूँ ! मेरा अब पूरा जीवन एक लड़की कि रूप में बीतने वाला है ! जहाँ मैंने किसी को ब्याह कर लाना था अब मुझे किसी कि यहाँ ब्याह कर जाना था ! जीवन बहुत ज्यादा बदलने वाला था ! बदलाव कि कुछ महीनो तक मेरा जीवन सामान्य नहीं होना था ! एक तो हॉर्मोन की वजह से मेरे शरीर में कुछ बदलाव आने थे ! दूसरा मुझे लोगों का भी सामना करना था ! अपने रिश्तेदारों का, दोस्तों का , सहपाठिओं का और जितने भी लोग जिनके मैं संपर्क में थी ! एक फायदा था कि मेरा स्कूल पूरा हो गया था और कॉलेज शुरू करना था तो वहां तो मैंने नए सिरे से ही शुरुआत करनी थी ! पर मुझे अब उन लड़कियों को अपना दोस्त बनाना था जिन्होंने स्कूल में मुझे एक लड़के कि रूप में देखा था ! शुरुआत तो मुश्किल थी ! पर मैंने तो ठान रखा था तो अब चाहे कुछ भी हो जाये मुझे हरेक का सामना करना था ! मुझे हर किसी को बताना था कि मैं एक लड़की हूँ और मैं अपने इस नए रूप में बहुत ही खुश हूँ ! 

घर में मेरा स्वागत एक नए मेहमान के रूप में हुआ ! डॉक्टर ने मुझे एक दो दिन का आराम करने को बोला ! परन्तु घर वालों ने मुझे एक हफ्ते तक कुछ नहीं करने दिया ! सर्जरी की वजह से मेरी आवाज़ भी लड़कियों जैसी हो गयी थी और चेहरे पर उगने वाले बालों का भी पूरी तरह से सफाया किया गया ! अब मैं एकदम से लड़की बन गयी और मेरा जीवन लड़की के रूप में बीतना था ! ऐसा नहीं था कि मैं बहुत दुखी थी मुझे अच्छा महसूस हो रहा था ! क्यूंकि उस दो साल कि वक्त ने मुझे इस सब को स्वीकारने का वक्त दे दिया था ! मुझे अब अपने भाइयों तक से थोड़ी दूरी बनानी थी ! उसके लिए माँ ने उन्हें समझा दिया था कि अब से यह तुम्हारी दीदी है और इसके रूम में थोड़ा ढंग से और अंदर जाते वक्त दरवाजा खटखटाना है ! सबसे पहले उसकी माँ और चाची ने बाजार जाकर उसके लिए अच्छी अच्छी लड़कियों वाले कपडे लेकर आये ! वो तो मुझे भी साथ चलने को बोल रहे थे परन्तु मैंने  अभी घर से बहार निकलना ठीक नहीं समझा ! मैंने कहा कि मुझे अभी घर से बहार जाने कि लिए ना बोला जाये ! मेरा जब मन होगा तो मैं खुद ही आना जाना शुरू कर दूंगी ! 

मैं सोचती रहती कि मुझे अब एक ऐसे कॉलेज में दाखिला लेना चाहिए जिसमे मेरा कोई पुराना परिचित ना हो ! यह बात मैंने अपनी माँ से साँझा की ! माँ ने कहा कि उसे अब किसी तरह शर्माने की जरुरत नहीं क्यूंकि यही रूप उसका असली रूप है अब ! तो मैंने माँ से बोला कि मुझे किसी तरह की कोई शर्म नहीं है परन्तु कोई पुराना साथी अगर कोई मज़ाक करेगा या कोई बेहूदा बात कह देगा तो मुझे बहुत दुःख होगा और मेरा ध्यान अपनी पढाई से हट सकता है और मेरे लिए अब मेरी पढाई लिखे बहुत ही जरुरी है ! मैंने अपना जीवन अपने करियर में लगाना है ना कि फालतू की बकवास में ! तो माँ ने बोला कि जैसा उसे ठीक लगेगा वैसा ही होगा ! क्यूंकि उसने उनके लिए इतना कुछ किया है तो उसकी यह बात मानना उनके लिए कौन सी बड़ी बात है ! तो मैंने कहा कि उनको बार बार यह बात दोहराने की जरुरत नहीं कि मैंने उनके लिए क्या किया है ! मैंने आपके लिए वही किया है जो मुझे करना चाहिए था ! मम्मी मेरी यह बात सुनकर बहुत खुश हुई ! उन्होंने मुझे एक बात समझनी चाही पर थोड़ा हिचकिचा रही थीं ! मैंने उन्हें खुल कर बोलने को कहा तो उन्होंने कहा कि जो लड़कियां पैदा ही एक लड़की के रूप में होती हैं उन्हें इस बात भली भांति पता होता है कि लड़कों के साथ कैसे रहना है और साथ रहते हुए भी कैसे उनसे दूरी बना कर रखनी है पर तुम अभी लड़की बनी हो और वो भी उस उम्र में जब जवानी शुरू होती है ! तो लड़कों से इस तरह खुद को सुरक्षित रखना होगा कि उनसे बातचीत भी रखनी है और उन्हें ज्यादा तरजीह भी नहीं देनी है ! क्यूंकि आज कि ज़माने में ज्यादातर लड़के इस्तेमाल करके छोड़ देते हैं तो मैंने उनसे कहा कि माँ मैंने इस सब के बारे में पहले से ही सोच रखा है ! क्यूंकि मुझे अपने नए जीवन का अनुमान लगाने के लिए काफी समय मिल गया था तो मैं उस दौरान अपने भले बुरे के बारे में सोचने में व्यस्त थी ! मुझे सब पता है कि लड़को की सोच क्या होती है और यह कहाँ तक पहुँचती है ! क्यूंकि आज तक उसके साथी लड़के ही तो रहे हैं ! पर साथ ही मैंने उन्हें कहा कि आज की लड़कियां भी कुछ काम नहीं हैं वो खुद ही लड़कों को भड़कती हैं और अपने पीछे लगाती हैं और फिर उनको मौका देती हैं कि वो उन्हें इस्तेमाल करें ! तो मैंने इस सब को दोनों लिहाज से पहले ही परख रखा है और साथ ही मैंने कहा कि मेरा लक्ष्य सिर्फ मेरा करियर है वो अगर लड़का होता तब भी वही था अब जब मैं एक लड़की हूँ तब भी यह वही रहेगा ! माँ ने उसकी बात सुनी तो आँखों में आंसू आ गए और बोलीं कि मैं तुम जैसी औलाद पाकर धन्य हो गयी हूँ और अब मैं बिलकुल चिंता मुक्त हो गयी हूँ कि कोई तुम्हारा अहित कर सकता है ! परन्तु मेरा माँ होने कि नाते तुम्हे यह सब समझाना फ़र्ज़ बनता था ! तो मैंने कहा कि आपने अच्छा किया कि मुझसे यह सब बातें की तभी तो आपको इस बारे में मेरा पक्ष पता चला ! मैं मुस्कुराई और वहां से निकल गयीं ! 

मुझे लगभग एक महीने का समय लगा घर से निकलने में ! मैंने कॉलेज आना जाना शुरू कर दिया ! बड़े शहरों की एक बात अच्छी है कि लोग एक दुसरे की तरफ काम ही ध्यान देते हैं ! मैं महसूस कर सकती हूँ कि एकाध हफ्ते बाद कभी एक दो लोगों ने मुझे गौर से देखा वो भी वो लोग जो हमारे परिवार कि थोड़ा सा करीब थे ! मुझे वाकई बड़ा अटपटा सा लगा ! उनमे से एक ने तो पूछा भी कि मैंने लड़कियों वाले कपडे क्यों डाले मैं तो मैंने अपने परिवर्तन वाली बात बोली और मैं निकल पड़ी बिना यह जाने कि इस बारे में उनकी क्या प्रतिक्रिया है ! कॉलेज जाने लगी ! कॉलेज लड़कों और लड़कियों दोनों का था ! यहाँ मुझे कोई भी जानने वाला नहीं था सो मेरी वहां एक लड़की के रूप में ही शुरुआत होनी थी और जैसा मैंने सोच रखा था मुझे एक लड़की के साथ ही अपनी दोस्ती करनी थी ! मैंने अपनी क्लास में एक दो लड़कियों से अच्छे से बातचीत शुरू की जो कि बाद में मेरी अच्छी मित्र बन गयीं ! इतने में किसी ने यह बात फैला दी कि मैं लड़के से लड़की बना हूँ और यह सिर्फ कॉलेज शुरू होने के एक हफ्ते बाद ही हो गया ! पता नहीं एक लड़के को यह बात कहाँ से पता चली, शायद मेरे पुराने दोस्तों में से किसी ने उसे यह बताया या मेरे रिश्तेदारों में से से उसकी नजदीकी रही होगी ! पर क्लास में कुछ लोगों को यह बात पता चल गयी और पता चलते चलते यह बात मेरी सहेलियों तक भी पहुंची ! उन्होंने मुझे पूछा कि क्या यह सब सही है  ! तो मैंने कहा कि हाँ यह सच है ! तो उनको पहले तो बहुत हैरानी हुई कि उसने उनसे छुपा कर रखा और उन्हें पल भर को भी महसूस नहीं हुआ कि मैं एक लड़का थी और दूसरी बात की उन्हें हैरानी इस बात की थी कि मैंने कैसे एकदम से इतने काम समय में अपने आप को एक लड़की कि रूप में ढाल लिया ! तो मैंने कहा कि मेरा परिवर्तन की योजना लगभग दो साल पहले शुरू हुई थी तो मैंने अपने आप को पहले ही एक लड़की कि रूप में सोचना शुरू कर दिया था ! उनको सच में बहुत हैरानी हुई पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो पहले क्या थी और अब क्या है ! उन्हें तो बस इस बात का पता है कि जिस इंसान ने अपने माँ बाप के लिए यह "अनोखा त्याग" किया है वो एक बहुत ही अच्छा इंसान होगा ! उन्होंने आगे कहा के उन्हें इस बात का गर्व है कि वो उनकी दोस्त है ! तीनो आपस में  मिलकर हंसने लगीं और एक दुसरे को गले लगा लिया ! बाकि किसी की इतना हिम्मत ही नहीं हुई कि मुझे आकर पूछें कि क्या यह सच था ? और इस तरह कुछ समय बाद सबने भुला दिया कि मैं एक परिवर्तित लड़की हूँ और कॉलेज में मेरा जीवन एक सामान्य लड़की के रूप में शुरू हो गया ! 

धीरे धीरे मेरे अंदर परिवर्तन आने शुरू हो गए ! यह सब उन हार्मोन की वजह से थे जो डॉक्टर ने सर्जरी के वक्त प्रत्यारोपित किये थे ! मेरी शरीर के ऊपरी अंग धीरे धीरे बढ़ने लगे ! मेरी आवाज़ एकदम लड़कियों जैसी हो गयी और मुझे अपने शरीर का हर भाग अब एक लड़की के रूप में लगने लगा ! मेरे शरीर में बदलाव पर सबसे पहला ध्यान मेरे भाइयों का गया ! ध्यान तो मेरे माँ बाप और सब बड़ों का गया परन्तु भाइयों को यह बात पता नहीं थी और एक दिन मेरे भाई ने मुझे बोला के मैं अब थोड़ा थोड़ा लड़की के रूप में लगने लगी हूँ तो मैंने मुस्कुरा के कहा कि पगले अब मैं लड़की ही तो हूँ तो उसने कहा कि नहीं दीदी आपके अंग लड़कियों जैसे हो गए हैं ! मैंने उसे समझाया कि कुछ ही समय में वो एक सम्पूर्ण लड़की की तरह दिखने लगेगी तो उसे इस बात को पहले ही माँ लेना चाहिए कि मैं थोड़े ही समय बाद पूरी तरह से अन्य लड़कियों जैसे दिखूंगी ! मेरे भाई ने मुझे बताया कि बाकि के भाई भी मेरी इस बात की तरफ ध्यान देते हैं ! मैंने उसे समझाया कि तुम लोगों ने मुझे शुरू से एक लड़के की तरह देखा है और अब मुझे एक लड़की कि रूप में देखना पड़ रहा है ! इस बात की आदत धीरे धीरे तुम सब को पड़ जाएगी कि मैं अब बिलकुल एक लड़की हूँ ! मेरे भाई ने सहमति प्रगट की और चला गया ! सर्जरी से पहले मैं और मेरे भाई का एक ही कमरा था परन्तु अब मैं एक लड़की थी और मुझे अब थोड़ी निजता चाहिए थी तो उसकी की वजह से मुझे अलग कमरा दिया गया ! मेरे तीनो भाई मुझे बहुत प्यार करते थे ! अब उनसे थोड़ी सी दूरी हो गयी थी तो थोड़ा असहज महसूस करते थे ! एक दिन तो ऐसा हुआ कि मेरे चाचा का लड़का मेरे कमरे में गलती से बिना खटखटए आ गया मैंने दरवाजा सिर्फ बंद किया हुआ था और अंदर से कुण्डी नहीं लगा रखी थी क्यूंकि मुझे भी अभी कौन सा लड़की होने की कोई बहुत अच्छी आदत हुई थी तो भाई एकदम से अंदर आया जब में कपडे बदल रही थी उसने मुझे देखा तो फट से यह कहते हुए बहार निकल गया कि सॉरी दीदी मुझसे गलती हो गयी आगे से दरवाजा खडका के आऊंगा ! मुझे काफी असहज महसूस हुआ पर उसकी मासूमियत पर मुस्कुरा दी ! इस तरह सभी को और मुझे खुद लड़की के रूप में आगे बढ़ने में थोड़ी थोड़ी परेशानियां आ रही थीं ! परन्तु फिर भी कुल मिलकर सब कुछ ठीक था !

मेरी माँ ने मुझे अपने साथ रसोई में काम करने के लिए बुलाना शुरू कर दिया ! मैं अब दिन में लगभग एक घंटा रसोई में बिताने लगी ! मुझे रसोई का काम शुरू से ही थोड़ा पसंद था तो मुझे यह सब सँभालने में कोई दिक्कत नहीं हुई ! परन्तु फिर भी जैसे पहले मुझे अपनी मर्जी से रसोई में आना होता था अब मुझे रसोई में जाना जरुरी था ! तो जो काम हमारे लिए जरुरी बताया जाता उसे हम एक बंधन के रूप में लेते हैं ! माँ मुझे बहुत ही प्यार से सब कुछ समझा रही थी और मैं भी पूरा मन लगा कर यह सब सीख रही थी ! मुझे अब कई तरह की वरईटी का खाना बनाना आ गया था और मैं इस बात के लिए बहुत खुश थी !

मेरा एक व्हाट्सप्प ग्रुप था जिसमे मैं शुरू से एडमिन थी उसका नाम था MY COUSINS. इसमें मेरे सारे बुआ मामा मासी आदि के बेटे मेरे साथ थे ! और सभी भाई लोग मिलकर इसमें सारी बातें साँझा करते थे और खूब हंसी मज़ाक करते ! उनमे से एक ही था जो थोड़ा अख्खड़ स्वाभाव का था बाकी सबका स्वाभाव बहुत अच्छा था ! हालाँकि सबने मुझे भाई से अब बहन के रूप में स्वीकार कर लिया था पर हर किसी ने थोड़ा बहुत मज़ाक तो किया ही था ! चलो इतना मज़ाक करना तो भाइयों का हक़ है ! पर कुछ लोग तो हद ही पार कर जाते हैं ! एक दिन की बात है ! हम सब लोग किसी विषय पर बात कर रहे थे ! पर सबकी सोच एक जैसी नहीं होती तो दो भाइयों में जम गयी और लगे बहस करने ! वैसे तो मेरी शुरू से आदत है कि मैं कभी किसी बहस का हिस्सा नहीं बनती ! पर यहाँ दखल देना थोड़ा इसलिए जरुरी हो गया था कि एक भाई बिकुल ही सही था दूसरा अपना रुआब जमा कर अपनी बात मनवाना चाहता था ! मुझे यह बात अच्छी नहीं लगी और मैंने बीच में दखल देना शुरू कर दिया ! दरअसल जो भाई अख्खड़ स्वाभाव का है वो गलत था और दूसरा सही ! मैंने उसे कहा कि वो चुप कर जाये क्यूंकि वो गलत है तो उसने मुझे कुछ ऐसा जवाब दिया कि मेरे तो होश ही उड़ गए ! उसने कहा कि यह बातें मर्दों वाली हैं और हिजड़ों का इन बातों में कोई काम नहीं है ! उसने दुबारा जोर देकर कहा कि तुम न लड़का रहे न ही लड़की बन पाए ! यह सब कुछ सुनके तो जैसे मेरे पैरों तले से जमीन ही खिसक गयी और मैंने उसे पूछा कि उसे होश भी है वो मामूली बहस के चक्कर में उसे इतना बुरा भला बोल रहा है ! तो वो अपनी अकड़ में था उसे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था ! सब लोगों ने उसे गलियां दी और मुझे उसे ग्रुप में से निकल देने को बोला ! मुझे भी लगा कि जो इंसान इतना बद्तमीज़ है उसे ग्रुप में रखना अच्छी बात नहीं है तो मैंने उसे बहार निकल दिया और सारी बात माँ को बताई ! माँ को भी यह सब सुनकर बहुत दुःख हुआ ! पहले तो उन्हें लगा कि उसके माँ बाप से इस बारे में बात करनी चाहिए परन्तु फिर यह सोच कि चुप कर गयीं कि यह बच्चों की बात है उन्हें समझदारी से काम लेना चाहिए तो उन्होंने यह बात वहीँ पर ख़तम कर दी कि इससे उनकी रिश्तेदारी में फर्क पड़ेगा और मुझे बोला कि मैंने जो किया बिलकुल सही किया और ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान न देने को बोला ! मुझे भी पता था कि माँ बिलकुल ठीक बोल रही हैं पर अंदर से एक टीस सी उठी कि उसने ऐसा कहा कैसे ! यह लड़की बनने के बाद मेरे ऊपर सबसे पहली और सबसे बड़ी चोट थी जिसने मुझे अंदर तक हिला के रख दिया था !

कुछ दिन तो मेरा मन किसी चीज में नहीं लगा ! उसके शब्द मेरे सर पर हथोड़े की तरह प्रहार कर रहे थे ! मैं कितने दिन अकेले में रोई इस बात के लिए ! चलो वक्त सब कुछ भुला देता है तो कुछ दिनों बाद मैं भी इस बात को भूल गयी और मेरी सामान्य जिंदगी फिर से शुरू हो गयी ! 

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Posted: 3 years ago

मित्रो कहानी का अगला भाग मैं लिख रहा हूँ क्यूंकि मेरी व्यस्तता की वजह से थोड़ी देरी हो रही है ! इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ और हाँ इस कहानी का अंत भी नजदीक ही है !

कृपया पढ़ते रहिये 

चन्दर कांत मित्तल