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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग  (भाग7)

 

शुरूमें तो थोड़ा ठीक था, परन्तु फिर जैसे जैसे मेरे अंग विकसित होने लगे मुझे कई तरह की परेशानियां आनी शुरू हो गयीं ! मैं अपने आप को थोड़ाअसहज महसूस कर रही थी! परन्तु यही अब मेरा जीवन था ! मुझे कपडे तक पहनने में दिक्कत होने लगी ! एक लड़के के रूप में मैं आसानी से कपडे पहन लेती थी ! परन्तु अब उतनी सहजता से कोई भी काम नहीं हो पाता था ! मैं धीरे धीरे अपने को नए रूप में ढल रही थी !

 

मेरे भाइयों को अब मेरी थोड़ी फ़िक्र होने लगी ! उन्हें पता था कि मेरा जीवन अब सामान्य नहीं रहा ! उन्होंने अक्सर मुझे पूछना कि मुझे कुछ चाहिए तो नहीं ! उन्हें महसूस हो रहा था कि मैंने अपने माँ बाप के लिए बहुत बड़ा कुछ किया है ! परन्तु उतना ज्यादा समझना उनके बस में नहीं था ! लड़की के रूप में  मेरी पहली राखी थी ! भाइयों को पहली बार सगी बहन से राखी बंधवानी थी ! मुझे इतना अजीब लग रहा था कि बता नहीं सकती ! तीनो भाइयों की बारी बारी से राखी बाँधी ! ऐसा नहीं कि मुझे अजीब लग रहा था ! उनको भी बहुत अजीब लग रहा था ! परन्तु सबको एक ख़ुशी भी मिल रही थी कि राखी का त्यौहार इस घर में पहली बार सार्थक हुआ था ! मेरे भाई ने भावुक होते हुए मुझे कहा कि दीदी मैंआपको वचन देता हूँ कि आपको कभी परेशान नहीं करूँगा और आपकी हर बात मानूंगा ! आपने मम्मी पापा की इतनी बड़ी बात मानी उसके आगे कोई भी बात बहुत छोटी रहेगी ! और दोनों छोटे भाइयों ने भी अपनी तरह से मुझे शगुन दिया और वादा किया कि मेरी हर बात उनके लिए आदेश रहेगा ! सब लोगों कीआँखों में यह सब सुनकर ख़ुशी के आंसू आ गए ! मैंने भी उस भाई की बात सोचकर कि अगर दुनिया में बुरे लोग हैं जो हमेशा हमें रुलाने या नीचे दिखने में लगे रहते हैं तो इस तरह कितने हमारे अपने हैं जो छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात पर हमें खुशियां देने का कोई मौका नहीं छोड़ते ! चलो हर तरह के लोग इस दुनिआ में मौजूद हैं !

 

अपने आप में इतना बड़ा बदलाव होने के बाद मैंने एक बहुत बड़ी बात जानी कि जब इंसान में कोई बड़ा बदलाव होता है तो लोग उसके साथ सामान्य व्यवहार नहीं करते ! या तो उसका मज़ाक उड़ाएंगे मतलब उसे मज़ाकिया लहजे से देखंगे या फिर उससे बातचीत में या फिर अपने हाव भाव में किसी ना किसी तरह उससे हमदर्दी दिखाएंगे ऐसा जताएंगे कि वो इंसान एक बेचारा है ! परन्तु सामान्य व्यवहार कोई नहीं करेगा ! मैं यही चाहती थी कि लोग मुझे एक आम लड़कीकी तरह से देखें पर मेरे घर वालों और मेरे कुछ मित्रों कि इलावा किसी ने मेरे साथ ऐसा सामान्य व्यवहार नहीं किया ! वैसे मुझे इस बात की परवाह नहीं थी क्यूंकि यह राह मैंने खुद अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव कि चुनी थी तो मुझे इसका कोई गिला शिकवा नहीं था बल्कि मैंअब कुछ परेशानियां होने कि बावजूद इस नए जीवन का आनंद ले रही थी !

 

मैंने एक बात तो तय कर रखी थी कि मुझेअपने जीवन में कुछ ना कुछ बनना है ! मेरे सामने बहुत सारे विकल्प थे ! क्यूंकि मेरी लाइन कॉमर्स की थी तोमैं CA , CS  या फिर MBA कर सकती थी! इसके इलावा मैंने लड़कियों के माने जाने वाले विकल्प जैसे एयर होस्टेस, फैशन डिज़ाइनर या ब्यूटिशियन वाले कोर्सेज के बारे मेंभी सोचा ! परन्तु मुझे लगा कि मुझे CA को प्राथमिकता देनी चाइये क्यूंकि शुरू से ही मुझे कॉमर्स बहुत ही ज्यादा पसंदहै ! मैंने अपनी माँ से इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने भी मुझे यही कहा कि मुझे अपनी पसंद का क्षेत्र ही चुनना चाहिए ! हालाँकि CA  करना कोई आसान काम नहीं था परन्तु मैंने जीवन में कोई आसान काम कहाँ किया था ! मैंने तय कर लिया कि मुझे CA कि फाउंडेशन कोर्स में दाखिला लेना है ! मैंने कोर्स में दाखिला ले लिया ! मेरे पापा ने मुझे एकCA से मिलवाया जिनसे मुझे इस कोर्स से संभंधित पढाई में सहायता मिलनी थी  और साथ ही कॉलेज में तो मेरी B .COM की पढाई चल ही रही थी ! मैंने एक बात मनही मन सोच राखी थी कि अपने करियर से ऊपर मैं किसी भी चीज को तरजीह नहीं दूंगी और किसी लड़के को तो अपने जीवन में आने ही नहीं देना! क्यूंकि यह सब चीजें हमेशा करियर में बाधक होती हैं !

 

एक दिन सुबह माँ रोते रोते उठीं ! पापा ने उन्हें कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सपना देखा कि 3 4 लड़के मुझे देखने आये उन्हें सब कुछ पसंद था पर जब भी उनको पता चलता कि मैं लड़के से लड़की बनी हूँ तो वे तुरंत उठ कर चले जाते! मम्मी उन्हें बहुत समझने की कोशिश करती परन्तु वो एकदम से निकलकर चले जाते ! अचानक उनकी आंख खुली और एक बार तो उन्हें ऐसा लगा भी कि ऐसा सच में हो रहा है! उन्होंने पापा से बोला कि यह सब उनकी ज़िद के कारण हुआ है ! क्या जरुरत थी उन्हें अपने बच्चे की ज़िन्दगी ख़राब करने की उसकी ज़िन्दगी से खेलने की ! यह बोलते बोलते वो रोने लगीं ! पापा ने उन्हें समझाया कि उन्होंने सपना देखा है और इस सपने का असलियत से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है और उन्होंने कहा कि देख लेना उनकी समझदार बेटी के लिए रिश्तों की कतार लग जाएगी ! उनको सब्र नहीं हुआ और मुझे बुलाया! मेरे सामने भी वही बातें दोहराने लगीं  और बोलने लगीं कि उन्होंने उसका लिंग परिवर्तन करवा कर बहुत बड़ी भूल की है ! मैंने उन्हें कहा कि सपने भी कभी सच होते हैं? उन्होंने एक सपना देखा है और इसको उन्हें मन पर नहीं लगाना नहीं चाहिए ! दूसरी बात मैंने कहा कि मैं अपनेनए रूप में एकदम खुश हूँ और आप लोगों ने मुझे लड़की बना कर कोई गलती नहीं की है आइंदा मुझे यह बात ना बोलना कि आपने ऐसा करके कोई गलती की है ! इस तरह मैंने उनको बड़ी मुश्किल से समझाया और मैंने उन्हें कुछ गलत भी नहीं कहा! परेशानियां तो सबको आती हैं मुझे भी आयीं , परन्तुअब मैंने अपने आप को एक लड़की मान कर अपनी जीवन यात्रा शुरू कर दी थी!

 

इंसान सोचता कुछ है और हो कुछ और ही जाता है वैसा तो शायद होता ही नहीं जैसा उसने सोचा होता है ! मुझे नहीं पता था कि कॉलेज में कोई लड़का मुझे खास तौर से देखता होगा! मुझसे एक क्लास आगे था ! सब लोग उसे सनी बुलाते थे ! मैं अपनी सहेलियों में मस्त आगे बढ़ जाती और वो मुझे देखता रह जाता ! जब मैं निकलती तो उसके दोस्त मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखते ! इसी तरह दो तीन महीने निकल गए तो किसी ने उसे बताया कि मेरा जन्म दिनआ रहा है ! उसने अपने दोस्तों के आगे तय किया कि वो मुझे मेरे जन्मदिन की बधाई जरूर देगा ! दोस्तों ने भी उसे इसे एक चुनौती की तरह लेने को कहा तो उसने स्वीकार कर लिया ! यह वास्तविक्ता थी कि उसे मेरे भूतकाल के बारे में कुछ भी पता नहीं था ! वह दिन भीआया जब मेरा जन्मदिन था ! मेरी दोनों दोस्तों ने मुझे बधाई दी और मुझसे पार्टी के लिए बोला जो मैंने मान लिया ! हम लोग अपनी क्लास में जा रहे थे कि पीछे से मुझे जन्मदिन मुबारक की आवाज़ सुनाई दी , तो पीछे मुड़कर देखा एक लड़का मुस्कुराकर मुझे जन्मदिन की बधाई दे रहा था ! यह एक लड़की के रूप में मेरा पहला अनुभव था जब एक लड़का मुझे इस तरह से बुलाये और इस तरह मुझे जन्मदिन की बधाई देते हुए मेरी तरफ बढे ! कुल मिलकर मुझे ज्यादा अच्छा नहीं हुआ ! मैंने लड़की बनकर जीना तो सीख लिया था पर अभी मुझे इस बात की आदत नहीं पड़ी थी कि कोई लड़का मेरा एक साथी होगा! तो उसे रुखाई से  शुक्रिया बोलकर मैं अपनी क्लास में आगे बढ़ गयी ! उन दोनों ने मुझे खूब मज़ाक किया ! मुझे आज उनका मज़ाक करना अच्छा नहीं लग रहा था! एक बोली कि क्या बुराई है , अच्छा खासा तो दीखता हैऔर पढाई में भी एक नंबर पर है तो तू उसके बारे में क्यों नहीं सोच सकती ! मैंने कहा कि उसमे कोई बुराई है या नहीं यह बाद की बात है! मुझे किसी लड़के से कोई ताल्लुकही नहीं रखना है क्यूंकि मुझे अपने करियर को बहुत आगे लेकर जाना है और यह तभी संभव है जब मैं पूरी तरह से मन लगाकरअपनी पढाई करूँ ! मैंने अपना जो लक्ष्य तय किया है वो आसान नहीं है ! उसके लिए मुझे दिन रात एक करना होगा! फिर दूसरी बात मैं अपने जीवन में  लड़कों को लेकर उतनी सामान्य नहीं हूँ जितनी कि वो लोग हैं ! क्यूंकि मेरा जन्म एक लड़की के रूप में नहीं हुआ है ! मैं धीरे धीरे अपने को उस रूप में ढालूँगी ! पर इस सबके लिए अभी बहुत समय है ! अभी तो मुझे सिर्फऔर सिर्फ अपनी पढाई पर ध्यान देना है ! दोनों ने मुस्कुरा के मुझे जफ्फी डाली और कहा कि जैसी तुम्हारी सोच है तू जरूर एक दिन कामयाब होगी हमें यह पहले से पता है !

 

दोपहर बाद छुट्टी कि बाद वो लोग मुझे कहाँ छोड़ने वाली थीं ! वो मुझे कैंटीन में ले गयीं और मुझे आर्डर देने के लिए बोला तो मैंने कहा कि वो लोग जो चाहें मंगवा लें क्यूंकि पार्टी मेरी तरफ से है तोआर्डर उनकी तरफ से होगा ! उन्होंने सबके लिए आर्डर किया ! हम लोग अभी खा ही रहे थे तो वही लड़का फिर से पास आयाऔर बोला कि उसने भी तो जन्मदिन की बधाई दी थी तो पार्टी पर थोड़ा हक़ तो उसका भी था !  मैं एकदम सकपका गयी ! मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इसको क्या जवाब दूँ ! मुझसे पहले मेरी एक सहेली ने ही उसे बैठने को बोल दिया! पर उसने कहा कि जिसका जन्मदिन है वो तो बोल नहीं रही आप लोग क्यों बोल रहे हो तो मैंने कहा बैठिये और बोलिये किआप क्या खाना चाहते हैं ! उसने बताया और मेरी सहेली ने आर्डर कर दिया ! तो मैंने उसे बताया कि मेरा लक्ष्य कुछ और है और उसे मेरे पीछे समय बर्बाद करने की जरुरत नहीं हैं ! तो वो बोला कि उसका भी वही लक्ष्य है यानि ca तो मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा कि जनाब जो लोग आशिकी में पड़ जाते हैं वो लोग ca के लिए नहीं बने होते ! वो थोड़ा गंभीर होकर बोला कि ca तो उसका लक्ष्य है इसमें कोई दो राय नहीं है ! उसके लिए वो दिन रातमेहनत भी कर रहा है ! परन्तु उसे मेरा स्वाभाव औरों से कुछ अलग लगा और उसे यह भी पता था कि मैं पढाई में काफी अच्छी हूँ ! तो उसने तो सिर्फ थोड़ा दोस्ती के लिए सोचा था ! तो मैंने कहा कि मुझे अपने आप को सिर्फ पढाई तक केंद्रित रखना है और अपना ध्यान इस बात से कभी नहीं हटने दूंगी ! तो उसने कहा कि लड़कों की दोस्ती इतनी भी बुरी नहीं होती कि वो लड़कियों की उनके लक्ष्य से दूर ले जाएँ ! मैंने कहा कि कुछ भी हो, जो मैंने सोच लिया वो सोच लिया! मुझे ना अपना नजरिया बदलना है और नाअपना निश्चय ! अभी मेरा निश्चय पढाई है तो वो ही रहेगा ! हाँ जब मुझे कभी किसी लड़के कीदोस्ती की जरुरत पड़ेगी तो मैं शायदआपसे संपर्क कर लूँ ! उस वक्त अगर आपको सही लगे तो मुझसे दोस्ती कर लेना ! उसने कहा कि मेरी इन्ही बातों की वजह से वो मेरी तरफ आकर्षित हुआ था ! क्यूंकि उसे लड़कों से पता चला था कि एक नयी लड़की आयी है जो सिर्फ पढाई के बारे में ही सोचती है और कभी किसी लड़के की तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखती ! तो उसने फिर से कहा कि उसे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब मुझे किसी लड़के को दोस्त के रूप में पाने की इच्छा होगी और उसे सदा ही उसका दोस्त बनने में दिलचस्पी रहेगी ! वैसे उसने और भी बोला कि वो भी पढाईको बहुत महत्व देता है और उसेअन्य लड़कियों में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही ! वैसे उसकी इस बात को मेरी सहेलियां मुझे पहले ही बता चुकी थीं ! मैंने उसे कहा कि मुझे उससे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई परन्तु अभी मुझे बस पढाई तक ही सोचना है ! मैंने अनुभव किया कि जो मेरा लहजा शुरू में रुखाई वाला था अब बहुत नरम हो गया था! मैंने अपने इस बदलाव को महसूस किया ! परन्तु यह इसलिए नहीं था कि मुझे भी उसके प्रति कोई आकर्षण था ! यह इसलिए था कि जब मैं उसे अच्छे से जानती नहीं थी और उसे मिली नहीं थी तब तक मुझे  यह लगता था कि वो कोई आम लड़कों जैसा लड़का है जिसे सिर्फ मस्ती करनी पसंद है ! परन्तु उससे बात करके पता चल कि वो बहुत समझदार है और पढाई में एक नंबर पर है ! तो जो इस तरह समझदार और सबसे आगे होते हैं ज़माना उनका आदर करता ही है और उन्हें बिना कहे इज़्ज़त मिलती है ! उसकी प्लेट खली हो चुकी थी तो मैंने उसे अब खुद हीआग्रह किया कि उसे और जो कुछ भी चाहिए हो बोल सकता है क्यूंकि अभी उसने इतना कुछ नहीं लिया था ! यह सब कहते हुए मैं मुस्कुरा रही थी और मुझेअपने आप पर बहुत हैरानी हो रही थी! उसने और कुछ लेने से बिलकुल मना कर दिया और मुझे फिर से जन्मदिन मुबारक बोलकर वहां से निकल गया! मेरी सहेलियां मेरी तरफ देखने लगीं ! क्यूंकि उन्हें अब मेरे अंदर बदलाव महसूस हुआ था ! तो मैंने उनकी यह बात भांप ली और उनको बोला कि कोई मेहमान की तरह आये तो उसको थोड़ी तो तवज्जो देनी पड़ती है तो एक ने कहा कि यह तवज्जो थी या दोस्ती का निमंत्रण तो मैंने हंसकर उसे डांटते हुए कहा कि ऐसा कभी नहीं हो सकता ! फिर हम लोग अपने अपने घर के लिए निकल पड़े !

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Posted: 3 years ago

दोस्तों क्या उनकी दोस्ती शुरू होगी या नहीं ? क्या वो अपने लक्ष्य में कामयाब हुई? उसकी कहानी का अंत क्या होगा अगले भाग में आपको पता चल जायेगा ! वैसे यह एक सच्ची कहानी पर आधारित है और मैं इस इंसान के संपर्क में हूँ ! उसी ने मुझे अपनी कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया ! मैं उस इंसान को नमन करता हूँ जिसने अपने माँ बाप के सपने के लिए इतना बड़ा त्याग किया !

चन्दर कांत मित्तल !   

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Posted: 3 years ago

Please break up your story on first and second page into paragraphs.

Please do not underline the text, Hindi already has lines over it's words.

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Posted: 3 years ago

okay man i will do that and this underline i don't know when happened. i will keep in mind about the paragraphs for the convenience of readers.


thanks for your suggestion bro

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Posted: 3 years ago

अनोखात्याग (भाग 8)

 

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए! फिर मेरी ca के पहले इम्तिहान थे तो मैं उस बारे में पढ़ने के लिए उनca के पास जाने लगी जिनके पास मेरे पापा ने मुझे भेजाथा ! वो मेरी अच्छीसहायता कर रहे थेपर उन्हें इम्तिहान के बिलकुल नएस्वरुप की जानकारी नहींथी तो उन्होंने कहाकि मैं इस बारे मेंकिसी ऐसे विद्यार्थी से इसकी जानकारीलूँ जिसने हाल ही में यहपेपर दिया हो ! मैं तो ऐसे किसीविद्यार्थी को जानती नहींथी तो मैंने अपनीदोस्तों से इस बारेमें चर्चा की तो उन्होंनेमुझे सुझाया कि क्यों नामैं सनी से इस बारेमें बात करूँ ! मैंने मन कर दियाऔर कहा कि वो पहलेही हर बार किसीआशा से मेरी तरफदेखता है मैंने उससेपूछा तो वो औरभी पीछे ना पड़ जाये! पर उन्होंने कहा कि उसे उससेबढ़िया सलाह कहीं से नहीं मिलसकती ! मैं सोच में पड़ गयी ! फिरसोचा चलो पूछने में क्या हर्ज है ! मैं दोपहर बाद घर जाने केलिए निकली तो कॉलेज केदरवाजे पर मुझे सनीखड़ा मिला ! मैं उसके पास जाने लगी फिर झिझकते हुए रुक गयी फिर जाना रुकना 2 - 3 बार हुआ तो उसने नोटिसकिया और मेरे पासआकर बोला जो भी बातकरनी है करो ऐसेझिझकना ठीक नहीं ! मैंने उससे पेपर के बारे मेंपूछा ! उसने मज़ाक में कहा कि धत तेरेकी मैं तो सोच रहाथा कि तुम i love u बोलनेजा रही हो ! फिर गंभीर होते हुए बोला कि मैं मज़ाककर रहा था गुस्सा नहींकरना और फिर मुझेपेपर कि नए स्वरुपकि बारे में बताने लगा ! हम दोनों एकबेंच पर बैठ गएथे सो मैं उसकीसारे बातें नोट करने लगी ! पढाई की बात किसमय वो बहुत हीगंभीर था ! उसकी यह बात मुझेबहुत ही अच्छी लगी! मैं भी ऐसे हीतो थी ! मुझे भी पढाई किसमय और किसी भीबात पर चर्चा अच्छीनहीं लगती थी ! उसने सब कुछ बतादिया और मुझसे कहाकि मुझे जब भी जरुरतहो तो मेरे पासकुछ भी पूछने आसकती है क्यूंकि उसेकाफी हद तक नएसिलेबस की जानकारी हैऔर वो अंदाज़ा लगासकता है कि पेपरमें क्या क्या आ सकता है! फिर उसने और भी गंभीरहोते हुए कहा कि मुझे किसीभी तरह की चिंता करनेकी जरुरत नहीं हैं और कहा किवह एक बहुत हीअच्छे परिवार से है औरसदा ही लड़कियों कीइज़्ज़त की है ! तोवो बेझिझक उसके पास कभी भी पढ़ने आसकती है ! मुझे उसकी यह बात अच्छीलगी और हम लोगकॉलेज कि बाद मेरीपढाई  केलिए एक घंटा निकलनेलगे !

 

दिनबीतते समय कहाँ लगता है ! एक महीना बीतगया ! उसका कुछ बाद जन्मदिन था ! उसने मुझे पहले ही न्योता देदिया था ! उसने कुछ चुनिंदा दोस्तों को ही जन्मदिनकी पार्टी पर बुलाया था! मुझे अच्छा लगा कि उसने मुझेइस तरह न्योता दिया है ! मैंने घर जाकें मांको बोला कि मुझे एकअपनी सहेली कि जन्मदिन केलिए एक ड्रेस लेनीहै ! तो अब तोमैं अपने माँ बाप की वैसे हीचाहती बन गयी थी! मेरी हर बात माननाउनके लिए जरुरी था ! माँ ने फट सेहाँ कर दी ! मैंशाम को ही एकअच्छी ड्रेस लायी और उसे पहनकर देखा ! फिर देखते हुए मैंने अपने आप ही सोचाकि मैं इतना खुश क्यों हूँ ! एक दोस्त कीजन्मदिन पार्टी ही तो है! मुझे ऐसे खुश नहीं होना चाहिए ! क्या मेरे अंदर सनी को लेकर कुछहै ? मैंने अपने आप से बोलाकि नहीं ऐसी कोई बात नहीं है ! तो फिर अपनेआप से पूछा तोइतनी बांछे क्यों खिली हुई हैं? क्यों पैर ज़मीन पर नहीं लगरहे? तो मैं अपनेआप से बोली कुछनहीं बस मुस्कुरा दिया! 

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::2::

अगलेदिन शायद क़यामत का दिन था! सनी कॉलेज के दरवाजे परमेरा इंतज़ार ही कर रहाथा और आते हीमुझ पर जैसे बरसपड़ा गुस्सा होने लगा कि तुम्हे झूठभी बोलना आता है ? मैंने पूछा कि मैंने उससेक्या झूठ बोला है ? तो उसने कहाकि मेरे बताने से पहले हीबता दो जो झूठतुमने बोला है ! मैंने कहा कि मैंने तुमसेकोई झूठ नहीं बोला ! तो उसने कहाकि बोल दो कि तुमपहले लड़के नहीं थे ! मैंने बहुत ही हैरानी सेउसकी तरफ देखा और पूछा किउसे किसने बताया ! तो उसने कहाकि जिसने भी बताया होपर क्या यह सच है! तो मैंने कहा कि हाँ यहसच है और कहाकि यह बात तोबहुत से लोगों कोपहले ही पता है! तो उसने कहा कि उसे यहबात नहीं पता ! तो मैंने कहाकि मुझे नहीं पता उसे यह बात पताथी या नहीं परमेरा उससे छुपाने का कोई इरादानहीं था और कहाकि मैंने किसी भी तरह सेझूठ तो कोई बोलाही नहीं था ! तो उसे भीलगा कि झूठ तोइसने बोला नहीं ! फिर मैंने कहा कि मैंने कभीभी किसी बात के लिए किसीसे झूठ नहीं बोला और क्या फर्कपड़ता है मैं कलक्या थी आज तोमैं एक लड़की हूँ! और फिर कहा कि क्या अपनेमाँ बाप की इच्छा पूरीकरना कोई गलत बात है और इतनाकहते कहते मेरी आँखों में आंसू आ गए ! उसनेमेरे आंसू पोंछे और हाथ जोड़करमाफ़ी मांगी और कहा किवो आइंदा उसे उस बारे मेंकुछ नहीं कहेगा ! मैंने अपने लड़के से लड़की बननेकी पूरी प्रक्रिया वाली बात उसे  बताई! वो सुनकर खुश हो गया औरइतना कहा कि वो उसकेलिए कुछ कर पाया यहउसके लिए बड़े गर्व की बात है! फिर वो जबरदस्ती मुझेकैंटीन में ले गया औरहमने स्नैक्स वगैरह ली ! फिर उसके बाद उसका मेरे प्रति थोड़ा व्यवहार बदल गया ! कुछ इज़्ज़त भरी नज़रों से देखता औरभी कुछ था अब जोउसके मन में चलरहा था ! अब तो मेरेमन में भी उसके बारेकुछ न कुछ चलरहा था जो मैंनेमहसूस किया ! पर दोनों मेंसे किसी ने कभी किसीको कुछ नहीं कहा !

उसपार्टी में कुल मिलकर 10 लोग थे ! 6 लड़के और 4 लड़कियां ! 3  तोहम ही थीं 1 उसकीसहपाठी थी ! वो लड़की औरयह सनी दोनों ही पढाई मेंकाफी अच्छे थे और ज्यादातरइकठे ही पढ़ते थे! सनी ने कई बारउसका जिक्र किया था ! पहले पहले तो लोगों नेअफवाह फैला दी थी किवो दोनों प्रेमी हैं परन्तु दोनों ने ही मिलकरलोगों की इस ग़लतफहमीको दूर कर दिया थाकि वो दोनों अच्छेदोस्त हैं और इसके इलावाकुछ नहीं ! हालाँकि मैंने उसे कॉलेज में देखा जरूर था पर मिलनापहली बार हुआ था ! हम चारों काफीघुल मिल गयीं थी क्यूंकि उसकाव्यव्हार काफी अच्छा था ! वैसे बाकि लड़के जो सनी नेपार्टी में बुलाये थे सबके सबबहुत अच्छे थे ! यह देख किअच्छा लगा कि लोगों किमामले में उसका चुनाव काफी अच्छा है ! कुल 3  टेबल्सपर हम लोग बैठेथे ! स्वाभाविक रूप से हम चारोंलड़कियां एक ही टेबलपर थीं ! सनी बारी बारी से सब केपास जाता और पूछता किउन्हें किसी चीज की जरुरत होतो बोल दें ! वो सबका अच्छेसे ध्यान रख रहा था! संगीत बजने लगा ,फिर अचानक सब लोग खड़ेहो गए और सबनेमिलकर सनी को जन्मदिन कीबधाई दी ! फिर इसके बाद थोड़ा नाच गाना हुआ ! पंजाबी नाच गाना तो पंजाबी गीतोंपर ही जचता है! तो सबने मिलकर खूब मज़े किये ! मुझे भी काफी दिनोंबाद काफी अच्छा किया ! सनी ने आते हीमेरी ड्रेस की काफी तारीफकी थी और मुझेकाफी अच्छा लगा था कि उसनेयह नोटिस किया कि मेरी ड्रेसनयी है ! फिर वो अचानक मेरेपास आया और मुझे बुलाकि मैं पार्टी में हम दोनों केबारे में कुछ बोलना चाहता हूँ अगर मेरी इजाज़त हो तो ! मुझेतो कुछ सूझ ही नहीं रहाथा ! मैंने कभी कहाँ किसी लड़के के बारे मेंसोचा था ! मैंने उसे कहा के सनी देखोमैंने पहले ही बुला थाके पढाई मेरी प्राथमिकता है और तुमफिर वही बातें कर रहे होतो उसने कहा कि कहाँ मुझेपरेशान कर रहा थाऔर मेरा एक ग्रुप तोसफल होने ही वाला थाऔर फिर एक ना एकदिन तो मुझे किसीना किसी को चुनना हीहै तो आज क्योंनहीं और मैं क्योंनहीं ? मैं सोच में पड़ गयी !

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दोनोंमें से एक सहेलीमेरे पास आयी और बोली किसोच मत हाँ करदे ! मैंने एकदम से बोल दियाठीक है सनी जैसातुम्हे ठीक लगे ! सनी ख़ुशी से झूम गया,मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सबकेबीच ले गया औरऊँची आवाज़ में सबको बोलने लगा कि मैं औरमनजोत आज से एकनयी ज़िन्दगी शुरू करने जा रहे हैंऔर इसके लिए हम दोनों  को आप सबकीदुआएं चाहियें ! सब लोगों नेखूब तालियां बजायीं और मैं भीदिल से खुश थीऔर यह ख़ुशी मेरेचेहरे पर झलक रहीथी ! पर मुझे एकडर भी था किकहीं सनी इस मौके परमुझे KISS ना करे क्यूंकिमैं अभी उसके लिए तैयार नहीं थी ! पर उसने ऐसानहीं किया जो यह साबितकरता है कि वोकिस हद तक शरीफइंसान था !

जोलड़के पार्टी में आये थे उनमे सेएक मेरे मोहल्ले कि पास हीरहता था ! तो पता नहींउसके द्वारा कैसे पार्टी वाली बात मेरे माँ बाप तक पहुंच गयी! मेरी माँ ने मुझसे इसबारे में पूछा तो मैं झूठना बोल सकी और हाँ बोलदिया ! माँ को बहुत गुस्साआया उसने कहा कि अब कहाँगया उसका सपना ! उसे तो सबसे पहलेCA करना था ! उसे तो अपनी पढाईको ही प्राथमिकता देनीथी तो अब क्याप्यार मोहब्बत पढाई से ज्यादा होगए ? मैंने कहा माँ मेरे लिए अब भी पढाईसबसे जरुरी है  औररही बात शादी या प्यार मोहब्बतकी तो आज तकमैंने आपकी बात मानी है तो सबकुछ आप लोगों कीइच्छा अनुसार ही होगा ! माँको मेरी बात पसंद नहीं आयी और उन्होंने शामकोपापा से इस बारेमें बातचीत की ! पापा को भी गुस्साआया और बुला किकुछ दिन इसे कॉलेज ना जाने दोनहीं तो यह हमारीइज़्ज़त मिटटी में मिला देगी ! मुझे उनका व्यव्हार बाहर ही अजीब लगरहा था कि क्याइनका व्यव्हार लड़के के लिए भीयही होता ! जब उनको एकलड़की पर विश्वास हीनहीं करना था तो एकलड़के को लड़की मेंपरिवर्तित क्यों करवाया ! क्या हमारे समाज में इसी तरह कथनी और करनी मेंफर्क रहेगा ! बात मेरी सहेलियों तक भी पहुंची! वो मेरे पास आयीं और उन्होंने मुझेबताया कि मेरी इसबात की वजह सेसनी भी काफी दुखीथा !  उन्होंनेमाँ से आकर मिन्नतकी कि मेरा करियरख़राब ना करें औरविश्वास दिलाया कि मैं एकबहुत ही समझदार लड़कीथी ! पर माँ नहींमानी ! मेरी दादी यह सुन रहीथीं और सुनते हीवो माँ पर चढ़ गयीऔर बोलीं कि जिस लड़केने आपकी इच्छा पूरी करने के लिए इतनाबड़ा त्याग किया वो कोई गलतकदम उठा सकती है? इतना कहकर उन्होंने लड़कियों से कहा किजाओ बेटा कर से यहकॉलेज जरूर आएगी ! माँ को भी अबअपनी बात पर पछतावा था! मैं कॉलेज जाने लगी पर सनी सेमिलना बंद कर दिया ! वोदेखता तो मुँह दूसरीतरफ घुमा लेती !

परअचानक कुछ दिन बाद वो दिखना भीबंद हो गया ! पताचला कि वो शहरछोड़ कर कही औरशिफ्ट हो गया है! पर कहाँ यह किसी कोमालूम नहीं था ! मैंने भी ज्यादा जाननेकी इच्छा नहीं की और अपनीपढाई में मस्त हो गयी ! उसकीयाद तो आती थी! पर मेरे लिए पढाई बहुत मायने रखती थी ! मैंने जो सोच रखाथा वो मैंने पूराकरना ही था ! परमेरी सहेलियां इस बात सेबहुत दुखी थीं कि मैं अबकाफी गंभीर रहती थी ! मुझे पढाई में काफी दिक्कत आती थी पर मैंनेपूरी लगन और म्हणत सेपढाई की, इस तरह 6  साल बीत गए और वहशुभ दिन भी आया जिसकामुझे वर्षों से इंतज़ार था! हाँ वही दिन जब मेरी CA कीपढाई पूरी हुई १ अब मैंएक CA थी ! मुझे अब भी यहएक सपने जैसा लग रहा था! पर अब यह सपनाएक हकीकत बन गया थाऔर मुझे वो मिल गयाथा जो मैंने चाहाथा !  उसदिन मैंने जाना कि मेहनत काफल बहुत मीठा होता है !     ……………… अंतिमभाग जल्द ही ...क्रमशः…..

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग (भाग 9) (अंतिम भाग)

आज घर पे मेरे CA बनने की ख़ुशी में एक पार्टी थी ! सभी करीबी रिश्तेदार और पडोसी उस पार्टी में शामिल थे ! मेरी दोनों सहेलियां भी आयीं थी ! एक ने तो MBA Finance किया था परन्तु दूसरी ने  B.COM के बाद आगे पढाई नहीं की और उसकी शादी हो गयी थी ! उनको बहुत ज्यादा ख़ुशी थी कि मैं इतनी कामयाब हो गयी थी ! मेरे माँ बाप और बाकि सब लोग तो फूले नहीं समां रहे थे ! सब लोग बोल रहे थे कि आपकी बेटी ने आपका नाम रौशन कर दिया है क्यूंकि यह कोई आम परीक्षा नहीं थी ! एक ऑन्टी ने तो अपनी बहन के बेटे का रिश्ता भी बता दिया कि वो भी CA है ! माँ ने कहा कि अभी अभी तो इसकी पढाई पूरी हुई है अभी थोड़ा सोचेंगे और इस बारे में मनजोत से भी तो बात करनी होगी ! मैं अपनी सहेलियों कि साथ मस्त थी ! दूसरी सहेली को बोला कि जीजा जी को भी साथ लाना था ! तो उसने कहा कि उन्होंने कहा कि पहली बार मिलना है तो पहले मुझसे अकेले ही मिलना चाहते थे ! उन्होंने मुझे पूछा कि उसके बाद सनी से कोई बात हुई तो मैंने मना कर दिया तो उस बारे फिर कोई बात नहीं हुई ! इसी तरह काफी टाइम बीत गया और सब लोग जाने लगे ! सबके जाने के बाद माँ ने दादी को बताया कि फलां औरत रिश्ते की बात बता रही थी तो दादी ने कहा कि बात चलने में क्या हर्ज़ है ! मैंने कहा मैं पहले अपना काम जमाना चाहती हूँ और 2 साल मेरी शादी की बात बिलकुल न करना !

पर माँ बाप बच्चों की बात सुनते कहाँ हैं ! माँ ने उन ऑन्टी से बात चलाने को कहा और एक दिन वो लोग मुझे देखने के लिए आ गए ! आ गए इसलिए बोल रही हूँ कि मेरी मर्जी कहाँ थी ! पर मैं तो माँ बाप की आज्ञाकारी हूँ शुरू से तो कोई विरोध करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता ! वो लोग आये और जैसा कि आप लोग फिल्मो में देखते हो ठीक वैसे ही मेरी नुमाइश हुई ! सब बातें हुई पढाई लिखाई, मेरी रुचियाँ, मुझे क्या क्या आता है ? वगैरह वगैरह ! मैंने लड़के को साफ़ साफ़ अपनी लड़के से लड़की बनने वाली बात बता दी ! बताना तो मेरे माँ बाप ने भी था पर मैंने सोचा कि मुझे पहले लड़के की प्रतिक्रिया जान लेनी चाहिए ! लड़के को तो पता नहीं जैसे सांप ही सूंघ गया ! जो पहले मुझमे काफी रूचि ले रहा था अब एकदम बोलती ही बंद हो गयी उसकी ! वो लोग जल्दी ही निकल गए ! उनके बाद एक और पार्टी भी आयी ! पार्टी ही तो होती है, ऐसे आते हैं जैसे शादी की बात नहीं कोई डील करनी हो ! मैंने उसे भी बताया तो भागना उसे भी था ! मैंने उन्हें अब बिलकुल मना कर दिया कि अब और कोई ड्रामा नहीं ! मेरी शादी होनी होगी हो जाएगी अगर नहीं होनी होगी तो कोई आफत नहीं ! मैं कोई बोझ नहीं हूँ ! पढ़ी लिखी समझदार हूँ और अपना जीवन अपने आप काट सकती हूँ ! मैंने तो अपने आप को समझा लिया था पर माँ को कौन समझाता ! उन्होंने अलग से अपने दिमाग में यह बात बैठा ली कि उन्होंने मेरी जिंदगी ख़राब कर दी और दिन रात उन्हें इसी बात की चिंता लगी रहती ! 

मैंने एक CA COMPANY कि साथ पार्टनर कि तौर पर काम करना शुरू कर दिया था ! अभी पहला ही साल था तो मुझे अभी काफी कुछ सीखना था और साथ ही साथ मुझे इस बात का भी पता चला कि पढाई और व्यावहारिक काम काज में काफी अंतर होता है ! हालाँकि हमें अपनी पढाई को आधार बना कर ही फैसले लेने होते हैं परन्तु इसके इलावा भी बहुत कुछ एक CA को करना पड़ता है ! खैर यह सब चीजें धीरे धीरे हर कोई सीख जाता है ! मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई और मैं जल्द ही उस COMPANY का एक अभिन्न अंग बन गयी ! मेरा काम सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक होता था ! मैं घर आकर भी माँ के साथ घर के काम में उनकी सहायता करती थी ! दिन अच्छे बीत रहे थे परन्तु माँ को कुछ हो गया था ! उनके अंदर यह बात घर कर गयी थी कि मेरी उस बात की वजह से मेरी शादी होनी मुश्किल है ! एक दिन तो हद ही हो गयी जब उन्होंने कहा कि मैं डॉक्टर से बात करती हूँ अगर फिर से वो दुबारा सर्जरी करके मुझे लड़का बना दें ! मैंने कहा माँ अब बस करो ! यह सब कोई मज़ाक नहीं है ! मेरी भावनाएं भी हैं कुछ ! मैंने पहले 18 साल एक लड़के कि रूप में जीवन जीया ! अब कई साल से लड़की बनकर अपनी ज़िन्दगी गुजार रही हूँ ! मैंने अब पूरी तरह से अपने को एक लड़की मान लिया है और मैं अपने इस जीवन का पूरा आनंद ले रही हूँ ! सो अब आप ऐसी बातें ना करें तो अच्छा है क्यूंकि इससे मुझे बहुत दुःख होगा और आप मेरी शादी की चिंता मत करो जब होनी होगी तो हो जाएगी ! और फिर आपको तो फ़ायदा ही है अगर मेरी शादी ना हुई तो सारी उम्र आपकी सेवा करुँगी यह बोलकर मैंने अपनी माँ कि गले में अपनी बहन डाल दी और मुस्कुराने लगी ! माँ बोली कि शुभ शुभ बोल और अपने काम में लग गयी ! 

आज हरीत बुआ जी ने आना था ! वैसे तो उनके साथ मेरा बचपन से ही काफी लगाव था परन्तु जब से मैं लड़की वाला जीवन जी रही हूँ हम दोनों सहेलियां बन गयीं थी ! वो हम सब बच्चों को अपनी जान से बढ़कर समझती थीं ! वैसे सहेलियां होने का एक और भी कारण था कि हम दोनों में उम्र का कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं था ! हम दोनों अपने दिल की हर बात एक दुसरे से करते थे ! सो आज जब हरीत बुआ जी ने आना था तो मैं दोपहर को ही छुट्टी लेकर घर आ गयी थी ! इन 4 महीनों में यह मेरी पहली छुट्टी थी वह भी आधी ! हमने उनका बहुत अच्छा स्वागत किया ! हम दोनों गले लगकर मिलीं ! उन्होंने मुझे पूछा कि मेरा काम कैसा चल रहा है तो मैंने जवाब दिया कि एकदम बहुत बढ़िया ! माँ ने दोपहर का खाना लगभग तैयार कर लिया था ! फूफा जी भी आये थे पर वह दोपहर कि खाने तक ही रुकने वाले थे और फिर वो बुआ जी को छोड़ कर जाने वाले थे ! मुझे पता लगा कि बुआ जी एक हफ्ते के लिए आयी हैं तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही ना रहा ! मैंने बुआ जी से कहा कि मैं पूरे हफ्ते की छुट्टी ले लुंगी और खूब घूमना फिरना होगा, शॉपिंग होगी और फिल्म भी और मैंने एक और बात की घोषणा की कि मैं भी अब कमाने लगी हूँ और बुआ जी की सारी शॉपिंग मेरी तरफ ! पर बुआ जी ने कहा कि मुझे छुट्टी लेने की कोई जरुरत नहीं और जहाँ तक शॉपिंग और फिल्म का सम्बन्ध है तुम शनिवार की छुट्टी ले लेना तो हमें यह सब करने के लिए दो दिन मिल जायेंगे और शाम को तुम जल्दी आ ही जाती हो तो शाम को बातें हो जाया करेंगी पर तुम अपने काम का हर्जा ना करो ! मुझे उनकी बात बहुत अच्छी लगी ! बहुत अच्छी और बहुत समझदार हैं मेरी हरीत बुआ ! दोपहर के खाने के बाद फूफा जी चले गए ! रात को खाने कि बाद मैं माँ और बुआ तीनो एक साथ लेटे और लगे बातें करने ! जब बुआ आती हैं तो हम लोगों का रात को 2 -3 बजे तक सोना आम बात है ! मम्मी ने फिर से अपना रोना रोना शुरू कर दिया और बोला कि दो दो लड़के इसे इसकी पिछली ज़िन्दगी की वजह से छोड़ के चले गए ! बुआ बोली कि उन लोगों की किस्मत ख़राब है जो हमारे हीरे को ठुकरा के चले गए ! इसे तो कोई बहुत ही अच्छा लड़का मिलने वाला है ! तो मैंने कहा कि बुआ जी आप भी वही बातें लेकर बैठ गए ! पर बुआ माँ को देख कर थोड़ी गंभीर हो गयीं और कहने लगी कि लड़का तो है एक मेरी निगाह में ! इंजीनियर है, समझदार भी है और उसका परिवार भी पढ़ा लिखा है ! मुझे नहीं लड़का कि उन लोगों को मनजोत के पिछले जीवन से कोई दिक्कत होगी ! मैंने टोकना चाहा तो माँ ने मना कर दिया और बुआ को मेरे रिश्ते की बात चलने के लिए बोला ! बुआ बोलीं कि मैं कल ही उन लोगों से रिश्ते की बात करुँगी और मैं चाहती हूँ कि मेरे सामने ही इसकी बात आगे बढ़ जाये !

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग (भाग 9) (अंतिम भाग)

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अगले दिन ही बुआ जी ने उन लोगों से बातचीत की तो उन्होंने पहले लड़का और लड़की दोनों को मिलाने की बात कही ! बुआ जी ने मुझे पूछा कि मैं कब खाली रहती हूँ तो मैंने कहा कि या तो दोपहर के खाने कि वक्त या फिर शाम को 6 बजे के बाद ! उन्होंने उन लोगों से बात की और अगले दिन दोपहर के वक्त एक रेस्टोरेंट में मेरे और लड़के के मिलने का कार्यक्रम बनाया ! इस बार हम लोग चाहते थे कि ज्यादा कुछ ना हो क्यूंकि दो बार लड़के वाले घर पर आये और ना करके चले गए तो घर वाले चाहते थे कि आस पड़ोस वालों को कुछ पता ना चले ! मैं मिलना तो नहीं चाह रही थी पर माँ और बुआ जी की इच्छा के लिए मुझे मिलना तो था ही ! मैंने सोचा चलो मिलने में हर्ज ही क्या है ? तो अगले दिन दोपहर को ठीक दो बजे मैं निर्धारित रेस्टोरेंट में पहुँच गयी ! हमारी फ़ोन पर बात हो गयी थी ! वो लड़का जिसका नाम बुआ ने परम बताया था पहले ही पहुँच गया था और एक उसने एक टेबल बुक कर लिया था ! मैं भी लेट नहीं थी मैं उस तरफ गयी जहाँ उसने फ़ोन पर बताया था कि उसने टेबल बुक करवाया है ! वो एक कोने में एक टेबल पर बैठा था और मुझे देख कर वो खड़ा हो गया और मेरे नजदीक पहुँचते ही उसने मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया ! मैंने झिझकते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया ! झिझक इसलिए थी क्यूंकि सनी के बाद मैंने किसी भी लड़के से हाथ नहीं मिलाया था ! हमने हाथ मिलाया और बैठ गए ! उसने मुस्कुराते हुए मुझे खाने का आर्डर देने के लिए बोला ! मैंने उसे ही बोला कि जो वो मंगवा लेगा मुझे अच्छा लगेगा पर उसके ज़िद करने पर मैंने बता दिया कि क्या मंगवाना है पर मैंने मन ही मन बोला कि कर लो जितनी औपचारिकता करनी है मेरे बताने के बाद तो तुमने भी भाग ही जाना है ! उसने ही बातचीत शुरू की और मेरे काम काज के बारे में पूछा ! मैंने भी उसके बारे में थोड़ा बहुत पूछा पर जल्द ही मैंने उसे कहा कि और किसी भी बात से पहले मैं एक बात बताना चाहती हूँ ! उसने मेरी तरफ बढे ध्यान से देखना शुरू कर दिया पर बोला कुछ नहीं ! मैंने उसे बताया कि कैसे 18 साल की उम्र तक मैं एक लड़का थी पर अपने माँ बाप का सपना पूरा करने के लिए मैं लड़की बन गयी ! मैं उसे बताये जा रही थी और वो मुस्कुराये जा रहा था ! मैंने अपनी बात बीच में रोक कर उसके मुस्कुराने का कारण पूछा तो उसने बताया कि मेरी बुआ और उसकी माँ काफी अच्छी सहेलियां हैं और मेरी बुआ जी ने उसकी माँ को पहले ही सब कुछ बता दिया था ! मुझे हैरानी हो रही थी कि उसको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा तो मैंने उससे पूछ ही लिया कि फिर भी वो मुझे देखने आ गया ? उसने जवाब दिया कि झूठ नहीं बोलूंगा एक बार तो सोचा कि मना कर दूँ ! पर फिर मैंने लड़के से लड़की के बदलाव वाली प्रक्रिया के बारे में इंटरनेट पर खूब पढ़ा और पता चला कि ऐसा करने से लड़का पूर्ण रूप से लड़की बन जाता है और जीवन में किसी तरह की कोई मुश्किल नहीं आती ! 

इतने में खाना आ गया और हम खाने में लग गए ! मैं मन ही मन सोच रही थी कि लड़का तो अच्छा है ! पर कहीं यह किसी दबाव में या घर वालों के कहने से ना बोल रहा हो ! फिर सोचा कि उसे ऐसा करने की क्या जरुरत होगी वो आने से पहले ही मना कर सकता था ! मैं मन ही मन अब उसकी तुलना सनी से करने लगी थी ! मैं उसे अभी तक भी भूल नहीं पायी थी ! वो मुझे अच्छे से समझता था और मेरे लिए एक बहुत ही अच्छा जीवन साथी साबित हो सकता था ! पर पता नहीं अब वो कहाँ था ! यहाँ मैंने एक और बात सोची कि मुझे रिश्ता होने से पहले परम को सनी कि बारे में जरूर बताना चाहिए क्यूंकि उसे बाद में किसी और से कुछ पता चलता तो यह अच्छी बात नहीं थी ! मैंने उसे अपने और सनी के बारे में जन्मदिन वाले दिन से लेकर उसके गायब होने तक की सारी बातें बता दी ! उसने कहा कि उसे अच्छा लगा कि मैंने उसे अपने बारे में सब कुछ बताया ! मुझे पता नहीं क्या सुझा कि उसे अपने मोबाइल में उसे सनी की फोटो दिखाई ! फोटो देख कर वो पता नहीं क्यों थोड़ा चौंका फिर मुझे बोला कि क्या मैं अब भी सनी से मिलना चाहती हूँ ! तो मैंने उसे हैरानी से पूछा कि क्या वो सनी को जनता है तो उसने कहा कि हाँ वो जानता है ! 

उसने कहा कि क्या मैं उसे मिलना चाहती हूँ तो मैंने कहा कि अगर वो मुझसे मिलना चाहता है तो मैं उससे मिलना चाहती हूँ ! उसने बोला कि वो मुझे शाम को फ़ोन पे बता देगा कि वो मुझे मिलना चाहता है? हम लोग खाना खाकर वहां से निकल गए ! शाम को जब मैं घर पहुंची तो सब लोग बेसब्री से मेरा इंतज़ार कर रहे थे और उन्होंने मुझे मेरे और परम के बीच हुई बातचीत के बारे में पूछा तो मैंने बोला कि सब ठीक रहा और कहा कि उसके घर वाले आप लोगों को बता ही देंगे ! थोड़ी ही देर बाद परम का फ़ोन आया कि मेरी सनी से बात हो गयी है और उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि मनजोत उसे इतने सालों बाद भी भूली नहीं थी उसने बताया कि वो अभी किसी सेमिनार में बाहर गया था और शुक्रवार को शाम तक वापिस आने वाला था और वो उसे शनिवार को मिल सकता था ! मैंने उसे कहा कि शनिवार को तो मेरा पूरा दिन बुआ जी के साथ बीतने वाला है तो उसने कहा कि शाम को एक घंटा निकल लेना तो मैंने पहले तो कुछ सोचा फिर हाँ कर दी ! 

शनिवार को मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी क्यूंकि आज का पूरा दिन बुआ के नाम था ! हम लोगों ने खूब मस्ती की ! शॉपिंग करते रहे और फिर दोपहर को एक नयी फिल्म भी देखी ! मैंने बुआ को सब कुछ उनकी पसंद का दिलवाया और पता ही नहीं चला कि वो दिन कैसे बीत गया ! मैं अब सनी के बारे में सोच रही थी के आज इतने सालों बाद उसे मिलना होगा, तो इतने में  मेरा फ़ोन बज उठा, मैंने देखा ये परम का फ़ोन था ! उसने मुझे बताया कि वो और सनी मुझे एक घंटे बाद उसी रेस्टोरेंट में मिलेंगे ! मैं ऑफिस में काम होने का बहाना करके घर से निकली और कुछ ही देर में रेस्टोरेंट पहुँच गयी ! लगभग 10 मिनट बाद वो लोग भी पहुँच गए ! मैं पार्किंग से बाहर ही उनका इंतज़ार कर रही थी ! उन्होंने मुझे देख लिया था ! जैसे जैसे सनी मेरे नज़दीक आ रहा था तो मेरे दिल की धड़कने तेज़ हो रही थीं ! आज कितने सालों बाद सनी को देख रही थी ! वही चल ढाल, वही शक्ल सूरत कुछ नहीं बदला था बस थोड़ा उम्र का असर होने कि कारण थोड़ा बड़ा लग रहा था ! दोनों मेरे पास आये ! मैं जैसे सन्न रह गयी ! मैंने ना तो उन्हें कुछ बोला और ना ही हाथ मिलाने कि लिए आगे बढ़ाया ! मैं तो जैसे एक मूरत बन गयी थी ! वो भी एकदम स्थिर सा हो गया था ! तो परम हम दोनों की यह हालत भांप गया और हम दोनों से बोला वैसे मुझे आप लोगों का परिचय करवाने की जरुरत तो है नहीं क्यूंकि आप लोग एक दुसरे को पहले से जानते हो फिर भी बता देता हूँ सनी यह मनजोत है और मनजोत यह सनी है ! हम दोनों ने हाथ मिलाया ! मेरी नज़रें झुकी हुई थीं ! मैं पूरी तरह से उसकी तरफ देख नहीं पा रही थी! फिर हम लोग रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ गए!

आज फिर परम मुझे आर्डर के लिए बोल रहा था तो मैंने उससे मिन्नत की के आज वही आर्डर दे ! तो परम ने मेरी पसंद का ही ऑर्डर दिया ! फिर चुप्पी तोड़ते हुए मुझसे पूछा कि मुझे पता है मैं सनी को कैसे जानता हूँ? तो मैंने ना में सर हिला दिया ! तो परम ने बताया कि सनी मेरा कजिन है ! मैं बहुत ही हैरानी से उन दोनों को देखने लगी और सोचने लगी भगवान भी किस तरह से लोगों को पहले जुड़ा करते हैं और फिर कैसे मिलते हैं ! वो दोनों सामने बैठे थे और मैं अकेली दूसरी तरफ ! सनी अभी तक कुछ नहीं बोला था ! उसका पहला वाक्य था " बधाई हो मनजोत, तुमने CA  पूरा कर लिया है" मैंने उसे शुक्रिया बोला और उससे पूछा कि वैसे तो पूछने वाली बात नहीं क्यूंकि तुम तो मुझसे भी अच्छे थे पढाई में, क्या तुम्हारी CA पूरी हो गयी थी? तो उसने जवाब दिया कि हाँ किसी तरह हो गयी थी ! तो मैंने भी उसे बधाई दी! वो एक बहुत अच्छी कम्पनी कि साथ काम कर रहा था ! परम ने सनी को बोला कि मुझे उसके बाद का सब कुछ बताये तो सनी बोला कि अगर इसकी इच्छा है तो यह इसे ही पूछना चाहिए ! इतने में खाना आ गया ! परम बोला कि बाकि बातें अब खाने कि बाद ही होंगी !  

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग (भाग 9) (अंतिम भाग)

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खाना खाते ही परम बहाना बना के निकल गया कि  उसे एक बहुत ही जरुरी काम याद आ गया है और हम लोगों को बोला कि हम लोग आराम से अच्छी तरह एक दुसरे की खिंचाई करके ही वहां से निकलें ! सनी और मैंने उसे बहुत रुकने को बोला पर वो नहीं माना और चला गया ! अब मैं और सनी अकेले थे ! मैंने बोला कि तुम उस वक्त बिना कुछ बोले ही चले गए आखिर एक बार मिल कर तो जाना था ! तो सनी शिकायत भरे लहजे में बोला कि तुम मुझसे बोलती कहाँ थी तुम तो मुझे देखते ही मुँह फेर लेती थी! मैं तो आखरी दिनों में एक बार तुम्हारे रस्ते में भी आया था पर तुमने तो अपना रास्ता ही बदल लिया था ! मुझे पता था कि उसकी बात सही है तो मैंने सर झुका लिया ! उसे यह सही नहीं लगा और उसने कहा कि मुझे इस तरह अपने को दोषी नहीं मानना चाहिए ! क्यूंकि उस वक्त मैं अपने माँ बाप की इच्छा कि लिए वैसा व्यवहार कर रही थी!  वो कितना समझदार था हर बात को बिना बोले ही समझ जाता था ! फिर भी मैंने उस से अपने उस व्यवहार के लिए माफ़ी मांगी ! उसने कहा कि मुझे माफ़ी मांगने की जरुरत नहीं है ! वो मुझसे नाराज नहीं था ! मुझे मन ही मन यह जानकर काफी ख़ुशी हुई! उसने कहा कि परम जानबूझ कर हमें अकेला छोड़ कि गया है ! मैंने कहा कि हाँ मैं समझ गयी थी ! वो मुस्कुरा दिया ! फिर बोला क्या अब भी तुम्हारे मन में मेरे लिए कुछ है? मैंने कहा कि उसे यह सवाल करना ही नहीं चाहिए था क्यूंकि अगर कुछ ना होता तो मैं यहाँ पे आती ही नहीं ! उसी मेरी बात ठीक लगी ! मैंने उससे पूछा कि उसने शादी क्यों नहीं की तो वो बोला कि उसे मेरा इंतज़ार था और वो मुझपर नज़र भी रखे हुए था ! मुझे तो इस बात का ज़रा भी भान नहीं था ! फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या अब भी मेरे माँ बाप अपनी पसंद से ही मेरी शादी करेंगे या फिर मेरी इच्छा का कुछ ख्याल रखा जायेगा ! मैंने कहा ठीक है उस वक्त हमें माँ बाप गलत लगते हैं जब वो हम पर सख्ती करते हैं पर उनकी हर बात का कोई अर्थ होता है और वो सब कुछ हमारे भले के लिए ही तो करते हैं ! उस वक्त वो मेरी पढाई को लेकर फिक्रमंद थे ! मेरी बात सनी को सही लगी पर बोला कि लेकिन अब तो मुझे अपने माँ बाप तुम्हारे घर भेजने होंगे ना हमारी शादी की बात कि लिए ! मुझे उसकी अचानक शादी वाली बात करने की उम्मीद नहीं थी तो मैं शर्मा गयी ! 

उसके बाद सनी कि माँ बाप ने परम की माँ और मेरी बुआ को हमारे रिश्ते को सिरे चढाने का जिम्मा दिया ! बुआ ने मेरे माँ बाप से उस लड़के के बारे में बात की ! माँ को समझ नहीं आ रही थी बात तो किसी और लड़के की हो रही थी पर रिश्ते की बात कहीं और हो रही है तो बुआ ने समझाया कि यह वही लड़का है जो इसके साथ पढता था और वो परम का बुआ का लड़का निकला ! अब वो लड़का  CA  कर गया है और एक अच्छी कम्पनी में काम करता है ! तो माँ ने भी हाँ कर दी कि हमें क्या फर्क पड़ता है जब लड़का लड़की राजी हैं ! परम नहीं तो उसका बुआ का लड़का इसमें क्या फर्क है ? सबने हाँ कर दी बस अब तो शादी की तैयारी होनी थी ! बुआ जी ने अपनी छुटियाँ बढ़ा दी ! सोमवार को सनी कि माँ बाप हमारे घर आ रहे थे शगुन वगैरह के लिए ! अब तो हाँ ना का कोई चक्कर ही नहीं था, अब तो सीधा रिश्ता तय होना था ! सभी करीबी रिश्तेदारों को सूचित कर दिया गया ! मुझे ख़ुशी थी पर मन ही मन घबराहट सी भी थी कि अब इस घर को अलविदा कहने का टाइम आ गया है ! 

मेरे पापा और चाचा ने रविवार को ही सारी तैयारियां करके रख दी थीं ! मेरी मम्मी बुआ और चाची ने अपने हिस्से का काम , जैसे शगुन का सामान लाना, सबके कपड़े, और भी जो जो सामान उस दिन जरुरी था सब खरीद लिया ! हालाँकि रविवार को सब लोग बहुत देर से सोये पर सोमवार को जल्दी ही उठ गए थे ! पापा ने हलवाई को बुला लिया था खाना और स्नैक्स बनाने कि लिए क्यूंकि घर पे तो सभी शगन शास्त्र में व्यस्त होने थे और दोनों तरफ के रिश्तेदार भी काफी हो जाने थे तो यही ठीक रहना था ! वो लोग 11 बजे पहुँच गए ! सनी ने काफी अच्छा सूट पहना हुआ था ! मैंने भी बुआ की पसंद का एक बहुत अच्छा सूट अपने लिए ख़रीदा था जो कि लगभग रेडीमेड की तरह ही था और बस थोड़ी बहुत सिलाई होनी थी और एक घंटे में मुझे तैयार होकर मिल गया था ! बिलकुल हलके गुलाबी रंग कि इस सूट में मैं बहुत जच रही थी यह बात मेरी बुआ ने मुझे बोली !  मैंने सनी के माँ बाप और बाकि सब रिश्तेदारों को सत श्री अकाल बोला और बैठ गयी ! हमारे घर वाले भी बैठे थे ! खाने का इंतज़ाम हमारे दुसरे घर में था जहाँ पर टैंट लगा था पर हम लोग अभी अपने घर में ही थे ! उसके और मेरे रिश्तेदार दूसरे घर में खाने में व्यस्त थे ! पहले  इधर उधर की खूब बातें हुईं और सबने मेरे बारे में पूछा ! मेरे पापा ने सनी से काफी देर तक बातचीत की ! उन्हें अपनी तरफ से तसल्ली भी करनी थी ! आखिर जिसके साथ उन्होंने अपनी बेटी को ब्याहना था उसके बारे में पता लगाना उनका फ़र्ज़ था !सबको बुलाया गया और रिंग सेरेमनी हुई ! सभी ने जोरदार तालियों से हम दोनों को बधाई दी ! फिर थोड़ा संगीत और नाच गाना हुआ !  फिर उसके बाद सबने खाना खाया ! हमें इकठे बिठा कर खिलाया गया ! उसके बाद उनकी विदाई से पहले शादी की तारीख पक्की करने के लिए बातचीत हुई और अपनी सहमति से अगले महीने एक रविवार को शादी तय कर दी ! इस तरह हमारी प्रेम कहानी को हमारे घर वालों की रजामंदी मिल ही गयी ! 

दिन बीतते गए और शादी का दिन नजदीक आ गया ! बुआ फिर से आ गयी थी ! मेहमानो की लिस्ट बन रही थी! मैरिज पैलेस, कपड़े गहने, कितने प्रोग्राम होंगे, हरेक चीज को सूचीबद्ध किया जा रहा था ! हम दोनों शाम को एक बार 10 - 15 मिनट के लिए बात करते थे ! घर वालों को पता था पर अब उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था क्यूंकि अब हम कुछ ही दिनों में तो एक दुसरे के होने वाले थे ! घर में अब खूब चहल पहल रहती ! पंजाब में शादी से 10 12 दिन पहले ही छोटे छोटे रीति रिवाज शुरू हो जाते हैं जो शादी के बाद तक चलते हैं ! शादी वाला दिन भी आया और मैं दुल्हन के लिवास में थी ! उस दिन पहली बार मेरे दिमाग में आया कि कहाँ तो मैंने किसी को ब्याह कर लाना था और कहाँ मैं किसी कि यहाँ जा रही हूँ अपने माँ बाप का घर छोड़ कर ! पर जल्द ही अपने को संयमित किया और सोचा कि कितना अच्छा है सब लोग मेरे बारे में कितना सोचते हैं और मुझे कितना अच्छा जीवन साथी मिला है ! सब कुछ तो एकदम बढ़िया है तो फालतू की बातें क्यों सोचना ! सनी को समय की इतनी कद्र थी कि वो समय का बहुत ही ज्यादा पाबंद था ! अक्सर बारातें समय से एक दो घंटे देरी पर ही आती हैं परन्तु मेरी बारात निर्धारित समय सुबह के ठीक 11 बजे पहुँच गयी थीं ! सनी ने शेरवानी पहनी हुई थी और साथ में सर पर गुलाबी रंग की पगड़ी जो के मेरे लिबास से मेल खा रही थी उस पर बहुत ही जाँच रही थी ! सनी का पूरा नाम सनमजीत सिंह था और यह नाम मुझे बहुत पसंद था और सब उसे सनी बुलाते थे पर मैं उसे सनम ही कहकर बुलाती थी !   मैं आपको बताना चाहती हूँ कि हमारी सिख़ शादियां दिन में गुरुद्वारा साहिब में ही होती हैं, हमारे फेरे जिनको आनंद कारज कहा जाता है ! हम लोग शादी की रस्मों के लिए सीधा गुरुद्वारा साहिब पहुंचे ! पूरे सिख रीती रिवाज अनुसार हमारे आनंद कर्ज संपन्न हुए !

उसके बाद बाकि की रस्मे मैरिज पैलेस में हुईं ! हम लोग एक स्टेज पर बैठ गए और रिश्तेदार लोग हमारे पीछे खड़े होकर फोटो खिंचवा रहे थे जैसा कि अक्सर सभी शादियों में होता है ! मुझे फोटोग्राफर द्वारा बार बार हंसने कि लिए बोला जाता पर मैं एक बार हंस के गंभीर हो जाती ! मैं तो बस यही सोचे जा रही थी कि मुझे आज किसी और घर में रहने जाना है और मैं भी बुआ की तरह अपने घर एक मेहमान की तरह जाया करुँगी ! इसका मतलब मेरा अपना घर आज से मेरे लिए बेगाना हो गया ! यह सोच कर वैसे तो मुझे रोना आ रहा था पर मैंने अपने आप को नियंत्रण में रखा क्यूंकि सनी को बुरा लग सकता था और हाँ हम लड़कियों को अपने मेकअप का भी तो ध्यान रखना पड़ता है ! सनी ने मेरे मन की बात थोड़ा भांप ली और मुझसे पूछा कि मुझे कुछ चाहिए तो नहीं तो मैंने कहा नहीं कुछ नहीं चाहिए बस थोड़ा भावनात्मक हो रही थी ! तो उसने समझाया कि शादी के वक्त लड़की का भावुक होना स्वाभाविक है तो मैं मुस्कुरा दी ! कैसे वो हर बात को अच्छे से समझाता है ! मुझे अपने चुनाव पर गर्व था ! 

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Posted: 3 years ago

अनोखा त्याग (भाग 9) (अंतिम भाग)

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विदाई के लिए मुझे घर पर ले जाया गया ! वहां पर भी कुछ रीती रिवाज हुए ! उसके बाद मुझे पूरे घर में चक्कर लगवाया गया और अब विदाई का वक्त था ! मेरे दिल की धड़कनें बहुत ही ज्यादा तेज़ हो गयी थी ! अब तो सच में ही मुझे सदा सदा के लिए यह घर छोड़ कर जाना था ! बचपन से अब तक की सारी यादें मेरे मनः पटल पर छा गयीं ! कैसे मैंने यहाँ अपना इतना जीवन बिताया ! सबके साथ मेरी खट्टी मीठी यादें एक चलचित्र की तरह मेरे आगे घूम रही थीं ! मुझे इस घर में बिताया एक एक पल याद था ! माँ रो रहीं थी और पापा भी बहुत भावुक थे ! एक भाई ने तो मेरे साथ ही जाना था बाकि दो रो रहे थे ! हर कोई उस वक्त अपनी अपनी भावनाओं में बह रहा था ! मेरा तो बुरा हाल था और अब मैं अपने आंसुओं को रोक नहीं पायी और पहले माँ के गले लग के और फिर पापा के गले लग के खूब रोई और उन सबको अपना ध्यान रखने को बोला ! उन्होंने ने भी मुझे किसी तरह की चिंता ना करने को बोला और कहा कि अब वही तुम्हारा घर है ! मुझे भी अब अपने मन को समझाना था ! अब मुझे पूरी तरह से ससुराल को ही अपना सब कुछ समझना था ! अब मेरे लिए एक नए जीवन की शुरुआत थी ! 

तो इस तरह से मेरी कहानी पूरी होती है ! मैं चाहती तो अपनी इच्छा अनुसार एक लड़के कि रूप में अपना जीवन जी सकती थी परन्तु मैंने दूसरा विकल्प चुना और अपने माँ बाप की इच्छा पूरी करने के लिए लड़की बनी ! शुरू में मुझे थोड़ी मुश्किलें जरूर आयीं परन्तु अब मैं अपने जीवन से एकदम खुश हूँ ! अपनों की खुशियों के लिए जीना ही सही मायने में जीना है ! यही बात इंसानों को जानवरों से अलग करती है ! 

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                                                          ::समाप्त::

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Posted: 3 years ago

दोस्तों मेरी अगली कहानी बिलकुल सामयिक विषय पर आधारित है ! यह एक लड़के और लड़की की कहानी है जिनकी व्यवसायिक ज़िंदगी की शुरुआत कोरोना से लगभग एक डेढ़ साल पहले हो गयी थी ! पर इस महामारी का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा जानते हैं मेरी अगली कहानी में जिसका शीर्षक है " LOVE IN CORONA" 


तो बने रहिये दोस्तों , यह एक बहुत ही मज़ेदार कहानी होगी ! विषय आपको बहुत पसंद आएगा ! एकाध दिन में इसका पहला भाग आपको मिल जायेगा ! तब तक इजाज़त दीजिये ! धन्यवाद ! 

चंद्र कांत मित्तल !