अनोखा त्याग (भाग7)
शुरूमें तो थोड़ा ठीक था, परन्तु फिर जैसे जैसे मेरे अंग विकसित होने लगे मुझे कई तरह की परेशानियां आनी शुरू हो गयीं ! मैं अपने आप को थोड़ाअसहज महसूस कर रही थी! परन्तु यही अब मेरा जीवन था ! मुझे कपडे तक पहनने में दिक्कत होने लगी ! एक लड़के के रूप में मैं आसानी से कपडे पहन लेती थी ! परन्तु अब उतनी सहजता से कोई भी काम नहीं हो पाता था ! मैं धीरे धीरे अपने को नए रूप में ढल रही थी !
मेरे भाइयों को अब मेरी थोड़ी फ़िक्र होने लगी ! उन्हें पता था कि मेरा जीवन अब सामान्य नहीं रहा ! उन्होंने अक्सर मुझे पूछना कि मुझे कुछ चाहिए तो नहीं ! उन्हें महसूस हो रहा था कि मैंने अपने माँ बाप के लिए बहुत बड़ा कुछ किया है ! परन्तु उतना ज्यादा समझना उनके बस में नहीं था ! लड़की के रूप में मेरी पहली राखी थी ! भाइयों को पहली बार सगी बहन से राखी बंधवानी थी ! मुझे इतना अजीब लग रहा था कि बता नहीं सकती ! तीनो भाइयों की बारी बारी से राखी बाँधी ! ऐसा नहीं कि मुझे अजीब लग रहा था ! उनको भी बहुत अजीब लग रहा था ! परन्तु सबको एक ख़ुशी भी मिल रही थी कि राखी का त्यौहार इस घर में पहली बार सार्थक हुआ था ! मेरे भाई ने भावुक होते हुए मुझे कहा कि दीदी मैंआपको वचन देता हूँ कि आपको कभी परेशान नहीं करूँगा और आपकी हर बात मानूंगा ! आपने मम्मी पापा की इतनी बड़ी बात मानी उसके आगे कोई भी बात बहुत छोटी रहेगी ! और दोनों छोटे भाइयों ने भी अपनी तरह से मुझे शगुन दिया और वादा किया कि मेरी हर बात उनके लिए आदेश रहेगा ! सब लोगों कीआँखों में यह सब सुनकर ख़ुशी के आंसू आ गए ! मैंने भी उस भाई की बात सोचकर कि अगर दुनिया में बुरे लोग हैं जो हमेशा हमें रुलाने या नीचे दिखने में लगे रहते हैं तो इस तरह कितने हमारे अपने हैं जो छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात पर हमें खुशियां देने का कोई मौका नहीं छोड़ते ! चलो हर तरह के लोग इस दुनिआ में मौजूद हैं !
अपने आप में इतना बड़ा बदलाव होने के बाद मैंने एक बहुत बड़ी बात जानी कि जब इंसान में कोई बड़ा बदलाव होता है तो लोग उसके साथ सामान्य व्यवहार नहीं करते ! या तो उसका मज़ाक उड़ाएंगे मतलब उसे मज़ाकिया लहजे से देखंगे या फिर उससे बातचीत में या फिर अपने हाव भाव में किसी ना किसी तरह उससे हमदर्दी दिखाएंगे ऐसा जताएंगे कि वो इंसान एक बेचारा है ! परन्तु सामान्य व्यवहार कोई नहीं करेगा ! मैं यही चाहती थी कि लोग मुझे एक आम लड़कीकी तरह से देखें पर मेरे घर वालों और मेरे कुछ मित्रों कि इलावा किसी ने मेरे साथ ऐसा सामान्य व्यवहार नहीं किया ! वैसे मुझे इस बात की परवाह नहीं थी क्यूंकि यह राह मैंने खुद अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव कि चुनी थी तो मुझे इसका कोई गिला शिकवा नहीं था बल्कि मैंअब कुछ परेशानियां होने कि बावजूद इस नए जीवन का आनंद ले रही थी !
मैंने एक बात तो तय कर रखी थी कि मुझेअपने जीवन में कुछ ना कुछ बनना है ! मेरे सामने बहुत सारे विकल्प थे ! क्यूंकि मेरी लाइन कॉमर्स की थी तोमैं CA , CS या फिर MBA कर सकती थी! इसके इलावा मैंने लड़कियों के माने जाने वाले विकल्प जैसे एयर होस्टेस, फैशन डिज़ाइनर या ब्यूटिशियन वाले कोर्सेज के बारे मेंभी सोचा ! परन्तु मुझे लगा कि मुझे CA को प्राथमिकता देनी चाइये क्यूंकि शुरू से ही मुझे कॉमर्स बहुत ही ज्यादा पसंदहै ! मैंने अपनी माँ से इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने भी मुझे यही कहा कि मुझे अपनी पसंद का क्षेत्र ही चुनना चाहिए ! हालाँकि CA करना कोई आसान काम नहीं था परन्तु मैंने जीवन में कोई आसान काम कहाँ किया था ! मैंने तय कर लिया कि मुझे CA कि फाउंडेशन कोर्स में दाखिला लेना है ! मैंने कोर्स में दाखिला ले लिया ! मेरे पापा ने मुझे एकCA से मिलवाया जिनसे मुझे इस कोर्स से संभंधित पढाई में सहायता मिलनी थी और साथ ही कॉलेज में तो मेरी B .COM की पढाई चल ही रही थी ! मैंने एक बात मनही मन सोच राखी थी कि अपने करियर से ऊपर मैं किसी भी चीज को तरजीह नहीं दूंगी और किसी लड़के को तो अपने जीवन में आने ही नहीं देना! क्यूंकि यह सब चीजें हमेशा करियर में बाधक होती हैं !
एक दिन सुबह माँ रोते रोते उठीं ! पापा ने उन्हें कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सपना देखा कि 3 4 लड़के मुझे देखने आये उन्हें सब कुछ पसंद था पर जब भी उनको पता चलता कि मैं लड़के से लड़की बनी हूँ तो वे तुरंत उठ कर चले जाते! मम्मी उन्हें बहुत समझने की कोशिश करती परन्तु वो एकदम से निकलकर चले जाते ! अचानक उनकी आंख खुली और एक बार तो उन्हें ऐसा लगा भी कि ऐसा सच में हो रहा है! उन्होंने पापा से बोला कि यह सब उनकी ज़िद के कारण हुआ है ! क्या जरुरत थी उन्हें अपने बच्चे की ज़िन्दगी ख़राब करने की उसकी ज़िन्दगी से खेलने की ! यह बोलते बोलते वो रोने लगीं ! पापा ने उन्हें समझाया कि उन्होंने सपना देखा है और इस सपने का असलियत से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है और उन्होंने कहा कि देख लेना उनकी समझदार बेटी के लिए रिश्तों की कतार लग जाएगी ! उनको सब्र नहीं हुआ और मुझे बुलाया! मेरे सामने भी वही बातें दोहराने लगीं और बोलने लगीं कि उन्होंने उसका लिंग परिवर्तन करवा कर बहुत बड़ी भूल की है ! मैंने उन्हें कहा कि सपने भी कभी सच होते हैं? उन्होंने एक सपना देखा है और इसको उन्हें मन पर नहीं लगाना नहीं चाहिए ! दूसरी बात मैंने कहा कि मैं अपनेनए रूप में एकदम खुश हूँ और आप लोगों ने मुझे लड़की बना कर कोई गलती नहीं की है आइंदा मुझे यह बात ना बोलना कि आपने ऐसा करके कोई गलती की है ! इस तरह मैंने उनको बड़ी मुश्किल से समझाया और मैंने उन्हें कुछ गलत भी नहीं कहा! परेशानियां तो सबको आती हैं मुझे भी आयीं , परन्तुअब मैंने अपने आप को एक लड़की मान कर अपनी जीवन यात्रा शुरू कर दी थी!
इंसान सोचता कुछ है और हो कुछ और ही जाता है वैसा तो शायद होता ही नहीं जैसा उसने सोचा होता है ! मुझे नहीं पता था कि कॉलेज में कोई लड़का मुझे खास तौर से देखता होगा! मुझसे एक क्लास आगे था ! सब लोग उसे सनी बुलाते थे ! मैं अपनी सहेलियों में मस्त आगे बढ़ जाती और वो मुझे देखता रह जाता ! जब मैं निकलती तो उसके दोस्त मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखते ! इसी तरह दो तीन महीने निकल गए तो किसी ने उसे बताया कि मेरा जन्म दिनआ रहा है ! उसने अपने दोस्तों के आगे तय किया कि वो मुझे मेरे जन्मदिन की बधाई जरूर देगा ! दोस्तों ने भी उसे इसे एक चुनौती की तरह लेने को कहा तो उसने स्वीकार कर लिया ! यह वास्तविक्ता थी कि उसे मेरे भूतकाल के बारे में कुछ भी पता नहीं था ! वह दिन भीआया जब मेरा जन्मदिन था ! मेरी दोनों दोस्तों ने मुझे बधाई दी और मुझसे पार्टी के लिए बोला जो मैंने मान लिया ! हम लोग अपनी क्लास में जा रहे थे कि पीछे से मुझे जन्मदिन मुबारक की आवाज़ सुनाई दी , तो पीछे मुड़कर देखा एक लड़का मुस्कुराकर मुझे जन्मदिन की बधाई दे रहा था ! यह एक लड़की के रूप में मेरा पहला अनुभव था जब एक लड़का मुझे इस तरह से बुलाये और इस तरह मुझे जन्मदिन की बधाई देते हुए मेरी तरफ बढे ! कुल मिलकर मुझे ज्यादा अच्छा नहीं हुआ ! मैंने लड़की बनकर जीना तो सीख लिया था पर अभी मुझे इस बात की आदत नहीं पड़ी थी कि कोई लड़का मेरा एक साथी होगा! तो उसे रुखाई से शुक्रिया बोलकर मैं अपनी क्लास में आगे बढ़ गयी ! उन दोनों ने मुझे खूब मज़ाक किया ! मुझे आज उनका मज़ाक करना अच्छा नहीं लग रहा था! एक बोली कि क्या बुराई है , अच्छा खासा तो दीखता हैऔर पढाई में भी एक नंबर पर है तो तू उसके बारे में क्यों नहीं सोच सकती ! मैंने कहा कि उसमे कोई बुराई है या नहीं यह बाद की बात है! मुझे किसी लड़के से कोई ताल्लुकही नहीं रखना है क्यूंकि मुझे अपने करियर को बहुत आगे लेकर जाना है और यह तभी संभव है जब मैं पूरी तरह से मन लगाकरअपनी पढाई करूँ ! मैंने अपना जो लक्ष्य तय किया है वो आसान नहीं है ! उसके लिए मुझे दिन रात एक करना होगा! फिर दूसरी बात मैं अपने जीवन में लड़कों को लेकर उतनी सामान्य नहीं हूँ जितनी कि वो लोग हैं ! क्यूंकि मेरा जन्म एक लड़की के रूप में नहीं हुआ है ! मैं धीरे धीरे अपने को उस रूप में ढालूँगी ! पर इस सबके लिए अभी बहुत समय है ! अभी तो मुझे सिर्फऔर सिर्फ अपनी पढाई पर ध्यान देना है ! दोनों ने मुस्कुरा के मुझे जफ्फी डाली और कहा कि जैसी तुम्हारी सोच है तू जरूर एक दिन कामयाब होगी हमें यह पहले से पता है !
दोपहर बाद छुट्टी कि बाद वो लोग मुझे कहाँ छोड़ने वाली थीं ! वो मुझे कैंटीन में ले गयीं और मुझे आर्डर देने के लिए बोला तो मैंने कहा कि वो लोग जो चाहें मंगवा लें क्यूंकि पार्टी मेरी तरफ से है तोआर्डर उनकी तरफ से होगा ! उन्होंने सबके लिए आर्डर किया ! हम लोग अभी खा ही रहे थे तो वही लड़का फिर से पास आयाऔर बोला कि उसने भी तो जन्मदिन की बधाई दी थी तो पार्टी पर थोड़ा हक़ तो उसका भी था ! मैं एकदम सकपका गयी ! मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इसको क्या जवाब दूँ ! मुझसे पहले मेरी एक सहेली ने ही उसे बैठने को बोल दिया! पर उसने कहा कि जिसका जन्मदिन है वो तो बोल नहीं रही आप लोग क्यों बोल रहे हो तो मैंने कहा बैठिये और बोलिये किआप क्या खाना चाहते हैं ! उसने बताया और मेरी सहेली ने आर्डर कर दिया ! तो मैंने उसे बताया कि मेरा लक्ष्य कुछ और है और उसे मेरे पीछे समय बर्बाद करने की जरुरत नहीं हैं ! तो वो बोला कि उसका भी वही लक्ष्य है यानि ca तो मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा कि जनाब जो लोग आशिकी में पड़ जाते हैं वो लोग ca के लिए नहीं बने होते ! वो थोड़ा गंभीर होकर बोला कि ca तो उसका लक्ष्य है इसमें कोई दो राय नहीं है ! उसके लिए वो दिन रातमेहनत भी कर रहा है ! परन्तु उसे मेरा स्वाभाव औरों से कुछ अलग लगा और उसे यह भी पता था कि मैं पढाई में काफी अच्छी हूँ ! तो उसने तो सिर्फ थोड़ा दोस्ती के लिए सोचा था ! तो मैंने कहा कि मुझे अपने आप को सिर्फ पढाई तक केंद्रित रखना है और अपना ध्यान इस बात से कभी नहीं हटने दूंगी ! तो उसने कहा कि लड़कों की दोस्ती इतनी भी बुरी नहीं होती कि वो लड़कियों की उनके लक्ष्य से दूर ले जाएँ ! मैंने कहा कि कुछ भी हो, जो मैंने सोच लिया वो सोच लिया! मुझे ना अपना नजरिया बदलना है और नाअपना निश्चय ! अभी मेरा निश्चय पढाई है तो वो ही रहेगा ! हाँ जब मुझे कभी किसी लड़के कीदोस्ती की जरुरत पड़ेगी तो मैं शायदआपसे संपर्क कर लूँ ! उस वक्त अगर आपको सही लगे तो मुझसे दोस्ती कर लेना ! उसने कहा कि मेरी इन्ही बातों की वजह से वो मेरी तरफ आकर्षित हुआ था ! क्यूंकि उसे लड़कों से पता चला था कि एक नयी लड़की आयी है जो सिर्फ पढाई के बारे में ही सोचती है और कभी किसी लड़के की तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखती ! तो उसने फिर से कहा कि उसे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब मुझे किसी लड़के को दोस्त के रूप में पाने की इच्छा होगी और उसे सदा ही उसका दोस्त बनने में दिलचस्पी रहेगी ! वैसे उसने और भी बोला कि वो भी पढाईको बहुत महत्व देता है और उसेअन्य लड़कियों में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही ! वैसे उसकी इस बात को मेरी सहेलियां मुझे पहले ही बता चुकी थीं ! मैंने उसे कहा कि मुझे उससे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई परन्तु अभी मुझे बस पढाई तक ही सोचना है ! मैंने अनुभव किया कि जो मेरा लहजा शुरू में रुखाई वाला था अब बहुत नरम हो गया था! मैंने अपने इस बदलाव को महसूस किया ! परन्तु यह इसलिए नहीं था कि मुझे भी उसके प्रति कोई आकर्षण था ! यह इसलिए था कि जब मैं उसे अच्छे से जानती नहीं थी और उसे मिली नहीं थी तब तक मुझे यह लगता था कि वो कोई आम लड़कों जैसा लड़का है जिसे सिर्फ मस्ती करनी पसंद है ! परन्तु उससे बात करके पता चल कि वो बहुत समझदार है और पढाई में एक नंबर पर है ! तो जो इस तरह समझदार और सबसे आगे होते हैं ज़माना उनका आदर करता ही है और उन्हें बिना कहे इज़्ज़त मिलती है ! उसकी प्लेट खली हो चुकी थी तो मैंने उसे अब खुद हीआग्रह किया कि उसे और जो कुछ भी चाहिए हो बोल सकता है क्यूंकि अभी उसने इतना कुछ नहीं लिया था ! यह सब कहते हुए मैं मुस्कुरा रही थी और मुझेअपने आप पर बहुत हैरानी हो रही थी! उसने और कुछ लेने से बिलकुल मना कर दिया और मुझे फिर से जन्मदिन मुबारक बोलकर वहां से निकल गया! मेरी सहेलियां मेरी तरफ देखने लगीं ! क्यूंकि उन्हें अब मेरे अंदर बदलाव महसूस हुआ था ! तो मैंने उनकी यह बात भांप ली और उनको बोला कि कोई मेहमान की तरह आये तो उसको थोड़ी तो तवज्जो देनी पड़ती है तो एक ने कहा कि यह तवज्जो थी या दोस्ती का निमंत्रण तो मैंने हंसकर उसे डांटते हुए कहा कि ऐसा कभी नहीं हो सकता ! फिर हम लोग अपने अपने घर के लिए निकल पड़े !
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