Originally posted by: anandhisuresh
Any idea about the song that was played when Ranbir held prachi's hand today asking for an answer?
ये आईना है या तू है जो रोज़ मुझको सँवारे?
इतना लगी सोचने क्यूँ मैं आजकल तेरे बारे?
तू झील खामोशियों की
लफ़्ज़ों की मैं तो लहर हूँ
अहसास की तू है दुनिया
छोटा सा मैं एक शहर हूँ
ये आईना है या तू है जो रोज़ मुझको सँवारे?
खुद से है अगर तू बेख़बर, बेख़बर
रख लूँ मैं तेरा ख़याल क्या?
चुपके-चुपके तू नज़र में उतर
सपनों में लूँ मैं सँभाल क्या?
सपनों में लूँ मैं सँभाल क्या?
मैं दौड़ के पास आऊँ, तू नींद में जो पुकारे
मैं रेत हूँ, तू है दरिया, बैठी हूँ तेरे किनारे
ये आईना है या तू है जो रोज़ मुझको सँवारे?
तनहा है अगर तेरा सफ़र, हमसफ़र
तनहाई का मैं जवाब हूँ
होगा मेरा भी असर, तू अगर पढ़ ले
मैं तेरी किताब हूँ
पढ़ ले, मैं तेरी किताब हूँ
सीने पे मुझको सजा के जो रात सारी गुज़ारे
तो मैं सवेरे से कह दूँ "मेरे शहर तू ना आ, रे"
ये आईना है या तू है जो रोज़ मुझको सँवारे?
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