रेखा के पिता जेमिनी गणेशन साउथ फिल्मों के बड़े कलाकारों में से एक थे, जिन्होंने करीब 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया। उनकी 4 पत्नी थीं, लेकिन उन्होंने रेखा की मां से शादी नहीं की और उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया। सिंगल मदर को तौर पर रेखा की मां ने घर की सारी जरूरतों को पूरा किया। जब रेखा 9वीं क्लास में थीं तब उन्होंने स्कूल से नाता तोड़ लिया और फिल्मों में आ गईं। हालांकि, उन्हें फिल्मों के लिए कोई खास लगाव नहीं था, लेकिन रोजी-रोटी के लिए उन्हें इस फील्ड में उतरना ही पड़ा।
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लेखक यासीर उस्मान की किताब 'रेखा: एन अनटोल्ड स्टोरी' के अनुसार तब महबूब स्टूडियो में फिल्म 'अनजाना सफर' की शूटिंग चल रही थी। इस फिल्म के डायरेक्टर और सिनेमेटोग्राफर थे राजा नवाठे। फिल्म के फर्स्ट शेड्यूल में ही कुलजीत पल (डायरेक्टर), राजा और विश्वजीत (लीड ऐक्टर) एक प्लान तैयार किया, जिसके बारे में रेखा को भनक तक नहीं थी। उस दिन रेखा और विश्वजीत के बीच रोमांटिक सीन शूट होना था। स्ट्रैटिजी का हर आखिरी डीटेल शूट से ठीक पहले तय किया जाता था। जैसे ही डायरेक्टर राज ने 'ऐक्शन' बोला, विश्वजीत रेखा को अपनी बाहों में भरकर उनके होंठ पर किस करने लगे।कैमरा चालू था, न तो डायरेक्टर 'कट' कह रहे थे और न ही विश्वजीत उन्हें छोड़ने को तैयार थे। तकरीबन 5 मिनट तक विश्वजीत रेखा को किस करते रहे। उस वक्त यूनिट मेंबर सीटियां मार रहे थे, रेखा की आंखें बंद थीं, जिसमें सिर्फ आंसू भरे हुए थे।
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कोलकाता में विनोद मेहरा से शादी के बाद रेखा उनके साथ वापस लौटीं और एयरपोर्ट से सीधे ससुराल पहुंचीं, लेकिन तब उन्हें भी नहीं पता था कि वहां उनके सामने कोई तूफान आनेवाला है। एक फिल्ममेकर के मुताबिक, मेहरा के घर पर रेखा के साथ उस दिन जो कुछ हुआ उसकी कहानी कुछ इस तरह है। जैसे ही नई दुल्हन दरवाजे पर खड़ी अपनी सास कमला मेहरा का आशीर्वाद लेने के लिए पैर छूने लगी, उन्होंने रेखा को धक्का दे दिया। उन्होंने उन्हें घर के अंदर आने से साफ मना कर दिया। उन्होंने रेखा को काफी भला-बुरा कहा। विनोद बीच में समझाने-बुझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन कमला मानने को बिल्कुल तैयार न हुईं। इस दौरान एक ऐसा भी पल आया, जब उन्होंने अपना चप्पल उठा लिया और उन्हें लगभग उससे मार चुकी थीं। रेखा हैरान और कन्फ्यूज़ थीं। फ्लैट के इर्द-गिर्द भीड़ बढ़ने लगी और रेखा हैरान, परेशान और दुखी थीं। वह लिफ्ट की तरफ बढ़ीं और उनकी आंखों से केवल आंसू छलक रहे थे। विनोद उनके पीछे दौड़े और कहा कि वह तब तक अपने घर में ही रुके जब तक कि उनकी मां शांत नहीं हो जातीं।
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