खयालों में लाखों बातें यूँ तो कह गया
बोला कुछ ना, तेरे सामने
हो, हुए ना बेगाने भी तुम होके और के
देखो, तुम ना मेरे ही बने
अफ़सोस होता है, दिल भी यह रोता है
सपने संजोता है, पगला हुआ
सोचे यह हम थे मिले तुमसे, ना जाने क्यूँ
मीलों के हैं फ़ासले तुमसे, ना जाने क्यूँ
अनजाने हैं सिलसिले तुमसे, ना जाने क्यूँ
सपने हैं पलकों तले तुमसे, ना जाने क्यूँ
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