काश तुम कोई किताब होते...
काश तुम कोई किताब होते...
काश तुम कोई किताब होते,
तेरी ही कहानी के हम भी एक किरदार होते,
तेरी दास्ताँ मुझसे शुरू होती,
और मुझ पर ही आकर ख़त्म हो जाती।
तेरे पन्नों के हर एक लफ़्ज़ में,
धीरे-धीरे ख़ुद ही खो जाते हम।
हर मोड़ पर तेरा नाम लिखा होता,
हर पंक्ति में कुछ मेरा भी पता होता।
तेरी ख़ामोशियों में भी आवाज़ बन जाते,
तेरे हर राज़ के हम हमराज़ बन जाते।
अगर तुम कोई सपना होते,
तो बहाने ढूंढ़ कर सो जाते।
हर झलक का दीदार करते,
और पलकों को कभी न खोलते।
तेरे हर लम्हे को जीते हम,
हर साँस में तुमसे प्यार करते।
ख़्वाबों में तुझसे मुलाक़ात होती,
हर बार वही अधूरी बात होती।
ना जागते, ना लौटते उस जगह से,
जहाँ तुम हो, बस तुम्हारा एहसास हो।
जो भी होते तुम, उस पर क़ुर्बान हो जाते,
मगर अफ़सोस बस इस बात का है...
काश... तुम सिर्फ हमारे होते।
.........Midnight_Library
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