"मुझे लगता है कि मेरा करियर अब शुरू हुआ है। यह मेरे जीवन की एक नई शुरुआत है। मेरा पहला शो 'बाते' था, और दूसरा 'यह रिश्ता क्या कहलाता है'। मैं खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे 'रोहित' जैसा किरदार निभाने का अवसर मिला।"
रोहित पोद्दार का यह अनुभव सिर्फ एक रोल नहीं, बल्कि उनकी 18 सालों की मेहनत, लगन और इंतज़ार की परिणति है। उन्होंने बताया कि वह वर्षों से राजन सर और डीकेपी परिवार के साथ काम करने की ख्वाहिश रखते थे, लेकिन बात बन नहीं पा रही थी। और जब एक दिन अचानक उन्हें ऑफिस बुलाया गया और बताया गया कि उन्हें 'रोहित' का रोल ऑफर किया जा रहा है — उनके लिए वह पल जीवन का सबसे खूबसूरत दिन बन गया।
"मैं उस दिन रोना नहीं चाहता था, क्योंकि लोगों को लगेगा कि मैं अपनी भावनाएँ नहीं रोक पा रहा या मैं कमजोर हूँ। लेकिन सच्चाई ये है कि 'रोहित' का किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है। यह सबकुछ है मेरे लिए।"
उन्होंने इस किरदार के लिए 10 किलो वजन कम किया, सिर्फ इसलिए ताकि वह किरदार में एकदम फिट बैठ सकें, और यंग दिख सकें। जब उन्हें बताया गया कि यह रोल सिर्फ 3 महीने का है, तब भी उन्होंने बिना झिझक हामी भर दी। उनका कहना है, "अगर राजन सर मुझे एक दिन का रोल भी दें, तो मैं खुशी-खुशी करूंगा।"
शूटिंग के हर पल को उन्होंने जिया, हर दिन को एक अवसर की तरह लिया। सेट का माहौल, कलाकारों का समर्पण, और राजन सर की पॉजिटिव एनर्जी — इन सबने 'यह रिश्ता क्या कहलाता है' को उनके लिए एक परिवार बना दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह शो किसी भव्य फिल्म सेट की तरह लगता है, जैसे संजय लीला भंसाली या करण जौहर की फिल्म का सेट हो।
"हर दृश्य, हर संवाद, इतने वास्तविक और दिल को छू जाने वाले होते थे कि मानो आत्मा तक उतर जाएँ। हर एपिसोड एक फिल्म जैसा लगता था, और यही इस शो को खास बनाता है।"
जब उनसे पूछा गया कि जब शिवम (पिछले एक्टर) शो छोड़ रहे थे, तो क्या उन्हें डर था कि दर्शक उन्हें स्वीकार करेंगे या नहीं? तो उन्होंने विनम्रता से कहा, "मैं बस यही चाहता था कि दर्शक मुझे रोहित के रूप में स्वीकार करें, और राजन सर को मुझ पर गर्व हो।"
उन्होंने ये भी बताया कि कैसे उन्होंने और उनके को-एक्टर रोहित (जो उनके भाई का किरदार निभा रहे थे) ने साथ में कुछ बेहद भावुक सीन किए, जिनकी तारीफ न केवल फैंस ने बल्कि मीडिया ने भी की।
"यह शो सिर्फ काम नहीं था, यह मेरी आत्मा का हिस्सा बन चुका था। जब शो नंबर वन बना, तब राजन सर ने सभी को प्रोत्साहित किया, और जब टीआरपी गिरी, तब भी उनका रवैया उतना ही उत्साहवर्धक था।"
रोमित ने टेलीविज़न की ताक़त और उसमें आए बदलावों को भी रेखांकित किया: "कभी इसे इडियट बॉक्स कहा जाता था, पर आज यह फिल्मों से भी बड़ा माध्यम बन चुका है। स्मार्ट टीवीज़ के साथ यह 'स्मार्ट फिल्में' बन गया है।"
और अंत में, उन्होंने मीडिया और मंचों जैसे इंडिया फोरम्स का आभार प्रकट किया, जो वर्षों से टेलीविज़न और कलाकारों का समर्थन करते आए हैं।
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